Pitru Paksha: पितरों को खुश रखने को बाजारों में हो रही खरीदारी
Pitru Paksha तर्पण से ही नहीं घरों में नई वस्तुएं व सामान के आने से पितरों की खुशियां बढ़ जाती है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि पर्व में शुभ कार्य व खरीदारी शास्त्रों में कहीं भी वर्जित नहीं है। बाजारों में हो रही खरीदारी इसका श्रेष्ठ उदाहरण है।
हाथरस, जागरण संवाददाता: पितृपक्ष पूजा-अर्चना का पर्व है। पितर धरती आकर अपने वंशजों के यहां निवास करने आते हैं। उन्हें खुश देखकर उनकी प्रसन्नता बढ़ जाती है। तर्पण से ही नहीं घरों में नई वस्तुएं व सामान के आने से पितरों की खुशियां बढ़ जाती है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि पर्व में शुभ कार्य व खरीदारी शास्त्रों में कहीं भी वर्जित नहीं है। बाजारों में हो रही खरीदारी इसका श्रेष्ठ उदाहरण है।
पितरा देवों के समान होते हैं। पितृ पक्ष में पितरों की पूजा अर्चना होती है। पितृ पक्ष दस सितंबर से शुरू हो गया है। ज्योतिषाचार्य पं. सुभाष दीक्षित बताते हैं कि पूर्वज देवों के समान होते हैं। यही समझकर सभी लोग उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। फिर पितृ पक्ष अशुभ क्यों समझा जाता है। पितर इन दिनों अपने वंशजों के यहां निवास करके उनके क्रिया कलापों को देखते हैं। वंशजों के खुश रहने से उन्हें भी खुशी मिलती है। घर में नया सामान आने या खरीदारी कर लाए गई वस्तुओं को देखकर उन्हें खुशी होती है।
महत्व नहीं रखते लोकाचार
सुभाष दीक्षित बताते हैं कि पितृ पक्ष में खरीदारी नहीं करने के लिए शास्त्रों में कहीं भी कोई वर्णन नहीं है। यह एक पुण्यकाल होता है। इसमें मुंडन, गृह प्रवेश, विवाह वर्जित हैं। इसके अलावा सभी कार्य शुभ माने गए हैं। पितरों को खुश करने के लिए कपड़े, पूजा का सामिग्री व अन्य सामान की खूब खरीदारी हो रही है। खरीदारी नहीं करना लोकाचार बना हुआ है। इसका कोई महत्व नहीं होता।
पितृ पक्ष में बढ़ गई बाजारों में खरीदारी
पितृ पक्ष नव दुर्गा से पूर्व का समय होता है। इनमें पूजा अर्चना की सामिग्री के साथ अन्य सामान की भी खरीदारी की जा रही है। नवदुर्गा पर्व को लेकर भी अभी से खरीदारी शुरू हो गई है। बाजारों में दुकानदार सुबह से ही दुकान खोलकर बिक्री कर रहे हैं। शहर में कपड़े, फुटवियर, इलेक्ट्रोनिक्स, इलेक्ट्रीकल, फर्नीचर व अन्य सामान की खरीदारी की जा रही है। रविवार को अवकाश में बाजारों में खरीदारी की गई।
पब्लिक बोल
पूर्वजों की परंपरा, गोत्र, संस्कार, धन-संपदा से जीवन आगे बढ़ता है। पितृ पक्ष में उन्हीं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। ऐसे में अपने वंशजों को खरीदारी करते देख पितृ खुश होते हैं। -नवल किशोर, दुकानदार
पितर पक्ष में खरीदारी कभी बंद नहीं होती। माल हो या बाजार सभी जगह खरीदारी पूर्व की तरह चलती है। कुछ लोगों द्वारा बनाई गई भ्रांतियां भी टूट रहीं हैं। युवाओं के साथ बुजुर्ग भी खरीदारी कर रहे हैं। -ललित कुमार, दुकानदार
कपड़ों की खरीदारी करने बाजार आए हैं। पितर पक्ष में हम हर साल खरीदारी करते हैं। शास्त्रों में भी इसे नहीं करने का कोई उल्लेख धर्माचार्य नहीं बताते हैं। पितृ पक्ष में कभी बाजार बंद होते नहीं देखे। -जगमोहन शर्मा, ग्राहक
पितर पक्ष शुभ होता है। नई वस्तुओं को खरीदने की मनाही शास्त्रों में कहीं भी उल्लिखित नहीं है। कुछ लोगों ने यह लोकाचार बना रखा है। जो उचित नहीं है। घरों में धन, संपत्ति की खरीदारी कभी भी की जा सकती है। -पं. सुभाष दीक्षित, ज्योतिषाचार्य