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अलीगढ़ में राजा के नाम पर यूनिवर्सिटी की घोषणा से उनके वंशज खुश

मुरसान नरेश महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर अलीगढ़ में विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा से राजा के वंशज खुश हैं।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 11:54 AM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 05:45 PM (IST)
अलीगढ़ में राजा के नाम पर यूनिवर्सिटी की घोषणा से उनके वंशज खुश
अलीगढ़ में राजा के नाम पर यूनिवर्सिटी की घोषणा से उनके वंशज खुश

अलीगढ़ (जेएनएन): मुरसान नरेश महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर अलीगढ़ में विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा से राजा के वंशज खुश हैं। उनका कहना है कि राजा को यह सम्मान बहुत पहले मिल जाना चाहिए, लेकिन किसी सरकार ने ध्यान ही नहीं दिया। 

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मुरसान (हाथरस) किले में वर्तमान में राजा के पांचवें वंशज गरुड़ध्वज सिंह परिवार समेत रहते हैं। वो सरकार के फैसले से खुश हैं। गरुड़ध्वज ने कहा कि यह उनके लिए गौरव की बात है। सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। राजा ने राष्ट्र व समाज हित में जो काम किए, उन्हें भुलाया नहीं जा सकता। वृंदावन (मथुरा) में प्रेम महाविद्यालय (पीएमवी) पॉलीटेक्निक की 1909 में स्थापना की। 

कौन थे राजा महेंद्र प्रताप?

राजा महेंद्र प्रताप सिंह मुरसान के राजा घनश्याम सिंह के तीसरे पुत्र थे। संतान न होने पर हाथरस के राजा हरनारायण सिंह ने उन्हें गोद ले लिया था। महेंद्र प्रताप मुरसान छोड़कर हाथरस राज्य के राजा बने। हाथरस राज्य का वृंदावन में विशाल महल था, जहां महेंद्र प्रताप का लंबा समय बीता। महेंद्र प्रताप का जन्म एक दिसंबर 1886 को हुआ। 

हाथरस का राजघराना 

हाथरस के राजा दयाराम का 1817 में अंग्रेजों से युद्ध हुआ। अंग्रेजों ने दयाराम को बंदी बना लिया। 1841 में दयाराम का निधन हो गया। उनके बेटे गोविंद सिंह गद्दी पर बैठे। हालांकि 1857 में समझौता होने पर भी अंग्रेजों ने पूरा राज्य न लौटाकर कुछ हिस्सा दिया था। गोविंद सिंह की 1861 में मृत्यु हुई। संतान न होने पर वे पत्नी अतरू रानी कुंवरि को पुत्र गोद लेने का अधिकार दे गए। रानी ने जटोई (मुरसान) के रूपसिंह के बेटे हरनारायण सिंह को गोद ले लिया। हर नारायण के भी संतान नहीं हुई तो उन्होंने महेंद्र प्रताप को गोद लिया। 

एमएओ कॉलेज में ली शिक्षा 

हरनारायण सिंह व एएमयू संस्थापक सर सैयद अहमद खां का अच्छा दोस्ताना था। राजा ने महेंद्र प्रताप का पहले अलीगढ़ के राजकीय इंटर कॉलेज (अब नौरंगीलाल) में दाखिला कराया। बाद में एमएओ (मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल) कॉलेज में दाखिला कराया। यही कॉलेज बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना। महेंद्र प्रताप की स्कूली शिक्षा यहीं हुई। 12वीं के बाद बीए में दाखिला लिया, लेकिन पारिवारिक कारणों से पूरी नहीं कर पाए। 

दाे ट्रेनों में गई थी राजा की बरात 

महेेंद्र प्रताप का जींद (हरियाणा) रियासत के राजा की बेटी से संगरूर में विवाह हुआ। दो स्पेशल ट्रेनों में बरात गई। शादी के बाद कभी महेंद्र प्रताप ससुराल जाते तो उन्हें 11 तोपों की सलामी दी जाती थी। स्टेशन पर अफसर स्वागत करते थे। 

 अफगानिस्तान में बनाई अपदस्थ सरकार 

1906 में जींद के महाराजा की इच्छा के विरुद्ध महेंद्र प्रताप ने कलकत्ता (कोलकाता) में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लिया और वहां से स्वदेशी के रंग में रंगकर लौटे। भारत को आजादी दिलवाने के इरादे से इंग्लैंड, जर्मनी होते हुए अफगानिस्तान पहुंचे। दिसंबर 1915 में काबुल में भारत के लिए अस्थायी सरकार की घोषणा की, जिसके राष्ट्रपति महेंद्र प्रताप व प्रधानमंत्री मौलाना बरकतुल्ला खां बने। 1946 में वे भारत लौटे। 26 अप्रैल 1979 में निधन हो गया। 


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