Aligarh News: दहेज हत्या में दोषी पति को सात साल की सजा, अदालत ने 30 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया
Aligarh News पुलिस ने अकरम के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत किया और आरोप पत्र दायर किया। एडीजीसी ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जहर देने व फंदा लगाने की बात सामने आई थी। अदालत ने अकरम को दोषी करार देते हुए निर्णय सुनाया है।
अलीगढ़, जागरण टीम। एडीजे छह महेशानंद झा की अदालत ने देहलीगेट क्षेत्र के साढ़े चार पुराने दहेज हत्या के मामले में दोषी पति को सात साल के कारावास की सजा सुनाई है। 30 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। एडीजीसी स्वर्णलता वर्मा के मुताबिक, दिल्ली के थाना गोकुलपुरी क्षेत्र के पुराना मुस्तफाबाद निवासी अल्लाबक्स ने 21 जुलाई 2018 को देहलीगेट थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया था। कहा था कि 11 अप्रैल 2018 को उनकी बेटी आसमा की शादी महफूज नगर गली नंबर तीन निवासी अकरम के साथ हुई थी।
बुलट और रुपये की मांग करता था बेटी का पति
अकरम शादी में दिए गए दान-दहेज से संतुष्ट नहीं था। इसलिए आसमा से मारपीट करता था। दहेज में बुलट बाइक व रुपयों की मांग करता था। 19 जुलाई 2018 की शाम को पिता ने बेटी के जेठ यामीन से बात कीं। तब पता चला कि बेटी की तबीयत खराब होने पर दोपहर में ही उसे अस्पताल में भर्ती करा दिया है। आनन-फानन पिता अपने बड़े भाई अल्लानूर के साथ अस्पताल आए तो बेटी आइसीयू में थी। अस्पताल से जानकारी मिली कि अकरम ने बेटी को कुछ नशीला पदार्थ खिलाकर मारपीट की और फांसी लगा दी। 20 जुलाई को बेटी की मौत हो गई।
पर्स लूटने में बाल अपचारी को तीन साल कारावास की सजा
एडीजे (पाक्सो अधिनियम) सुरेंद्र मोहन सहाय की अदालत ने सिविल लाइन थाना क्षेत्र में साढ़े पांच साल पहले हुई लूट के मामले में बाल अपचारी को दोषी करार देते हुए तीन साल के कारावास की सजा सुनाई है। 10 हजार रुपये जुर्माना भी किया है। विशेष लोक अभियोजक महेश सिंह ने बताया कि बन्नादेवी थाना क्षेत्र के सराय रहमान चौक निवासी जैबी खानव ने सिविल लाइन थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया था। कहा था कि 10 अगस्त 2017 को वह बहन एनी खानव के साथ रिक्शे में ड्रीम होम अपार्टमेंट स्थित आजम मलिक के घर जा रही थीं।
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अपार्टमेंट के गेट के सामने पहुंचते ही पीछे से आए बाइक सवार दो लड़कों ने पर्स छीन लिया, जिसमें आर्टिफिशियल ज्वेलरी व 200 रुपये थे। महिला के शोर मचाने पर लोगों ने दोनों लड़कों को पकड़ लिया। पूछताछ में दोनों बाल अपचारी निकले। पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत कर आरोप पत्र दायर किया। विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि दोनों की पत्रावली अलग हो गई। अदालत ने एक बाल अपचारी को दोषी मानते हुए निर्णय सुनाया है।