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स्‍वास्‍थ्‍य विभाग बेखबर, दो हजार से ज्यादा झोलाछाप शहर में चला रहे क्‍लीनिक व हास्‍पिटल Aligarh news

स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता कहें या कुछ और। जनपद में झोलाछाप शहर से लेकर देहात तक लोगों की जिंदगी से खेल रहे हैं। यही नहीं इन लोगों ने अब झोला छोड़कर बाकायदा क्लीनिक व हास्पिटल तक खोल लिए हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 09:03 AM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 09:03 AM (IST)
स्‍वास्‍थ्‍य विभाग बेखबर,  दो हजार से ज्यादा झोलाछाप शहर में चला रहे क्‍लीनिक व हास्‍पिटल Aligarh news
जनपद में झोलाछाप शहर से लेकर देहात तक लोगों की जिंदगी से खेल रहे हैं।

अलीगढ़, जेएनएन :  स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता कहें या कुछ और। जनपद में झोलाछाप शहर से लेकर देहात तक लोगों की जिंदगी से खेल रहे हैं। यही नहीं, इन्होंने अब झोला छोड़कर बाकायदा क्लीनिक व हास्पिटल तक खोल लिए हैं। इससे लोगों के लिए डिग्रीधारक डाक्टर व  झोलाछापों में भेद करना मुश्किल हो रहा है। हैरानी की बात ये है कि झोलाछापों की शिकायतें स्वास्थ्य विभाग से लेकर शासन तक पहुंच रही हैं, लेकिन विभाग खुद झोलाछापों का बचाव करते नजर आता है। इससे झोलाछापों के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही।  अब विभाग ने फिर से अभियान शुरू किया है। बुधवार को अनूपशहर रोड स्थित एक हास्पिटल पर छापा मारा, जो बिना लाइसेंस के चलते मिला। फिर भी हास्पिटल को सील नहीं किया। 

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2000 से ज्यादा झोलाछाप

जिले में 2000 से ज्यादा झोलाछाप होने की आशंका है। दरअसल, जिले में 867 ग्राम पंचायतें हैं। एक ग्राम पंचायत में कम से कम दो-तीन झोलाछाप मिल ही जाएंगे। शहरी क्षेत्र में भी झोलाछापों की कमी नहीं हैं। विभाग की बात करें तो सीएमओ कार्यालय में करीब 560  पैथोलाजी लैब, क्लीनिक, नर्सिंग होम, अल्ट्रासाउंड सेंटर  पंजीकृत हैं। इनमें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के 300 ही सदस्य हैं।  फिर भी, विभाग को झोलाछापों की कोई चिंता नहीं। 

 आपरेशन तक कर रहे झोलाछाप

एक अनुमान के मुताबिक जनपद में 2000 से अधिक झोलाछाप हैं। सामान्य हो या गंभीर मरीज, ये लोग हर मरीज का स्वागत ग्लूकोज की ड्रिप लगाकर करते हैं। ऐसे लोगों ने क्लीनिक ही नहीं, नर्सिंग होम तक खोल रखे हैं। मरीज को लंबे समय तक इलाज के नाम पर रोके रखा जाता है और जब मामला बिगडऩे लगता है तो आनन-फानन रेफर कर देते हैं। यही नहीं, कई हॉस्पिटल में झोलाछाप मरीजों का ऑपरेशन तक कर रहे हैं। ऐसे कई मामलों की जांच भी लंबित हैं। 

झोलाछापों पर सरकारी चाबी 

झोलाछापों के खिलाफ शिकायतें बढ़ने पर विभाग कार्रवाई के नाम पर केवल दिखावा करता रहा है। झोलाछापों को संरक्षण देने में सीएमअो कार्यालय के बाबू भी पीछे नहीं। वे अफसरों को  केवल उन्हीं झोलाछापों के यहां टीम पहुंचती है, जो कर्मचारियों को फील गुड नहीं कराते। यदि अधिकारी कार्रवाई कर दे तो उसे मैनेज करने में जुट जाते हैं। कई बार अधिकारियों की भूमिका भी सवाल उठ चुके हैं। ऐसा भी हुआ है कि शिकायत पर छापेमारी हुई। रिपोर्ट बनी, मगर कार्यवाही दब गई।  

फिर कसी विभाग ने कमर 

झोलाछापों के खिलाफ फिर शिकायतें बढ़ गई हैं। सीएमओ डा. बीपीएस कल्याणी ने झोलाछापों के खिलाफ अभियान चलाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि  बिना रजिस्ट्रेशन के क्लीनिक या हास्पिटल चलाने वाले चिकित्सकों को भी झोलाछाप की श्रेणी में रखते हुए कड़ी कार्रवाई होगी।  

पंजीकरण के बिना ही हास्पिटल संचालित, ओटी व आइसीयू भी 

अलीगढ़ः सीएमओ के निर्देश पर बुधवार को एसीएमओ डा. अनुपम भास्कर ने अनूपशहर रोड स्थित जेडबी हास्पिटल पर छापा मारा। सीएमअो को शिकायत मिली थी कि यह हास्पिटल बिना पंजीकरण के चल रहा है। आपरेशन थिएटर व आइसीयू जैसी कथित सुविधाएं भी दी जा रही हैं। सीएमअो के अनुसार संचालक पंजीकरण से संबंधित कागज तो नहीं दिखा पाया, मगर उसने आवेदन किए जाने की बात कही। इसलिए उसे आवेदन से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए मोहलत दी गई है। अब सवाल ये है कि संचालक ने आवेदन भी कर रखा हो, तो भी वह बिना पंजीकरण के कैसे मरीजों का इलाज कर सकता है। देखना ये है कि इस हास्पिटल के खिलाफ विभाग कार्रवाई करता है या नहीं।


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