आंखों को बचाएं, बढ़ रही बीमारी
स्वास्थ्य - गर्मी के मौसम में बढ़ने लगी आइ फ्लू के मरीजों की संख्या - विशेषज्ञों ने धूप व धूल-मिंट्ट
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : गर्मी के मौसम में उल्टी, दस्त और वायरल के बाद अब आई फ्लू भी पैर पसारने लगा है। जिला अस्पताल व दीनदयाल चिकित्सालय में सप्ताह भर के भीतर करीब 250 मरीज आई फ्लू का इलाज कराने पहुंचे हैं। निजी चिकित्सकों के पास तो यहां से ज्यादा मरीज हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञ मरीजों को सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं।
ये है आई फ्लू..
आई फ्लू या कंजक्टिवाइटिस। आखों की निचली व ऊपरी पलकों की बाहरी परत को कंजेक्टिवा कहते हैं, इसमें वायरल, बैक्टीरियल व एलर्जिक संक्रमण ही आई फ्लू कहलाता है। आंख लाल-लाल, जलन, चुभन, दर्द, सूजन, चिपचिपा द्रव्य निकलना आदि समस्याएं होती हैं।
छूने भर से संक्रमण का खतरा :
गांधी आइ हॉस्पिटल के आइ व रेटीना स्पेशलिस्ट डॉ. अमित गुप्ता ने बताया कि सबसे अधिक मरीज आई फ्लू के ही हैं। यह बेहद संक्रामक बीमारी है। परिवार में एक व्यक्ति को हो जाए तो लापरवाही से समस्त सदस्यों को हो जाती है। मरीज के हाथ, उसके इस्तेमाल किए गए कपड़े या अन्य सामान को छूते ही संक्रमण दूसरे व्यक्ति में पहुंच जाता है। मरीज को बच्चों से दूर ही रहना चाहिए। मरीज चश्मा लगाकर रहें तो उचित रहेगा।
बचाव जरूरी : मित्तल आइ केयर सेंटर के निदेशक डॉ. नीलेश मित्तल के अनुसार हर चौथा मरीज आंख लाल-लाल, जलन, चुभन, दर्द, सूजन आदि समस्याओं से ग्रस्त आ रहा है, जो आइ फ्लू के मुख्य लक्षण हैं। 4-5 दिन बाद भी लालिमा बढ़े तो चिकित्सक से जरूर संपर्क करना चाहिए। कंजक्टिवाइटिस के सामान्य तौर पर एलर्जिक बैक्टीरियल और वायरल आदि प्रकार हैं।
प्रमुख लक्षण
- सिर दर्द, खुजली, सूजना व जलन होना
- आखों में बार-बार कीच आना।
- रोशनी सहन न कर पाना
- नींद से उठने पर पलकें चिपक जाना।
बचाव के उपाय
- आखों को धुआ, धूल, तेज धूप व तेज हवाओं से बचाव।
- शीतल जल से बार-बार आंखों पर छींटे मारें।
- मरीजों से हाथ न मिलाएं।
- आखों में नमी बनी रहने दें, धूप का चश्मा भी पहनें।
- रोशनी से बचाव रखें।
- टीवी, मोबाइल, टेबलेट, कंप्यूटर आदि से दूरी बनाएं।
- देर तक पत्र-पत्रिकाएं न पढ़ें, धूप में न टहलें
- मरीजों के तौलिया, साबुन व आईड्राप अलग रखें
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होम्योपैथी में भी कारगर दवा
वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. डीके वर्मा ने बताया कि आइ फ्लू के उपचार व बचाव के लिए होमियोपैथी में तेजी से असर करने वाली दवाएं हैं। रोकथाम के लिए इन्फ्लुएंजीनियम-200 दिन में एक बार सप्ताह भर लें। शुरुआती लक्षण दिखते ही एलियम सीपी-3 की दो-दो बूंद दो घंटे से लें। यूपीटोरियम व यूफ्रेशिया समेत अन्य दवाएं भी इसमें कारगर हैं। सभी दवाएं चिकित्सक के परामर्श से लें तो उचित हैं।