Move to Jagran APP

पारंपरिक खेती कर रहे किसान बीज उत्पादन कर संवार रहे भविष्य Aligarh news

गेहूं सरसाें और आलू के बीज की कई किस्में तैयार कर किसानों ने एफपीओ के जरिए मार्केट में उतारीं और मुनाफा लिया। अब धान का बीज तैयार किया जा रहा है। किसानों का कहना है कि फसल उत्पादन की अपेक्षा बीज उत्पादन मुनाफे का सौदा है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 11:17 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 11:17 AM (IST)
पारंपरिक खेती कर रहे किसान बीज उत्पादन कर संवार रहे भविष्य  Aligarh news
पारंपरिक खेती करते आए किसान अब बीज उत्पादन कर भविष्य संवार रहे हैं।

अलीगढ़, जेएनएन ।  पारंपरिक खेती करते आए किसान अब बीज उत्पादन कर भविष्य संवार रहे हैं। जनपद में ऐसे 1500 से अधिक किसान हैं, जो अपने खेताें में बीज उगा रहे हैं। कोरोना काल में ऐसे किसानों की संख्या बढ़ी है। गेहूं, सरसाें और आलू के बीज की कई किस्में तैयार कर किसानों ने एफपीओ के जरिए मार्केट में उतारीं और मुनाफा लिया। अब धान का बीज तैयार किया जा रहा है। किसानों का कहना है कि फसल उत्पादन की अपेक्षा बीज उत्पादन मुनाफे का सौदा है।

loksabha election banner

बीज उत्‍पादन से जुड़ रहे किसान

जनपद में गेहूं, धान, सरसों और आलू की फसलें मुख्य रूप से होती हैं। किसानों का जोर भी इन्हीं पर अधिक रहता है। अब किसान बीज उत्पादन से जुड़ रहे हैं। कोरोना काल में इन किसानों की संख्या अधिक हुई है। कोमलका फार्मर प्रड्यूसर कंपनी से ही 1580 किसान जुड़े हैं, जो अपने खेतों बीज तैयार कर रहे हैं। कंपनी के चेयरमैन राजेंद्र प्रसाद पचौरी बताते हैं कि 2018 में कंपनी शुरू की थी। तब इतने किसान नहीं जुड़े थे। धीरे-धीरे किसानों ने बीज उत्पादन और इससे होने वाले लाभ के बारे में जाना तो जुड़ने लगे। बीते साल कोरोना काल में ऐसे किसानों की संख्या 1580 पहुंच गई। उन्होंने बताया कि धान का रेट 22 रुपये किलो है, जबकि इसका बीज 60 रुपये किलो बिकता है। लागत में काेई खास अंतर नहीं है। ऐसे ही गेहूं का सरकारी रेट 1975 रुपये है। वहीं बीज 3400 रुपये तक बिकता है। कंपनी ये बीज किसानों से खरीद कर मार्केट में उतारती है। कुछ किसानों ने अपने उत्पाद की आनलाइन मार्केटिंग शुरू कर दी है। किसानों ने पिछले सीजन में धान की 1509, 1718, 1121, सुगंधा और पूसा बासमती के अलावा आलू के बीज की 18 वैरायटी तैयार की थीं। कंपनी के मुनाफे का 40 फीसद हिस्सा किसानों के खाते में जमा किया जाता है। पिछले साल कंपनी का टर्नआवेर डेढ़ करोड़ रुपये था।

ऐसे तैयार होता बीज

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा तैयार बीडर शीड रिसर्च सेंटर, कृषि विश्वविद्यालयों को दिया जाता है। यहां इससे आधार बीज तैयार होता है। टेस्टिंग के बाद इसे खेतों में लगाया जाता है। जो उपज प्राप्त होती है, उसे प्रमाणित बीज कहते हैं। यही प्रमाणित बीज किसानों को बीज उत्पादन के लिए दिया जाता है।

इनका कहना है

मेरे पास 50 बीघा खेत हैं। जिसमें आलू और गेहूं का बीज तैयार किया था। हम तीन साल से बीज उत्पादन कर रहे हैं, नुकसान नहीं उठाया।

प्रदीप कुमार, लोधा

.....

बीज उत्पादन में ज्यादा लागत नहीं आती। बीज की गुणवत्ता का ध्यान रखना पड़ता है। सर्टिफाइड बीज कहीं भी बेच सकते हैं।

उमाकांत सारस्वत, मढ़ौला

.......

फसल उत्पादन में अहम रोल बीज का होता है। बीज जितना अच्छा और स्वस्थ होगा, फसल भी उतनी शानदार होगी। किसान अच्छी किस्म के बीज का उत्पादन कर लाभ ले रहे हैं।

राजेंद्र प्रसाद पचौरी चेयरमैन, कोमलका फार्मर प्रड्यूसर कंपनी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.