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अस्पतालों में हाउसफुल, नहीं चेत रहा स्‍वास्‍थ्‍य महकमा, जानिए विस्‍तार से Aligarh News

कोरोना की दूसरी लहर में हालात इतने भी भयावह नहीं होते जितने हुए। वजह जिस समय आफत दस्तक दे रही थी उस समय तंत्र जांच और उपचार के लिए जरूरी इंतजाम नहीं हुए। अधिकारी इंतजार करते रहे कि जरूरत के हिसाब से हिसाब से संसाधन बढ़ाएंगे।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 09:43 AM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 09:43 AM (IST)
अस्पतालों में हाउसफुल, नहीं चेत रहा स्‍वास्‍थ्‍य महकमा, जानिए विस्‍तार से Aligarh News
जिला अस्पताल व दीनदयाल चिकित्सालय से मरीज लौटाए जाने लगे हैं।

अलीगढ़. जागरण संवाददाता। कोरोना की दूसरी लहर में हालात इतने भी भयावह नहीं होते, जितने हुए। वजह, जिस समय आफत दस्तक दे रही थी, उस समय तंत्र जांच और उपचार के लिए जरूरी इंतजाम नहीं हुए। अधिकारी इंतजार करते रहे कि जरूरत के हिसाब से हिसाब से संसाधन बढ़ाएंगे। फिर क्या हुआ, यह बताने की अब जरूरत नहीं। यही हाल, डेंगू और बुखार को लेकर हैं। महामारी जैसी स्थिति पैदा होने लगी है। जिस तेजी से मरीज बढ़ रहे हैं, उस तेजी से अस्पतालों में संशाधन बढ़ाने पर जोर नहीं है। हालात ये हैं कि अस्पतालों में हाउसफुल की स्थिति पैदा होने लगी है। जिला अस्पताल व दीनदयाल चिकित्सालय से मरीज लौटाए जाने लगे हैं। जबकि, पीकू वार्डों में भी अब बुखार के रोगी भर्ती किए जा रहे हैं। यदि जल्द ही ठोस रणनीति नहीं बनाई तो कोरोना काल की तरह अस्पतालों में मारामारी मचेगी। स्वास्थ्य विभाग को अब अलर्ट हो जाना चाहिए।

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ऐसे भी अधिकारी होते हैं...

कुछ अधिकारी ऐसे होते हैं, जो दिनभर फरियादियों की पीड़ा सुनते हैं। उनकी समस्या का निस्तारण करते हैं। किसी मजलूम को न्याय दिलाकर उन्हें बहुत सुकून और संतोष मिलता है। ऐसे अधिकारी सभी के प्रिय होते हैं। लेकिन, सेहत महकमें के एक साहब की कार्यशैली से हर कोई खफा है। कर्मचारियों के अवकाश निरस्त कर दिनरात काम कराने के बाद भी तमाम जरूरी फाइलें हस्ताक्षर न होने से धूल फांक रही हैं। रोजाना कर्मचारियों से दुर्व्यवहार व पद के विपरीत अमर्यादित आचरण व भाषा की शिकायतें भी बढ़ रही हैं। पिछले दिनों एक पीड़ित कर्मचारी ने पूछा कि आप ऐसा व्यवहार क्यों करते हैंं। साहब का जवाब सुनकर सभी लोग अवाक रह गए। साहब का जवाब था-जब तक मैं अपने कर्मचारियों व अधीनस्थों से ऐसा व्यवहार न करूं, मुझे खुद के अधिकारी होने की फीलिंग नहीं होती। जिसे काम करना होगा करेगा, वरना नौकरी छोड़ दे। कमाल है साहब जी

साहब पर कर्मचारी ने दिखाई दरियादिली

एक चींटी भी हाथी को पछाड़ सकती है। यह कहावत अब स्वास्थ्य विभाग में चरितार्थ हुई है। पिछले दिनों एक साहब के दफ्तर में लोगों ने झांककर देखा। विभाग के ही लोग एक कर्मचारी से याचना करने में लगे थे। पास ही मेज पर एक कागज और कलम रखी थी। सभी कर्मचारी से कागज पर हस्ताक्षर मांग रहे थे, जिसके अंत में लिखा था- मुझे अब कोई शिकायत नहीं है। जानकारी की तो पता चला कि साहब ने कुछ समय पूर्व ही उक्त कर्मचारी को दुर्व्यवहार कर दफ्तर से भगा दिया था। सेवा समाप्ति की तैयारी कर ली। कर्मचारी ने कई स्तर पर साहब की शिकायत की। तुरंत जांच बैठ गई। साहब फंस गए। किसी ने सलाह दी, शिकायत वापस होने पर ही जान बचेगी। नतीजतन, साहब के तेवर ढीले पड़ गए। कर्मचारी ने दरियादिली दिखाते हुए कागज पर हस्ताक्षर कर दिए। साहब को कुछ तो सीख मिली ही होगी।

दावेदार बोले, संगठन का काम है कमेटियां बनाना

आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए सभी दलों में दावेदार सामने आ रहे हैं। कथित जातिगत फैक्टर व व्यक्तिगत जनाधार के नाम पर हर कोई टिकट पर दावेदारी जता रहा है। पंजेवाली पार्टी में भी अचानक से नए नेता पैदा हो गए। लेकिन, हाईकमान ने पिछले दिनों नया फरमान जारी कर सभी की बेचैनी बढ़ा दी, जिसकी जानकारी जिलाध्यक्ष ने दावेदारों की मीटिंग बुलाकर दी। बताया, हाईकमान से आदेश आए हैं कि जो दावेदार सबसे ज्यादा ग्राम व बूथ कमेटियां बनाएगा, उसे ही प्राथमिकता मिलेगी। यह सुनते ही ज्यादातर दावेदारों का उत्साह ठंडा पड़ गया। कई दावेदार तो चुपके से खिसक लिए। कई दिन बीत चुके हैं, अभी तक एक भी दावेदार की ओर से नई बूथ या ग्राम पंचायत कमेटी गठित करने की सूचना मुख्यालय को नहीं दी है। पूछने पर दावेदार भड़क रहे हैं। उनका कहना है कि- कमेटियां बनाना संगठन का काम है, भावी प्रत्याशी का नहीं।


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