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महंगे रा मैटेरियल ने ताला हार्डवेयर कारोबार की उड़ा दी रंगत, जानिए मामला Aligarh news

कोरोना महामारी के बाद ताला-हार्डवेयर पीतल मूर्ति बिजली फिङ्क्षटग्स उत्पादन के कारोबार पर घनघोर संकट है। महंगे रा मैटीरियल ने कारोबार की रंगत उड़ा दी है। पिछले एक साल में कचे माल व धातुओं पर 35 से 40 फीसद तक दाम बढ़े हैं। इसके चलते लागत मूल्य बढ़ गई है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 09:34 AM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 09:45 AM (IST)
महंगे रा मैटेरियल ने ताला हार्डवेयर कारोबार की उड़ा दी रंगत, जानिए मामला Aligarh news
कोरोना महामारी के बाद ताला-हार्डवेयर, पीतल मूर्ति, बिजली फिटिंग्स उत्पादन के कारोबार पर घनघोर संकट है।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता।  कोरोना महामारी के बाद ताला-हार्डवेयर, पीतल मूर्ति, बिजली फिटिंग्स उत्पादन के कारोबार पर घनघोर संकट है। महंगे रा मैटीरियल ने कारोबार की रंगत उड़ा दी है। पिछले एक साल में कच्‍चे माल व धातुओं पर 35 से 40 फीसद तक दाम बढ़े हैं। इसके चलते लागत मूल्य बढ़ गई है। वैश्विक मंदी के चलते बाजारों में मांग पहले से ही ठप है। आपसी प्रतिस्पर्धा के चलते निर्माता रुपये नहीं बढा रहे हैं, जबकि देसी-विदेशी बाजार रफ्तार नहीं पकड़ रहा। नए आर्डरों का टोटा है। रोके गए आर्डर दोबारा मंगाए नहीं जा रहे हैं।

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पीतल की सिल्‍ली के रेट बढ़े

पिछले साल बाजार में पीतल की सिल्ली के रेट 280 रुपये प्रतिकिलो थे। अब इसका दाम 500 रुपये प्रतिकिलो है। तीन दिन पहले इसका भाव 510 रुपये प्रतिकिलो था। निकिल का भाव बाजार में 1500 रुपये प्रतिकिलो है। एक साल पहले यह 1100 रुपये प्रतिकिलो बिक रही थी। जस्ता 260 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है। एक साल पहले यह 160 रुपये प्रतिकिलो था। कापर 720 रुपये प्रतिकिलो था। एक साल पहले यह 620 रुपये प्रतिकिलो था।

इसके अलावा डीजल के दाम बढऩे से ट्रांसपोर्ट का खर्चा भी बढ़ गया है। 15 से 20 फीसद तक माल का आवागमन महंगा हो गया है। साउथ के राज्यों में कोरोना के लगातार बढ रहे केसों के चलते पाबंदियां सख्त हैं। अत्यधिक संक्रमण वाले राज्यों में मैन्युफैक्चर्स व सप्लायर्स व्यवसायिक टूर पर भी नहीं जा रहे हैं। इन राज्यों में सरकारी सप्लाई भी प्रभावित है।

रियल एस्‍टेट कारोबार भी मंदा

रियल एस्टेट कारोबार भी रफ्तार नहीं पकड़ रहा है। इसके चलते ताला-हार्डवेयर की बाजारों में मांग घट रही है। ताला नगरी विकास एसोसिएशन के अध्यक्ष नेकराम शर्मा ताला हार्डवेयर के निर्माण में प्रयोग करने वाली धातुओं की कीमतें आसमान पर हैं। कई बार पीतल, आयरन, सिल्वर, जस्ता व तांबा को शेयर बाजार की सूची से हटाने की मांग की है। ताकि बनावटी खरीदारी न हो सके। फिजिकल माल की खरीदारी सस्ती हो सके। पीतल मूर्ति निर्माता कपिल वाष्णेर्य का कहना है कि पीतल मूर्ति के निर्माण की लागत बढ़ गई है। साथ ही मजदूरों ने भी 10 फीसद अपना मेहनताना बढ़ा दिया है। रा मैटीरियल बढऩे से लागत बढ़ गई है। दीपावली के लिए मिलने वाले आर्डर कम मिल रहे हैं। ताला निर्माता यतेंद्र जैन ने बताया कि कोरोना संकट के बाद ताला-हार्डवेयर कारोबार रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। धातुओं के दाम बढऩे से लागत मूल्य बढ़ गया है। डीलर व सप्लायर उत्पादन पर पैसा नहीं बढ़ा रहे हैं। धातुओं की कीमतों को सरकार काबू में करे। आयरन सीट के थोक कारोबारी विष्णु भैया ने बताया कि आयरन की सीट के रेट काबू में नहीं आ रहे हैं। स्क्रेप सीट 110 रुपये प्रतिकिलो तक बिक गई है। मेङ्क्षल्टग स्क्रेप पिछले साल 22 रुपये प्रतिकिलो तक बाजार में बिकी थी। इस साल यह 40 रुपये प्रतिकिलो तक बिक गई है।


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