पूर्व ऊर्जामंत्री बसपा विधायक रामवीर उपाध्याय आज हो जाएंगे भाजपाई
उत्तर प्रदेश के जनपद हाथरस की विधानसभा सीट सादाबाद के बसपा विधायक रामवीर उपाध्याय ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। वे 2019 से निलंबित थे। 25 साल से बसपा में थे और पांच बार विधायक बनेे। वह बसपा सरकार में ऊर्जा एवं परिवहन मंत्री रह चुके हैं।
हाथरस, जागरण संवाददाता। उत्तर प्रदेश के जनपद हाथरस की विधानसभा सीट सादाबाद के बसपा विधायक रामवीर उपाध्याय ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। वे 2019 से निलंबित थे। 25 साल से बसपा में थे और पांच बार विधायक बनेे। वह बसपा सरकार में ऊर्जा एवं परिवहन मंत्री रह चुके हैं। माना जा रहा है कि रामवीर उपाध्याय उप मुख्यमंत्री दिनेश दिनेश शर्मा के संपर्क में हैं। पिछले दिनों एक सभा में दिनेश शर्मा इनकी तारीफ कर चुके हैं। इनके छोटे भाई मुकुल भाजपा में हैं। वे नजदीकी जिला अलीगढ़ में कोल विधानसभा से टिकट मांग रहे हैं। इस तरह की चर्चा जोरों पर है। हालांकि इसकी अभी किसी ने पुष्टि नहीं की है। सदस्यता लेने के बाद वे शनिवार को वे भाजपाई हो जाएंगे। वे आगरा में अपने निवास पर भाजपा की सदस्यता लेंगे। शुक्रवार को सीएम योगी ने सीधे रामवीर उपाध्याय से फोन पर बातचीत की थी।
View attached media content - Rohit agarwal (@rohitagarwal85) 14 Jan 2022
रामवीर ने ऐसे शुरू किया था राजनीतिक सफर, जाने विस्तार सेहाथरस : भारतीय जनता पार्टी से अपनी राजतनीति की शुरुआत करने वाले रामवीर उपाध्याय ने करीब तीन दशक पहले टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी थी। 25 वर्ष बसपा में सफर के बाद उनकी शनिवार को भाजपा में घर वापस हो जाएगी। बसपा में रामवीर उपाध्याय कद्दावर नेता थे और उन्होंने कई बार मंत्री और अन्य पदों पर रहकर राजनीति के अर्श को छुआ। हाथरस की राजनीति में रामवीर का नाम बड़े नेता के रूप में हमेशा से रहा है। राम मंदिर आंदोलन के दौरान रामवीर उपाध्याय भाजपा में थे। उभरते हुए नेता के रूप में उन्होंने वर्ष 1993 में हाथरस सदर सीट से भाजपा से टिकट के लिए दावेदारी की, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दी। राजवीर पहलवान को प्रत्याशी बनाया था। रामवीर उपाध्याय निर्दलीय मैदान में उतरे थे, और चुनाव हार गए थे। इसके बाद वह 1996 में बसपा में शामिल हुए और हाथरस सदर सीट से चुनाव लड़े। भारी बहुमत से चुनाव जीतकर वह विधायक बने। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़क नहीं देखा। वर्ष 2002 और 2007 में में हाथरस सदर, वर्ष 2012 में सिकंदराराऊ और 2017 से वह सादाबाद से विधायक बने। इस बीच वह ऊर्जा, परिवहन, चिकित्सा शिक्षा, समेत कई अहम विभागों के मंत्री रहे। बसपा ने उन्हें लोक लेखा समिति के सभापति भी बनाया। विधानमंडल दल में मुख्य सचेतक भी रामवीर रहे।
हाथरस को दिलाया जिले का दर्जादिलायावर्ष 1997 में हाथरस को अलग जनपद का दर्जा दिलाने में रामवीर उपाध्याय की अहम भूमिका रही। ऊर्जा और अन्य विभागों के मंत्री रहते रामवीर उपाध्याय ने हाथरस जिले के लिए अभूतपूर्ण कार्य किए। जिले में कई बिजलीघरों की सौगात उन्होंने दी। हाथरस में बिजली के लिए कई काम हुए। --रामवीर के साथ परिवार ने भी छुईं ऊंचाइयां रामवीर उपाध्याय का बसपा में बड़ा कद रहा। वह बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के करीबी रहे थे। बसपा के स्टार प्रचारक थे। बड़ा ब्राह्मण चेहरा भी थे। उत्तर प्रदेश पश्चिमी क्षेत्र के प्रभारी भी रहे। चुनाव में टिकट वितरण के दौरान भी रामवीर की अहम भूमिका रहती थी। रामवीर ने बसपा में रहते परिवार को भी ऊचाइयों तक पहुंचाया। रामवीर उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय सबसे पहले 2002 में जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। इसके बाद 2007 में भी वह जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। वर्ष 2009 में उन्होंने इस्तीफा दिया और फतेहपुर सीकरी से सांसद का चुनाव लड़ीं। रामवीर के कुशल प्रबंधन के चलते सीमा उपाध्याय ने राज बब्बर को चुनाव हराया आैर सांसद बनीं। छह महीने पहले हुए पंचायत चुनावों में भी रामवीर ने सीमा उपाध्याय को फिर से हाथरस का जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में अहम भूमिका निभाई है। रामवीर उपाध्याय के छोटे भाई मुकुल उपाध्याय भी उपचुनाव में इगलास से विधायक बने थे। उन्हें अलीगढ़ मंडल से एमएलसी बनाने में भी रामवीर की अहम भूमिका रही। राज्य सेतु निगम का निदेशक बनाकर उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिलाया। भाई विनोद उपाध्याय को भी जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने में वह कुशल रणनीतिकार रहे।