सरहद पर दुश्मन से और गांव में कुरीतियों से जंग लड़ रहे अलीगढ़ के हवलदार ललित कुमार
जंग शुरू होती हैं और खत्म हो जाती है। कुछ लोगों की जंग हमेशा जारी रहती है। इनमें एक नाम हवलदार ललित कुमार का भी है।
अलीगढ़ (पुनीत गोयल)। जंग शुरू होती हैं और खत्म हो जाती है। कुछ लोगों की जंग हमेशा जारी रहती है। इनमें एक नाम हवलदार ललित कुमार का भी है। देश की सरहद पर खम ठोकने वाले इस जवान की जंग छुट्टियों में घर लौटने पर भी जारी रहती है। यहां यह जंग सामाजिक बुराइयों, पर्यावरण प्रदूषण, बिजली के दुरुपयोग, यातायात नियमों की अनदेखी व अन्य समस्याओं के खिलाफ होती है। ललित के इस जज्बे को हर कोई सलाम करता है।
बचपन से ही था जज्बा
मूलरूप से टप्पल क्षेत्र के गांव बूढ़ाका निवासी ललित कुमार कस्बा जट्टारी में रहते हैं। बचपन से ही देश के लिए कुछ करने की ठानी थी, इसलिए सेना में भर्ती हो गए। इस समय 25 ग्रेनेडियर ग्वालियर में हवलदार हैैं। बात 10 साल पुरानी है। वे छुट्टियों में गांव आए थे। रास्ते में एक किशोर को शराब पीते देखा तो अंतररात्मा रो उठी। कुछ दिन बाद किशोर की मां ललित से मिली और बेटे को शराब की लत से छुटकारा दिलाने की गुहार लगाई। ललित ने उसी दिन नशामुक्त समाज बनाने का बीड़ा उठा लिया। वह जब भी छुट्टी आते हैं, सप्ताहभर ही घर को दे पाते हैं। इसके बाद जागरूकता अभियान शुरू हो जाता है।
सुबह होते ही रवानगी
ललित सुबह छह बजे घर से बाइक लेकर निकल जाते हैैं। वापस लौटने का कोई समय नहीं होता। गांव-गांव नुक्कड़ सभाएं कर युवाओं को नशे के प्रति जागरूक करते हैं। बिजली-पानी की फिजूलखर्ची रोकने, पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ लगाने, यातायात नियमों का पालन, बाइक धीमी रफ्तार से चलाने व हेलमेट के प्रति लोगों को जागरूक करते हैैं। जट्टारी, टप्पल, खैर समेत अलीगढ़, मथुरा व हरियाणा के करीब 870 गांवों में अभियान चला चुके हैैं। घर से दूर होने पर रात्रि प्रवास किसी भी गांव में कर लेते हैैं।
परिजनों का सहयोग
इस मुहिम में परेशानियां भी आईं, पर वे डटे रहे। मां मुन्नी देवी का आशीर्वाद मिला। पत्नी चंचल देवी व बेटा रूपेश सपोर्ट करते रहे हैैं। ललित बताते हैैं कि हम इन कुरीतियों व बुरी आदतों के प्रति नहीं चेते तो गंभीर नतीजे होंगे।