एएमयू किले में महकी औषधीय पौधों की बगिया
संतोष शर्मा, अलीगढ़ आजादी से पहले अंग्रेजी फौज की छावनी रहा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का किला
संतोष शर्मा, अलीगढ़
आजादी से पहले अंग्रेजी फौज की छावनी रहा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का किला आज हजारों औषधीय पौधों से महक रहा है। यहां के गार्डन में तीन हजार प्रजातियों के पौधे हैं। इनमें से 30 ऐसी प्रजातियों के पौधे भी हैं, जिनका अस्तित्व खतरे में है। मिनिस्ट्री ऑफ आयुष की देखरेख में यहां उनके जीवनदान की कोशिश हो रही है।
एएमयू के वनस्पति विज्ञान विभाग की देखरेख में यह बॉटनिकल गार्डन शानदार तरीके से सजा है। यहां 200 से अधिक औषधीय पौधे हैं। इनमें अर्जुन बिलरिका, मुलेठी, तुलसी, सर्पगंधा, जननीगंधा, अश्वगंधा, सदाबहार, सहजन, हडजोरा, करीपत्ता, आवला, महुआ, पीपल, लाजवंती आदि के पौधे हैं। बेल व झाड़ियों की भी 15 से अधिक प्रजातियां हैं। ये वो बेल व झाड़ियां हैं, जिन्हें घरों में भी आसानी से उगा सकते हैं। ये शोभनीय भी हैं। नागफनी की 25 से अधिक प्रजातियां हैं। एएमयू के मुख्य पार्क गुलिस्तान-ए-सैयद में लगने वाली सालाना पुष्प प्रदर्शनी में इन्हें जरूर रखा जाता है।
औषधीय पौधों पर शोध भी : मिनिस्ट्री ऑफ आयुष की देखरेख में यहां तमाम पौधों पर शोध भी हो रहे हैं। इनमें अनंतमूल, भांग, गुडुमार, घीक्वांर, अंजीर, रत्ती, अडूसा, सतावर, पिया बांस, गुग्गुल, सदाबहार, सुदाब, काल मेघ, बच, शीतरज सफेद, अतरीलाल, गुलनार फारसी, अश्वगंधा, सर्पगंधा प्रमुख हैं। शोध के जरिए इनके औषधीय महत्व और विस्तार पर काम हो रहा है।
कृष्णा मोरेसी भी : किले में आम, अमरूद, बेर, बेल पत्थर, अशोक, ढाक, सहजन के साथ ही तमाम ऐसे पौधे भी हैं, जो आसपास कहीं नहीं दिखते। इन्हीं में कृष्ण मोरेसी भी है। इसकी पत्तियों का आकार कुल्हड़ की तरह है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण इसी पेड़ की पत्तियों में रखकर माखन खाया करते थे।
इनका कहना है
बॉटनिकल गार्डन में तीन हजार से अधिक प्रजातियां हैं। इनमें 30 ऐसी हैं, जो विलुप्त होने की कगार पर हैं। यहां उनकी विशेष निगरानी रखी जा रही है। बीएससी व एमएससी के छात्र इनके बारे में पढ़ रहे हैं। प्रैक्टिकल के लिए गार्डन में ही जाते हैं। मिनिस्ट्री ऑफ आयुष की देखरेख में शोध कार्य चालू है। हर्बल गार्डन बनाने पर भी काम चल रहा है।
- प्रो. युनूस खलील अंसारी, चेयरमैन, वनस्पति विज्ञान विभाग एएमयू