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अलीगढ़ में स्वास्थ्य मंत्री ने अधिकारियों को दिखाई दावों की हकीकत, दो निलंबित aligarh news

अफसरों को नसीहत दी कि यदि अपना काम ईमानदारी से करेंगे कि तो परिणाम जरूर अच्छे आएंगे।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Wed, 14 Aug 2019 10:23 PM (IST)Updated: Thu, 15 Aug 2019 08:00 AM (IST)
अलीगढ़ में स्वास्थ्य मंत्री ने अधिकारियों को दिखाई दावों की हकीकत, दो निलंबित aligarh news
अलीगढ़ में स्वास्थ्य मंत्री ने अधिकारियों को दिखाई दावों की हकीकत, दो निलंबित aligarh news

अलीगढ़ (जेएनएन)।  स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर किए गए दावों की हकीकत स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह को अलीगढ़ में कुछ और ही मिली। उन्होंने बदहाली की तस्वीर बुधवार को मंडलायुक्त सभागार में दिखाई तो अधिकारियों के होश उड़ गए। सरकारी अस्पतालों की वयवस्थाओं व सुविधाओं की पांच दिन पहले तैयार कराई गई वीडियो व तस्वीरों से उपलब्धियों के आंकड़ों की सचाई बताते हुए जमकर खरीखोटी सुनाई। अधिकारी अपने आंकड़ों से फील गुड महसूस करा रहे थे लेकिन मंत्री ने कच्चा चिट्ठा खोल दिया। लापरवाही में हाथरस जनपद की सीएचसी सहपऊ व एटा की सीएचसी सकीट के एमओआइसी को निलंबित कर दिया।  दोनों जनपदों के सीएमओ को भी फटकार भी लगाई।

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अधिकारियों को दी नसीहत

संचारी रोग नियंत्रण व विभागीय योजनाओं की मंडलीय समीक्षा बैठक में उन्होंने अलीगढ़ की अकराबाद  सीएचसी के एमओआइसी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए। यहां सीएचसी परिसर में जलभराव, गंदगी व अन्य अव्यवस्थाएं पाई गईं। लखनऊ में तैनात व एटा के प्रभार देख रहे संयुक्त निदेशक डॉ. राजकुमार को अस्पतालों में बदहाली के लिए निदेशालय से हटाकर फील्ड में भेजने को कहा। साथ ही मलखान सिंह जिला अस्पताल में पुराने सीएमओ कार्यालय भवन को ध्वस्त करने के निर्देश दिए। अफसरों को नसीहत दी कि यदि अपना काम ईमानदारी से करेंगे कि तो परिणाम जरूर अच्छे आएंगे।

जो बताया गया, वह हकीकत नहीं

उपलब्धियों का बखान कर रहे अधिकारियों को रोकते हुए मंत्री ने कहा कि मैं ऐसा नहीं कि  दौरे से पहले दुरुस्त की गई सफाई व व्यवस्था से संतुष्ट हो जाऊं। हकीकत की रिपोर्ट पांच दिन पहले तैयार करा ली थी। जो बताया जा रहा है, वैसा हकीकत में नहीं है। हालात बदलने के लिए मेहनत की जरूरत है।

पांच दिन पहले ही मंत्री के दूतों ने खंगाल लिए अस्पताल

संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम व स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा के लिए स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह भले ही बुधवार को अलीगढ़ आए, मगर अस्पतालों की बदहाली से पहले ही वाकिफ हो चुके थे। दरअसल, पांच दिन पूर्व ही उनके विशेष दूतों ने मंडल के कई सरकारी अस्पताल खंगालकर उनकी असली तस्वीर मंत्री के सामने रख दी। ऐसे में जब अधिकारियों ने अस्पतालों में मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं के सब्जबाग दिखाने शुरू किए तो मंत्री ने एक झटके में ही उनकी कलई खोल दी।

अधिकारियों ने दी सफाई

करीब ढाई बजे शुरू हुई समीक्षा बैठक में सर्वप्रथम मंडलायुक्त अजयदीप सिंह ने मंत्री को सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर व स्पेशलिस्ट की कमी से अवगत कराया कि 729 पदों के सापेक्ष 312 पद ही भरे हैं। काफी डॉक्टर गायब भी हैं। ओपीडी से लेकर वार्डों में बेहतर सुविधाएं मिलने के दावे किए। साफ-सफाई आदि को भी संतोषजनक बताया। हमेशा की तरह मंडलायुक्त ने दीनदयाल अस्पताल में मरीजों को दी जा रही सेवाओं का हवाला दिया। आंकड़े भी रखे।

आपकी रिपोर्ट से नहीं चलेगा काम

मंत्री ने कहा कि मैं ऐसे आंकड़ों से संतुष्ट नहीं होता। यहां आने से पूर्व ही अपनी टीम से अस्पतालों का निरीक्षण करा लिया था। मंडलायुक्त की बात खत्म होते ही मंत्री के इशारे पर सभागार में जगह-जगह लगे प्रोजेक्टर पर सरकारी अस्पतालों की बदहाली की असली तस्वीर दिखाई देने लगी। अकराबाद सीएचसी पर मरीजों को केवल दलिया खिलाई जाने, वार्ड ब्वॉय द्वारा मरीज को इंजेक्शन लगाने, गंदगी, जलभराव, एटा जिला अस्पताल व सकीट सीएचसी पर भी कमोबेश यही स्थिति दिखाई दी। सीएचसी पर तो कूलर व बाल्टी आदि में लार्वा तक दिखाई दे रहा था। मंत्री ने कहा यह शर्मनाक है। हाथरस व एटा के सीएमओ को फटकार लगाई। प्रभारी संयुक्त निदेशक डॉ. राजकुमार से कहा कि आप ध्यान नहीं रख सकते तो लखनऊ से हट जाएं। महानिदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) डॉ. पदमाकर सिंह ने अलीगढ़ में सुधार की जरूरत बताई। महानिदेशक (परिवार कल्याण) डॉ. बद्री विशाल, अपर निदेशक (संक्रामक रोग) डॉ. आरके शर्मा, सीएमओ डॉ. एमएल अग्रवाल, हाथरस सीएमओ डॉ. रूपेंद्र गोयल, जेडी हेल्थ डॉ. कुलदीप सिंह, एसीएमओ डॉ. पीके शर्मा, डॉ. एसपी सिंह, डिप्टी सीएमओ डॉ. दुर्गेश कुमार, डीएमओ डॉ. राहुल कुलश्रेष्ठ आदि अफसर मौजूद रहे।

बीमारियों पर नया प्रयोग

मंत्री ने पत्रकारों से वार्ता के दौरान कहा कि मंडलवार समीक्षा शुरू की है। संचारी रोग नियंत्रण अभियान के अच्छे परिणाम आए हैं। डेंगू-मलेरिया की रिपोर्ट अब नहीं आ रही। यह नया प्रयोग है, इसमें इलाज के साथ अब बीमारी के रोकथाम व जागरूकता पर जोर दिया जा रहा है। समस्त विभागों  के अफसरों को निर्देश दिए कि कार्यालय में काम से आए लोगों का मेहमान की तरह स्वागत करें।

भ्रष्टाचार पर चुप्पी

स्वास्थ्य मंत्री ने जेम पोर्टल के माध्यम से खरीद में हो रही धांधली पर संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। जांच कराने का आश्वासन देने की बजाय मीडिया से ही सबूत मांगने लगे। दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की बजाय, ऐसे मामलों को उजागर करने के लिए कुछ कर्मचारियों को ही कटघरे में खड़ा किया। बोले, ऐसे कर्मचारियों के बारे में मुझे जानकारी है। अस्पतालों की इमरजेंसी से सामान्य मरीजों को मेडिकल कॉलेज रेफर करने के सवाल पर कहा कि ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया।


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