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हरिश्चंद्र सिघल ने ईमानदारी की नींव पर खड़ी की सेवा की विरासत

समाजसेवी और कृष्णा इंटरनेशन स्कूल के संस्थापक हरिश्चंद्र सिघल।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Nov 2020 01:38 AM (IST)Updated: Sun, 01 Nov 2020 01:38 AM (IST)
हरिश्चंद्र सिघल ने ईमानदारी की नींव पर खड़ी की सेवा की विरासत
हरिश्चंद्र सिघल ने ईमानदारी की नींव पर खड़ी की सेवा की विरासत

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : समाजसेवी और कृष्णा इंटरनेशन स्कूल के संस्थापक हरिश्चंद्र सिघल ने ईमानदारी की नींव पर सेवा की विरासत खड़ी की। गरीबों के वो हमेशा संबल बने, निराशा में डूबे लोगों की उम्मीदों की वो किरण बने। ईमानदारी की पाठशाला में वो ऐसे पढ़े और गढ़े गए कि जीवन में एक तपस्वी की तरह रहे। इसलिए सरकारी नौकरी में होने के बाद भी हरीशचंद्र सिघल के पास 1986 तक अपना मकान नहीं था। मगर, सच्चाई के रास्ते पर चलने के कारण उन्हें ऐसा आशीर्वाद मिला कि शिक्षा की एक नई अलख जगाई, उद्योग जगत में भी परिवार ने ऊंचाइयां छुई। जरूरतमंदों के लिए इलाज की निश्शुल्क व्यवस्था कराई। परिवार के सदस्य उनकी सेवा की इस विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प ले चुके हैं।

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समाजसेवी हरिश्चंद्र सिंघल का 29 अक्टूबर को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया था। वे कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। 81 वर्ष की उम्र में भी वह चुस्त-दुरुस्त दिखा करते थे। सिचाई विभाग के इंजीनियर पद पर थे। उनके पुत्र प्रवीण अग्रवाल ने बताया कि पिताजी ने नौकरी में हमेशा ईमानदारी से काम किया। 1999 में वह सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद व्यापार को गति दी। गूलर रोड स्थित आवास के निकट ही गरीबों के लिए उन्होंने निश्शुल्क इलाज की व्यवस्था कराई। चैरिटेबिल होम्योपैथिक दवा खाना में प्रतिदिन करीब 150 मरीजों का इलाज होता है। 2007 में उन्होंने कृष्णा इंटरनेशनल स्कूल की स्थापना की। उनका कहना था कि शहर में शिक्षा के बड़े केंद्र हैं, मगर जीटी रोड की तरफ अच्छी शिक्षा की व्यवस्था नहीं है। उन्होंने ही स्कूल में स्टाफ के बच्चों को फ्री पढ़ाने का निर्णय लिया। प्रवीण अग्रवाल ने कहा कि पिताजी कहा करते थे कि कठिन परिश्रम का कोई पर्याय नहीं है। इसलिए इससे घबराना नहीं चाहिए। इस सूत्र वाक्य को परिवार ने अपने जीवन में उतारा और सफलता हासिल की। सुखद है कि वह अपने प्रपौत्र को देखकर गए। पत्नी कृष्णा सिघल, पुत्र प्रवीन अग्रवाल, मुकेश सिघल, भाई दिनेश चंद्र अग्रवाल, मुकुट बिहारी लाल अग्रवाल, मुरारी लाल अग्रवाल, रमेश चंद्र सिघल, विनोद सिघल, सुरेश सिघल आदि हैं, जिन्होंने सेवा की विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।


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