परमात्मा है सृष्टि का सार तत्व, वही लगा सकता है पार
भागवत कथा में स्वामी राम प्रपन्नाचार्य ने दिए प्रवचन
आगरा, जागरण संवाददाता। स्कूल और कालेज में अर्थ व भोग की शिक्षा मिलती है। धर्म, सत्य और संस्कार की शिक्षा केवल संतों के सत्संग में मिलती है, जो भगवान विष्णु का भक्त होता है, वो किसी भी योनि में चला जाए, उसका कल्याण हो जाता है। गुरु वही है जो हरि भजन और यज्ञ कराए, न कि टिकट दिलाए।
बालाजीपुरम में चल रही भागवत कथा के पांचवें दिन स्वामी रामप्रपन्नाचार्य ने यह प्रवचन दिए। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का आध्यत्मिक पक्ष सुनाते हुए कहा कि दूध का सार तत्व मक्खन है। श्रीकृष्ण मक्खन खाकर सार तत्व ही ग्रहण करते थे। वह हमें यह संदेश देना चाहते थे कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। आरोग्य होना चाहते हो, संतान को स्वस्थ देखना चाहते तो तो परिवार के साथ भगवान के अवतार की कथा सुनो, नहीं तो यह शरीर मछली और कछुओं का भोजन बनेगा। उन्होंने कहा कि जो जन्मा है, उसकी मृत्यु निश्चित है। सबको जाना है। मृत्यु को स्वीकार करो और शीघ्र ही प्रभु के चरणों की ओर बढ़ते चलो। उन्होंने शुक्रवार को नंदोत्सव, श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, ऊखल बंधन, पूतना वध, गोवर्धन पूजा की कथा सुनाई। कुलदीप तिवारी, केके भारद्वाज, रामप्रकाश शर्मा, रमेशचंद शर्मा, पं. रघुवीर दास दीक्षित, किशन स्वरूप लवानिया, मुन्नालाल कुलश्रेष्ठ, अर्जुन भक्तमाली मौजूद रहे।