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पोखर प्रकरण में उद्योगपतियों को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत Aligarh News

गूलर रोड पोखर प्रकरण में आरोपित चार उद्योगपतियों की अग्रिम जमानत हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली। शर्त भी रखी है कि आरोपित कोर्ट की अनुमति के बगैर देश छोड़कर नहीं जाएंगे।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sat, 27 Jul 2019 09:06 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jul 2019 07:46 AM (IST)
पोखर प्रकरण में उद्योगपतियों को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत Aligarh News
पोखर प्रकरण में उद्योगपतियों को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत Aligarh News

अलीगढ़ (जेएनएन)। बहुचर्चित गूलर रोड पोखर प्रकरण में आरोपित चार उद्योगपतियों की अग्रिम जमानत हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली। शर्त भी रखी है कि आरोपित कोर्ट की अनुमति के बगैर देश छोड़कर नहीं जाएंगे। उनके पासपोर्ट एसएसपी कार्यालय में जमा रहेंगे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद उद्योगपतियों को राहत मिली है। अब सभी की नजर पुलिस विवेचना पर टिकी है। विवेचना पूरी होने पर अग्रिम जमानत स्वत: ही खत्म हो जाएगी।

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यह है मामला

नगर निगम के राजस्व निरीक्षक राकेश टार्जन बाबू ने 24 जून को थाना बन्नादेवी में कारोबारी महेशचंद्र अग्रवाल निवासी अशोक नगर, सुशील चौधरी निवासी मसूदाबाद, राजीव कुमार गर्ग, शशि गर्ग पत्नी सूरज, श्याम किशोर निवासी मित्रनगर, पूनम गुप्ता पत्नी प्रवीन गुप्ता निवासी मेलरोज बाईपास के विरुद्ध रिपोर्ट लिखाई थी। इसमें फर्जी दस्तावेजों से धोखाधड़ी कर सरकारी भूमि पर कब्जे आदि का आरोप था। मुकदमे के विरुद्ध महेशचंद्र अग्रवाल, सुशील चौधरी, राजीव गर्ग, शशि गर्ग व पूनम गुप्ता हाईकोर्ट चले गए। कोर्ट ने अपील खारिज कर 15 दिन में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल करने के आदेश दिए थे। पूनम को छोड़कर बाकी चार आरोपितों ने सेशन कोर्ट में अर्जी दी, जिसे कोर्ट ने 17 जुलाई खारिज कर दिया। इसके बाद कारोबारियों ने अग्रिम जमानत के लिए हाइकोर्ट में अपील की, जिसे हाईकोर्ट ने सशर्त मंजूरी दी है। पूनम गुप्ता प्रार्थना पत्र दे चुकी थीं कि वे दो हजार वर्गमीटर का बैनामा सरेंडर कर चुकी हैं। नगर निगम की ओर से दो वकीलों ने जमानत का विरोध किया था।

आपातकाल के बाद अग्रिम जमानत का पहला मामला

आपातकाल के बाद अलीगढ़ का ये शायद पहला मामला हैं, जिसमें अग्रिम जमानत मिली हो। वर्ष 1976 में आपातकाल के दौरान अग्रिम जमानत की व्यवस्था खत्म कर दी गई थी। बाद में यूपी व उत्तराखंड को छोड़ बाकी प्रदेशों में यह व्यवस्था शुरू हो गई। हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इसे पुर्नस्थापित करने के निर्देश मिल रहे थे। अग्रिम जमानत की व्यवस्था न होने से हाईकोर्ट पर दबाव पडऩे लगा था, क्योंकि लोग संज्ञेय अपराधों में अरेस्टिंग स्टे के लिए कोर्ट में याचिकाएं कर रहे थे। योगी सरकार आने के बाद ये मुद्दा फिर उठा। राष्ट्रपति ने सीआरपीसी की धारा 438 (अग्रिम जमानत) फिर से लागू करने के विधेयक को एक जून-19 को मंजूरी दे दी। इसके बाद अधिसूचना जारी कर दी गई।

एससी-एसटी एक्ट में नहीं मिलेगा लाभ

अग्रिम जमानत की व्यवस्था एससी-एसटी एक्ट समेत कई गंभीर अपराध के मामलों में लागू नहीं होगी। आतंकी गतिविधियों से जुड़े मामले, ऑफिशियल एक्ट, नारकोटिक्स एक्ट, गैंगस्टर एक्ट व मौत की सजा से जुड़े मुकदमों में भी इसका लाभ नहीं मिलेगा। आवेदन आने के बाद 30 दिन में इसका निस्तारण करना होगा।

प्रोटेस्ट पर आठ को सुनवाई

इस प्रकरण में प्रशांत ग्रुप के मालिक एक्सपोर्टर रमेश चंद्र सिंघल निवासी सराय लवरिया, उनके बेटे निशांत व प्रशांत के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ था। पुलिस ने विवेचना में इनके नाम निकालकर अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी। इन्हीं के साथ नामजद सात लोगों की विवेचना चलती रही। इसके विरुद्ध नगर निगम ने प्रोटेस्ट दाखिल कर दिया। जिस पर आठ अगस्त को सुनवाई है।

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