छंटेगा कूड़े का पहाड़, पूरा हुआ सर्वे, नगर निगम ने तैयार की रणनीति Aligarh News
एटूजेड प्लांट पर खड़ा कूड़े का पहाड़ अब जल्द ही छंटेगा। ड्रोन कैमरे के जरिए मैसर्स जियो मैट्रिक सोल्यूशन कंपनी ने सर्वे कार्य पूरा कर लिया है। सर्वे रिपोर्ट आने पर कूड़ा हटाने का कार्य किया जाएगा। इस कूड़े से जैविक खाद बनाने की योजना है।
अलीगढ़, जेएनएन। मथुरा रोड स्थित एटूजेड प्लांट पर खड़ा कूड़े का पहाड़ अब जल्द ही छंटेगा। ड्रोन कैमरे के जरिए मैसर्स जियो मैट्रिक सोल्यूशन कंपनी ने सर्वे कार्य पूरा कर लिया है। सर्वे रिपोर्ट आने पर कूड़ा हटाने का कार्य किया जाएगा। इस कूड़े से जैविक खाद बनाने की योजना है। इसके लिए यहां प्लांट लगाया जाएगा। पिछले दिनों नगर निगम ने कंपनी से लीगेसी वेस्ट (पुराना एवं प्रत्यक्त कूड़ा) के निस्तारण के लिए करार किया था। प्लांट से कूड़ा निस्तारित करने के बाद शहर में जगह-जगह सड़क किनारे जमा पुराना कूड़ा निस्तारित किया जाएगा।
200 मीट्रिक टन कूड़े का निस्तारण
शहर से प्रतिदिन करीब 450 मीट्रिक कूड़ा उठता है। इसमें से 200 मीट्रिक टन कूड़े का निस्तारण एटूजेड प्लांट में होता है। बाकी कूड़ा प्लांट में डाल दिया जाता है। जिससे वहां कूड़े के ऊंचे ढेर लग चुके हैं। यहां तकरीबन एक लाख मीट्रिक टन कूड़ा जमा है, जिसका निस्तारण नहीं हो सका। इसके अलावा क्वार्सी बाईपास, अनूपशहर बाईपास, एटा बाईपास आदि मार्गों के किनारे और प्लॉट में सालों से कूड़ा जमा है। इसके निस्तारण की योजना भी परवान नहीं चढ़ सकी। बीते साल नगर आयुक्त प्रेम रंजन सिंह से कृति कंस्ट्रक्शन एंड अर्थ मूवर्स फर्म के प्रतिनिधियों ने मुलाकात कर वैज्ञानिक तरीके से पुराने कूड़े को खाद के रूप में बदलने की प्रस्तुति दी थी। उन्होंने बताया कि किसान जैविक खाद के रूप में इसका प्रयोग कर सकते हैं।
ड्रोन कैमरे से कूड़े का सर्वे किया
मैसर्स जियो मैट्रिक सोल्यूशन कंपनी ने एटूजेड प्लांट में ड्रोन कैमरे की मदद से कूड़े का सर्वे किया। कीर्ति कंस्ट्रक्शन के भी यहां प्रतिनिधि मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि कूड़े की छंटाई कर खाद बनाई जाएगी। सर्वे कार्य पूरा होने के बाद प्लांट स्थापित करने की योजना है। सर्वे लगभग पूरा हो चुका है। एटूजेड प्लांट प्रभारी समय सिंह ने बताया कि सर्वे रिपोर्ट आने के बाद कूड़े का निस्तारण कराया जाएगा। ये कूड़ा जैविक खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। किसान इसका उपयोग कर लागत कम कर सकते हैं। रसायनिक खाद से मुक्ति मिलेगी।