किसानों को भी भा रहा डिजिटल लेनदेन, कैशलेस व्यापार कर रहीं अधिकांश फर्में
अलीगढ़ के किसानों को डिजिटल लेनदेन भाने लगा है। उर्वरक लेने दुकानों पर पहुंच रहे किसान मोबाइल के जरिए भुगतान करते हैं। किसानों की जागरुकता से उर्वरक (खाद) के कैशलेस व्यापार को बढ़ावा मिला है। रेंकिंग में भी सुधार आ रहा है।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। अलीगढ़ के किसानों को डिजिटल लेनदेन भाने लगा है। उर्वरक लेने दुकानों पर पहुंच रहे किसान मोबाइल के जरिए भुगतान करते हैं। किसानों की जागरुकता से उर्वरक (खाद) के कैशलेस व्यापार को बढ़ावा मिला है। रेंकिंग में भी सुधार आ रहा है। जनपद में 98 प्रतिशत फर्में उर्वरक का कैशलेस व्यापार कर रही हैं। जबकि, कुछ माह पूर्व 45 प्रतिशत फर्माें पर ही डिटिटल लेनदेन हो रहा था। कृषि विभाग के अधिकारियों ने प्रत्येक फर्म पर क्यूआर कोड अनिवार्य कर दिया। ऐसा न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की हिदायत भी दी गई थी। यही वजह रही उर्वरक के कैशलेस व्यापार में स्थिति सुधर रही है।
डिजिटल इंडिया का सपना हो रहा साकार
केंद्र की माेदी सरकार के डिजिटल इंडिया के सपने को उर्वरक कारोबारी साकार करने का प्रयास कर रहे हैं। किसान भी इसमें सहयोग दे रहे हैं। उर्वरक के कारोबार में आनलाइन ट्रांजेक्शन पर सरकार के जोर देने के अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। इस प्रणाली से जहां बचत होती है, वहीं खाद की कालाबाजारी पर बहुत हद तक अंकुश लगता है। किसानों को तय सरकारी मूल्य पर खाद मिलता है, खाद कारोबारियों पर विभागीय अधिकारियों को नजर रखने में आसानी रहती है। जनपद के ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो कुल 1038 फार्मों में 1018 फर्में कैशलेस व्यापार कर रही हैं। इससे रेंकिंग सुधरी है। समय-समय इसकी रेंकिंग जारी की जाती है। पिछली बार प्रदेश के 75 जिलों की सूची जारी हुई थी, जिसमें अलीगढ़ तीसरे स्थान पर था। जबकि, इससे पहले जारी सूची में सातवां स्थान था। तब 44.50 फीसद फर्में कैशलेस व्यापार कर रही थीं।
किसानो को किया जा रहा प्रेरित
जिला कृषि अधिकारी रामप्रवेश का कहना है कि कारोबारियों के अलावा किसानों को भी डिजिटल लेनदेन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यही वजह है उर्वरक की कैशलेस बिक्री में अलीगढ़ तीसरे पायदान पर है। जिले को पहले स्थान पर लाने के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा। जिले में पीओएस (प्वाइंट आफ सेल) मशीन के जरिए उर्वरक की बिक्री को अनिवार्य कर दिया है। इससे किसानों को पक्की रसीद मिल सकेगी। फर्मों पर क्यूआर कोड लगाए जा रहे हैं, जिससे किसान आसानी से आनलाइन भुगतान कर सकें।