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महिलाओं के लिए गौरी पाठक बनीं 'आयरन लेडी'Aligarh News

स्कंदमाता स्त्री शक्ति का स्वरूप मानी जाती हैं। हमारे आसपास भी कई ऐसी महिलाएं हैं जो कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद कर अधिकारों का एहसास करा रही हैं।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sat, 30 Nov 2019 05:04 PM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 08:43 AM (IST)
महिलाओं के लिए गौरी पाठक बनीं 'आयरन लेडी'Aligarh News
महिलाओं के लिए गौरी पाठक बनीं 'आयरन लेडी'Aligarh News

पारुल रावत अलीगढ़ : स्कंदमाता 'स्त्री शक्ति' का स्वरूप मानी जाती हैं। हमारे आसपास भी कई ऐसी महिलाएं हैं, जो कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद कर अधिकारों का एहसास करा रही हैं। महिलाओं को समाज में उचित मान दिला रही हैं। आगरा रोड स्थित विकास नगर निवासी गौरी पाठक देह व्यापार के खिलाफ पांच साल से संघर्ष कर रही हैं। दो साल पहले नौरंगाबाद निवासी एक महिला ने पति के मरने के बाद पैसे के लिए दो साल की बच्ची को बेच दिया। पता लगने पर गौरी न सिर्फ बच्ची को वापस लेकर आईं, बल्कि पालन पोषण भी किया। उसकी मां को समझाया और रोजगार के लिए काम सिखाया। वह अब तक कई बच्चियों को देह व्यापार के दलदल से बाहर निकाल चुकी हैं।

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हर दिन एक परिवार बसाने का जुनून

वे दिन की शुरुआत कम से कम एक परिवार बसाने के जुनून के साथ करती हैं। किसी दिन सफल होती हैं तो किसी दिन असफल, मगर हिम्मत नहीं हारतीं। दो साल में वह कई बिखरे परिवारों को जोड़ चुकी हैं। गौरी बताती हैैं कि परिवार के दवाब में आकर कई बार महिलाएं भू्रण हत्या जैसे कदम उठाने के लिए तैयार हो जाती हैं। पला रोड स्थित होली चौक में कई परिवारों को उन्होंने समझाया और भू्रण हत्या जैसे पाप करने से रोका। वर्तमान में उनमें से कई बच्चियों का खर्चा भी उठा रही हैं। परशुराम सेवा संस्थान की महानगर अध्यक्ष बनने के बाद उनकी समाज के लिए कुछ करने की इच्छा और मजबूत हुई। उनका कहना है कि दूसरों की जिदंगी के तनाव व मतभेद दूर कर खुशियां लौटाने में जो सुकून मिलता है, उसे बयां नहीं कर सकतीं।

लड़कियों के लिए चाहती है सुरक्षित समाज

बचपन में पिता के इंतकाल के बाद गौरी ने तीन बहनों व एक भाई की जिम्मेदारी उठाई। समाज से लड़कर जिंदगी की कमान संभाली। 2006 में उनकी शादी राजीव पाठक से हुई। इसके बाद गौरी ने एसवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एमए किया। खुद को सशक्त बनाकर उन्होंने अन्य लड़कियों के लिए मुहिम चालू की। इसके लिए पार्लर भी खोला। लड़कियों को सिलाई, मेहंदी, खाना बनाना आदि काम सिखाती हैं। अबतक 200 से अधिक लड़कियों को प्रशिक्षण दे चुकी हैं। झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाली लड़कियों के लिए लैंगिक समानता की लड़ाई लड़ती आ रही हैं। उन्होंने दृढ़ इच्छा-शक्ति के बलबूते पर उन्हें स्कूल में दाखिला दिलाया। राधा, कुमकुम जैसी कई लड़कियों को चंपा अग्रवाल कॉलेज, चिरंजीलाल स्कूल में दाखिला करा चुकी हैं। गौरी कहती हैैं कि उनकी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी। हमारी टीम हमेशा महिलाओं व बच्चों के लिए खड़ी रहेगी।

अब सीख रही हूं काम

सराय हकीम की नेहा का कहना है कि मैं काफी समय से गौरी दीदी के यहां काम सीख रही हूं। महिलाओं के घर जाकर या पार्लर में आने वाली महिलाओं को सेवाएं दे रही हूं। जयगंज की पूजा बताती हैं कि काम के साथ गौरी दीदी पढऩा भी सिखाती हैं। अधिकारों के बारे में जानकारी देती रहती हैं। एक साल से काम सीखकर खर्चा उठा रही हूं।


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