अलीगढ़ से अपहृत चार माह का बच्चा बरामद, दो महिला काबू
यहां जेल के बाहर से 17 मई को अगवा छह माह का उमंग 50 हजार रुपये में गाजियाबाद की महिला को बेचा गया था।
अलीगढ़ (जेएनएन)। यहां जेल के बाहर से 17 मई को अगवा छह माह का उमंग 50 हजार रुपये में गाजियाबाद की महिला को बेचा गया था। गाजियाबाद पुलिस ने मंगलवार को बच्चा सकुशल बरामद कर खरीदार महिला को भी गिरफ्तार कर लिया। बुलंदशहर की वो शातिर महिला भी पकड़ी गई, जिसने बच्चा अगवा किया था। वह जेल में बंद पति से मुलाकात करने आई थी। अलीगढ़ पुलिस उमंग व आरोपित महिलाओं को लेने गाजियाबाद रवाना हो गई।
इगलास क्षेत्र के बिचौला निवासी योगेश चोरी व आम्र्स एक्ट में मडराक थाने से दिसबंर- 18 से जेल में है। 17 मई को सुबह साढ़े 11 बजे उसकी पत्नी वीनेश अपनी बेटी सिमरन (10), किंजल (6) व भाभी प्रियंका निवासी पडिय़ावली मडराक के साथ पति से मुलाकात करने जेल आई थी। प्रियंका अपने इकलौते बेटे उमंग को भी साथ लेकर आई। प्रियंका व वीनेश मुलाकात के लिए मुहर लगवाने काउंटर पर चली गईं। वहीं पास में सिमरन व किंजल उमंग को खिला रही थीं, तभी एक महिला बच्चे को लेकर सड़क पर खड़े ई-रिक्शा से फरार हो गई। पुलिस ने महिला का स्केच जारी कर 50 हजार का इनाम घोषित किया था।
मुखबिरों ने दी सूचना
गाजियाबाद पुलिस को मुखबिरों से जानकारी मिली कि बच्चा थाना सिहानीगेट क्षेत्र के भट्ठा- पांच झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली अनीता पत्नी अशोक के घर में है। पुलिस ने अनीता को गिरफ्तार कर बच्चा बरामद कर लिया। दौलतपुर थाना डिबाई (बुलंदशहर) निवासी अपहर्ता हेमलता भी पकड़ी गई। उसने बताया कि अलीगढ़ जेल में बंद पति के मुकदमे की पैरवी के लिए रुपयों की जरूरत थी, इसलिए बच्चा अगवा कर अनीता को 50 हजार में बेच दिया। अनीता उसी के गांव की है।
पति की रिहाई के लिए कर दिया उमंग का सौदा
किसी के घर में अंधेरा कर हेमलता अपना घर रोशन करना चाहती थी। अलीगढ़ जेल में इसका पति गैंगस्टर एक्ट में निरुद्ध है। मुकदमे की पैरवी के लिए इसे रुपये चाहिए थे, जो इस पर नहीं थे। उधर, अनीता को बेटा चाहिए था। ये बात वह हेमलता को बता चुकी थी। पैसा खर्च करने को भी तैयार थी। तब उसने ब'चा चोरी करने की योजना बनाई, सफल भी हो गई। मगर, वह ज्यादा दिन खुशी न मना सकी और पकड़ी गई।
हेमलता और अनीता बुलंदशहर में डिबाई थाना क्षेत्र के गांव दौलतपुर की हैं और अ'छी सहेलियां भी हैं। अनीता शादी के बाद गाजियाबाद में रहने लगी। इसके पास एक बेटी है। वह बेटा चाहती थी। बुलंदशहर आकर उसने ये बात हेमलता को बताई। इसने कहा कि बिना रुपये खर्च किए छोटा ब'चा नहीं मिल पाएगा। अनीता 50 हजार रुपये देने को तैयार हो गई। 17 मई को हेमलता अलीगढ़ जेल के बाहर से उमंग को अगवा कर सीधे गाजियाबाद पहुंची थी और 40 हजार रुपये लेकर ब'चा अनीता को सौंप दिया। 10 हजार रुपये बाद में देना तय हुआ जिसे लेने मंगलवार को वह गाजियाबाद गई थी, तभी पुलिस ने उसे धर दबोचा।
बिना गर्भवती हुए कैसे बनी मां?
अलीगढ़ पुलिस ने अपहर्ता महिला का स्केच और 50 हजार का इनाम घोषित कर यूपी के अलावा अन्य प्रांतों में भी जारी कर दिया। मुखबिर सक्रिय हो गए। गाजियाबाद में थाना सिहानीगेट क्षेत्र के भट्टा- पांच झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली अनीता के एक बेटी है। उमंग के आने के बाद इसे वह अपना बेटा बताने लगी। लोगों को शक हुआ कि वह गर्भवती तो थी नहीं, फिर बेटा कहां से हो गया। बात पुलिस के खबरियों तक पहुंची तो पुलिस भी सक्रिय हो गई। गाजियाबाद के सीओ सेकंड आतिश कुमार सिंह ने बताया कि उमंग के फोटो से मिलान किया तो शक यकीन में बदल गया। ब'चा बरामद कर महिला को गिरफ्तार कर लिया गया।
एसएसपी साहब इनके घर भी लाइए मुस्कान
उसका चेहरा खिल गया। परिवार में मानो खुशी लौट आई। ऐसा स्वभाविक है। दस दस बाद लाल जो मिल गया। जेल के बाहर से अगवा ब'चे के गाजियाबाद में बरामद होने से पुलिस में भी कम खुशी नहीं, पर एसएसपी साहब अभी कई मां-बाप ऐसे हैं जिनकी आंखों से आंसू थम नहीं रहे। इनके लाल गायब है। इनके परिवार को भी मुस्कान देने की जरूरत है।
इस साल ही जिले से 22 ब'चे गायब हुए हैं। 14 बरामद हो गए, 8 का अब तक कोई भी सुराग नहीं लग सका है। 2017 के 16 और 2018 के तीन ब'चों समेत कुल 28 ब'चों के परिजनों की आंखें अपने लालों के इंतजार में पथरा चुकी हैं। जट्टारी के गांव जरतौली निवासी डोरीलाल के बेटे उमेश (3), सासनीगेट के कबीर नगर नई आबादी निवासी सुखदेव के बेटे धर्मेंद्र कुमार (8), गांधीपार्क के दुबे का पड़ाव पीर मट्ठा निवासी अशोक कुमार के बेटे रोहन (13), अतरौली के सूरतगढ़ निवासी जयसिंह के बेटे मनोज (15), सिविल लाइंस के फिरदौस नगर निवासी मोहम्मद सत्तार के बेटे मोहम्मद इसरार (16), क्वार्सी के किशनपुर निवासी दुर्गा प्रसाद के बेटे आकाश (15), बन्नादेवी के सारसौल निवासी मनमोहन के बेटे दीपांशु (20) समेत अन्य ब'चों के परिजन उनके वापस आने की राह देख रहे हैं। इनकी आस में हर रोज थाने के चक्कर लगा रहे हैं। कोई सुराग न मिलने से निराश हैं, पर आस नहीं छोड़ी है।
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