Aligarh Farmer School: किसान पाठशाला में पराली प्रबंधन के टिप्स सीख रहे किसान, जानिए विस्तार से
पराली की आग से सकते में आया शासन और प्रशासन किसानों को पराली प्रबंधन के लिए प्रेरित करने पर जोर दे रहा है। इसके लिए ग्राम पंचायतों में किसान पाठशाला आयोजित की जा रही हैं। इनमें कृषि अधिकारी और कर्मचारी किसानों को जागरूक कर रहे हैं।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। पराली की आग से सकते में आया शासन और प्रशासन किसानों को पराली प्रबंधन के लिए प्रेरित करने पर जोर दे रहा है। इसके लिए ग्राम पंचायतों में किसान पाठशाला आयोजित की जा रही हैं। इनमें कृषि अधिकारी और कर्मचारी किसानों को जागरूक कर रहे हैं। पराली जलने से जन स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसके बारे में बताया जा रहा है। यही नहीं, पराली को खाद के रूप में परिवर्तित कर फसल उत्पादन को बेहतर करने के गुर भी सिखाए जा रहे हैं। रसायनिक खाद और कीटनाशक के अत्याधिक प्रयोग से होने वाले नुकसान की जानकारी भी कृषि विभाग की टीम दे रही है।
डीएम ने दिए सख्त निर्देश
शासन के निर्देश पर डीएम सेल्वा कुमारी जे. ने जनपद की 122 ग्राम पंचायतों में किसान पाठशाला आयोजित करने के आदेश दिए हैं। गुरुवार को ग्राम पंचायतों में पहली पाठशाला लगी थी। इसमें किसानों को पराली प्रबंधन, नवीनतम फसल उत्पादन तकनीकी, कृषि व अन्य विभागों की योजनाआें के बारे में बताया गया। जैविक खेती की जानकारी भी कृषि अधिकारियों ने दी। जैविक खाद कैसे बने, यह भी बताया गया है। पराली का उपयोग जैविक खाद के रूप में करने की विधि किसानों सिखाई गई, जिससे खेतों में पराली काे जलाया न जाए।
रसायनिक खाद का प्रयोग कम करें किसान
फसलों में रसायनिक खाद और कीटनाशक के अत्याधिक प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति निरंतर कम हो रही है। फसलों की गुणवत्ता भी प्रभावित है, लागत ज्यादा आ रही है। बावजूद इसके रसायनिक उर्वरक, कीटनाशक दवाओं से किसानों का मोह भंग नहीं हो रहा। इस मोह को कम करने के लिए किसानों का रुख जैविक खेती की ओर करने के प्रयास शुरू हो गए हैं। किसान पाठशाला के जरिए कृषि अधिकारी जैविक खेती के प्रति किसानों को जागरुक कर रहे हैं। जिला उद्यान निरीक्षक चेतन्य वाष्र्णेय बताते हैं कि किसान जैविक खेती के महत्व को समझ रहे हैं। कई किसान जैविक खेती करने भी लगे हैं। इससे लागत कम आती है। मौजूदा संसाधनों से ही गुणवत्ता युक्त फसल पैदा की जा सकती है, उत्पादन भी बेहतर होता है। सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता कम रहती है। क्योंकि, जैविक खाद के प्रयोग से मिट्टी में नमी बनी रहती है। फसलों को जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं।