UP Government serious on illegal construction: 48 वर्ष में 5000 अवैध निर्माण, अब ऐसे होगी कार्रवाई Aligarh News
अवैध निर्माण को लेकर शासन बेहद गंभीर हो गया है। शीघ्र अंकुश लगाने के लिए शासन स्तर पर एक पोर्टल बनाया जा रहा है। इस पोर्टल पर उस अवैध निर्माण का नोटिस अपलोड किया जाएगा।
अलीगढ़ (जेएनएन)। अवैध निर्माण को लेकर शासन बेहद गंभीर हो गया है। शीघ्र अंकुश लगाने के लिए शासन स्तर पर एक पोर्टल बनाया जा रहा है। इस पोर्टल पर उस अवैध निर्माण का नोटिस अपलोड किया जाएगा। साथ ही मौके का फोटो भी उसपर जियो टैग करना होगा। इसके बाद सॉफ्टवेयर आगे की कार्रवाई खुद करेगा। दो दिन में लखनऊ में आयोजित प्रमुख सचिव की बैठक में इस लागू करने पर चर्चा हुई है। खास बात यह है कि अलीगढ़ में 48 वर्ष के अंदर अब तक करीब पांच हजार रुपये अवैध निर्माण हो चुके हैं।
अब ऐेसे होगी कार्रवाई
अवैध निर्माण का नोटिस देने के बाद अब प्रवर्तन प्रभारी भवन स्वायिमों के साथ सेटिंग नहीं कर सकेगा। इसको लेकर शासन बेहद गंभीर हो गया है। मंगलवार को लखनऊ में आयोजित बैठक में यहां से वीसी मनमोहन चौधरी, प्रभारी सचिव डीएस भदौरिया शामिल हुए। इसमें बताया गया कि इस सॉफ्टवेयर में नोटिस के आगे की सुनवाई की तारीख, सीलिंग और ध्वस्तीकरण के नोटिस ऑटोमैटिक जनरेट होंगे। इससे अधिकारी इसे नजरअंदाज नहीं कर सकेगा, क्योंकि जिस अधिकारी के पास ऐसे मामले पेंडिंग होंगे, उनसे सवाल-जवाब किया जाएगा।
सेल्फी के साथ देना होगा सुबूत
अभियंता अवैध निर्माण को चिन्हित करने के लिए मौके पर जाएगा। यहां पर एक सेल्फी लेकर ऑनलाइन जियो टैगिंग करेगा। इसी के बाद एप खुद ही नोटिस बना देगा। नोटिस की आगे की कार्रवाई भी स्वयं होती रहेगी।
छह महीने बाद सर्वे
इसके साथ ही हर छह महीने बाद प्राधिकरण के दायरे में सेटेलाइट सर्वे हुआ करेगा। इसमें हर बार यह निर्माण कार्यों की स्थिति की जांच किया जाएगा। ऐसे में छह महीने में खुले क्षेत्रों में जितने निर्माण हुआ करेंगे, उनके यहां नक्शा से मिलान होगा। इसके बाद अगर नक्शा पास नहीं हुआ करेगा तो संबंधित अभियंता से जवाब लिया जाएगा। इससे बिना नक्शे बसने वाली कॉलोनियों पर अंकुश लग सकेगा। बिल्डिंग प्लान में नक्शों की ऑटो जांच होगी।
अब तक ऐसे होता है खेल
सभी अभियंताओं के पास उनके क्षेत्र के हर अवैध निर्माण की जानकारी होती है। ऐसे में जैसे ही अवैध निर्माण शुरू होता है तो वह चुप रहते हैं। थोड़ा काम हो जाता है तो वहां पर पहुंचकर नोटिस देते हैं। फिर नोटिस देने के बाद सेटिंग का सिलसिला शुरू होता है। जब मामला सेट हो जाता है तो नोटिस देने के बाद आगे की कार्रवाई को रोक दिया जाता है। इतने समय में अवैध निर्माण करने वाला बिल्डिंग खड़ी कर लेता है। कुछ ही दिनों में इस बिल्डिंग में काम-काज शुरू हो जाता है। फिर यह नोटिस फाइलों में रहकर कैद हो जाता है। पिछले दो-तीन सालों में शहर में अवैध निर्माण की बाढ़ सी आ गई है।
48 वर्ष में हुए पांच हजार से अधिक अवैध निर्माण
अलीगढ़ विकास प्राधिकरण के अनुसार अलीगढ़ में वर्ष 1971 से लेकर अब तक पांच हजार से अधिक अवैध निर्माण हो चुके हैं। एडीए द्वारा कार्रवाई की भी गईं हैं, लेकिन ज्यादातर एडीए के अधिकारियों के आदेश फाइलों में कैद होकर रह गए हैं।
अवैध निर्माण पर शासन गंभीर
एडीए के उपाध्यक्ष मनमोहन चौधरी ने बताया कि अवैध निर्माण चिन्हित किए जा रहे हैं। नोटिस भेजने के बाद ध्वस्तीकरण सीलिंग आदि की कार्रवाई होगी। अवैध निर्माण को लेकर शासन बेहद गंभीर हो गया है।