अलीगढ़ की सड़कों पर नजर नहीं आएगा कूड़ा, कुछ ऐसी बन रही योजना
शहर की सड़कों को कूड़ा मुक्त बनाने के लिए मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर बनाए जाएंगे। इसके लिए नगर निगम कार्ययोजना तैयार कर रही है। इससे सड़कों पर कूड़ा नजर नहीं आएगा। अगले दो माह में इस योजना को अमली जामा पहनाने की तैयारी है।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। शहर की सड़कें कूड़ा मुक्त रहें, इसके लिए नगर निगम कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं। इसके तहत ओपन कूड़ा कलेक्शन प्वाइंट खत्म कर मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) सेंटर बनाए जाएंगे। जहां ये बन चुके हैं, उन्हें विकसित किया जाएगा। यहीं नहीं, इन सेंटरों से निस्तारण के लिए निकला कूड़ा कंटेनर के जरिए प्लांट तक ले जाएगा, जिससे कूड़ा नजर नहीं आएगा। अगले दो माह में योजना को अमली जामा पहनाने की तैयारी है।
2019 में बनी थी एमआरएफ सेंटर की योजना
सड़कें साफ रहें, इसके लिए 2019 में तत्कालीन नगर आयुक्त सत्यप्रकाश पटेल ने एमआरएफ सेंटर की योजना बनाई थी। इसमें मशीन के जरिए कूड़े छंटाई कर सालिड मैनेजमेंट प्लांट भेजा जाना था। दो एमआरएफ सेंटर ही स्थापित हो सके, आठ और बनाए जाने थे। उद्देश्य ये था कि एमआरएफ सेंटर बनने के बाद सड़कों पर कूड़ा नहीं फैलेगा। कवर्ड हाल में एक निश्चित स्थान पर कूड़ा डाला जाएगा। यहीं से एटूजेड कंपनी के वाहन कूड़ा उठाकर निस्तारण के लिए ले जाएंगे। लेकिन, योजना पर पूरी तरह काम नहीं हो सका। जिन क्षेत्रों में सेंटर के निर्माण के लिए जमीनें चिह्नित की गईं, वहां लोगों ने विरोध शुरू कर दिया।
12 जगहों पर मिनी एमआरएफ सेंटर बने
बाद में योजना में बदलाव कर मिनी एमआरएफ सेंटर बनाने का निर्णय ले लिया गया। ये सेंटर उन स्थानों पर बनाए जाने थे, जहां खुले में डलावघर हैं। ऐसे 12 स्थानों पर मिनी एमआरएफ सेंटर बने। हालनुमा कमरे में सफाई कर्मचारी आसपास क्षेत्रों से एकत्र कूड़ा डालते हैं। यहीं से कूड़ा निस्तारण के लिए ले जाया जाता है। लेकिन इसमें भी लापरवाही बरती जा रही है। सफाई कर्मचारी सेंटर के बाहर इधर-उधर कूड़ा फेंक आते हैं। कूड़ा भी दोपहर दो बजे तक उठ पाता है। जबकि, सुबह 10:30 बजे तक कूड़ा उठाने का नियम हैं। कर्मचारियों की लापरवाही और अधिकारियों की अनदेखी के चलते राहगीर और क्षेत्रीय लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। प्रदूषण भी फैल रहा है। अब नगर आयुक्त गाैरांग राठी ने एमएफआर सेंटर विकसित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए बजट भी आवंटित हो रहा है। मशीनें व उपकरण खरीदे जाएंगे। आबादी वाले इलाकों से डलावघर खत्म करने की योजना भी है।