Hello Doctor : डेंगू का सीजन है, मरीज न खाएं दर्द निवारक दवाएं Aligarh news
डेंगू से घबराने या चिंता करने की जरूरत नहीं। जैसे बाकी बुखार होते हैं यह भी वैसा ही है। यह एक से दो सप्ताह के भीतर ठीक हो जाता है बशर्ते सावधानी बरती जाए।
अलीगढ़ (जेएनएन)। डेंगू से घबराने या चिंता करने की जरूरत नहीं। जैसे बाकी बुखार होते हैं, यह भी वैसा ही है। यह एक से दो सप्ताह के भीतर ठीक हो जाता है, बशर्ते सावधानी बरती जाए। केवल ब्लीडिंग, उल्टी, दर्द व कमजोरी आने पर ही भर्ती होने की जरूरत है। यह जानकारी 'हेलो डॉक्टर' में जेएन मेडिकल कॉलेज में डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हुसैनी एस हैदर मेहंदी ने पाठकों के सवालों के जवाब में दी।
डेंगू व सामान्य बुखार के लक्षणों में क्या अंतर है? -अभिनव सिंगल, राधिकापुरम
- डेंगू में भी बुखार के साथ जुकाम हो सकता है। यदि ब्लीडिंग, उल्टी, दर्द, मुंह स्वाद बिगडऩा व कमजोरी भी होने लगे तो खतरे की घंटी या गंभीर डेंगू हो सकता है।
बुखार, सिरदर्द व बदन दर्द की शिकायत हो तो कौन सी दवा खाएं? - दीपक कुमार, प्रतिभा कॉलोनी
- डेंगू का सीजन है। सामान्य वायरल समझकर खुद से इलाज न करें। दर्द निवारक दवा तो बिल्कुल न खाएं। इससे प्लेटलेट्स लॉस होगा और उनकी सक्रियता भी कम होगी। दो से तीन लीटर ओआरएस का घोल व क्रोसिन टेबलेट ही पर्याप्त है। दिक्कत ज्यादा हो तो डॉक्टर के पास जाएं।
डेंगू कितना खतरनाक है? क्या इसमें विशेष उपचार की जरूरत है? -किशन चंद, अतरौली
- एक फीसद मामलों में ही डेंगू से मरीज की मौत होती है। वह भी मरीज की लापरवाही और डेंगू से भयभीत हो जाने के कारण। डेंगू का कोई विशेष उपचार नहीं, केवल परेशानी का इलाज होता है। मरीजों को सलाह है कि वे डेंगू से भयभीत न हों।
डेंगू में प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए पपीते के पत्ते का रस, बकरी का दूध व कीवी फल कितना लाभप्रद है?- तफज्जुल अली, नगला पटवारी
- यह मात्र भ्रांति है। प्लेटलेट्स का पपीते के पत्ते का रस, बकरी का दूध व कीवी फल से कोई संबंध नहीं। इनके सेवन से उल्टी ही आ जाएगी।
डेंगू से बचाव के लिए क्या-क्या उपाय करें? -मशकूर, अमीर निशा
- डेंगू से बचाव ही इलाज है। डेंगू का मच्छर साफ पानी में फैलता है। आसपास से डेंगू के सभी स्रोत नष्ट कर दें। पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें। रात को सोते समय मच्छरदानी लगाएं। हल्के रंग के कपड़े पहनें। गड्ढे व अन्य रुके पानी में मिïट्टी का तेल डालें, ताकि लार्वा न पनपें।
इन्होंने लिया परामर्श
छेरत से कपिल कुमार, खैर के चौधाना से कालीचरण, सासनी से ज्वाला प्रसाद, भवीगढ़ से तेज सिंह, सारसौल से दलवीर सिंह, चंडौस से अजीम अख्तर, खैर रोड से दिलीप सिंह, गांधी नगर से योगेश, चंडौस से कुंवरपाल सिंह, सारसौल से जसवंत प्रजापति आदि।