ट्रैप के गुरु से कैसे सीखें पिस्टल के गुर Aligarh news
स्पोड स्टेडियम में शूटिंग के खिलाडिय़ों के सामने बड़ी दुविधा है। निदेशालय से संविदा पर भेजे गए कोच ट्रैप शूटिंग के महारथी हैं। शूटिंग की दोनों विधाएं अलग-अलग हैं।
अलीगढ़ [गौरव दुबे] : स्टेडियम में शूटिंग के खिलाडिय़ों के सामने बड़ी दुविधा है। निदेशालय से संविदा पर भेजे गए कोच ट्रैप शूटिंग के महारथी हैं। जबकि शूटिंग हॉल में सीखने वाले खिलाड़ी 10 मीटर एयर पिस्टल व राइफल के खिलाड़ी हैं। शूटिंग की दोनों विधाएं अलग-अलग हैं। ट्रैप के लिए छेरत में शूटिंग रेंज बनी है, इसमें उड़ती हुई प्रतीकात्मक चिडिय़ा को शूट करना होता है। शूटिंग हॉल में 10 मीटर एयर पिस्टल, राइफल व .22 बोर के खिलाड़ी टारगेट पर निशाना साधते हैं। ऐसे में निशानेबाजों को सही गुर सिखाने वाले की तलाश है।
समस्या तो है मगर कोई तोड़ फिलहाल नहीं है
खिलाडिय़ों का कहना है कि पिस्टल व राइफल चलाने की बारीकियां व पोजीशन आदि ठीक करने संबंधी प्रशिक्षण उनको नहीं मिल पा रहा है। अफसर भी मानते हैं कि ये समस्या तो है मगर कोई तोड़ फिलहाल नहीं है। निदेशालय से जो कोच भेजे गए हैं उन्हीं से काम चलाना पड़ेगा। फरवरी में जब रिन्यूवल होंगे तब कोई दूसरे कोच आएं तो स्थिति बदल सकती है। खिलाडिय़ों का कहना है कि, शूटिंग कोच नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोट्र्स (एनआइएस) प्रशिक्षित भी नहीं हैं।
सिखाने में कोच सक्षम नहीं
नेशनल शूटर दीपक भारद्वाज अंग्रेजी के शिक्षक से संस्कृत पढ़ाने को कहा जाएगा तो क्या स्थिति होगी? यही स्थिति स्टेडियम में निशानेबाजों के सामने है। 10 मीटर एयर राइफल व पिस्टल के गुर सिखाने में कोच सक्षम नहीं है। चिन व बैक पोजीशन के बारे में पूछते हैं तो जवाब मिलता है, ये एडजेस्टमेंट का मामला है। अपने हिसाब से एडजेस्ट करो। राइफल किस एंगल पर रखनी है, बैलेंस कैसे बनाएं, बताने वाला कोई नहीं?
10 मीटर एयर पिस्टल विशेषज्ञ नहीं
शूटिंग कोच,मोहम्मद शीस काजमी ट्रैप में नेशनल शूटर हूं। प्रशिक्षण में कमी नहीं है। कुछ निशानेबाजों की लॉबी है जिनको दिक्कत है। निदेशालय ने ट्रायल लेकर भेजा है। सही है कि कोच ट्रैप शूटर हैं, 10 मीटर एयर पिस्टल विशेषज्ञ नहीं। किसी विशेषज्ञ ने आवेदन ही नहीं किया। निदेशालय से जो भेजे गए हैैं, उनकी सेवाएं ली जा रही हैं।