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क्रिसमस पर यूरोपियन फिगर व स्टैच्यू के निर्यातकों को नहीं मिल रहे आर्डर Aligarh news

एक साल से पूरी दुनिया कोविड-19 से जूझ रही है। तमाम विकसित देश एक बार फिर से लाॅकडाउन हो गए हैं। सर्तकता व कोरोना प्रॉटोकॉल को लेकर सरकारें सख्ती बरत रही हैं। 10 दिसंबर से क्रिसमस का जश्न शुरु हो जाता है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 04:28 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 04:28 PM (IST)
क्रिसमस पर यूरोपियन फिगर व स्टैच्यू के निर्यातकों को नहीं मिल रहे आर्डर Aligarh news
क्रिसमस की भव्यता में प्रयोग होने वाले पीतल के सजावटी उत्पादनों का निर्माण के लिए ढलाई की भट्ठी धधकती थीं।

अलीगढ़, जेएनएन : लगभग एक साल से पूरी दुनिया कोविड-19 से जूझ रही है। तमाम विकसित देश एक बार फिर से लाॅकडाउन हो गए हैं। सतर्कता व कोरोना प्रॉटोकॉल को लेकर सरकारें सख्ती बरत रही हैं। 10 दिसंबर से क्रिसमस का जश्न शुरु हो जाता है। इससे पहले मसीह समाज के लोग घरों में सजावट करते हैं। अलीगढ़ निर्मित तमाम पीतल के सजावटी सामान का निर्यात होता है। इस बार 20 फीसद ही ऑर्डर मिल रहे हैं।

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क्रिसमस पर कोरोना का साया

अलीगढ़ में पीतल की मूर्ति के अलावा यूपोपियन फिगर ( डांस करते हुए बार्बी गर्ल व ब्याय व अन्य), स्टैच्यू, क्रिसमस ट्री, फैंसी बैल, बॉल हैंगिग, डिजाइनर बॉल प्लेट ( नक्कासी वाली), मार्डन आर्ट के आयटम, म्यूजिक मैन बॉल हैंगिग सहित अन्य सजावटी आयटम निर्यात किए जाते थे। 15 नियार्तक व मैन्युफैक्चर अमेरिका, जर्मन, इटली, फ्रांस, कैनाडा, इग्लेंड सहित अन्य विकसित देशों में सप्लाई करते हैं। अफ्रीकन फिगर के खास आयटम भी सात समंदर पार निर्यात किए जाते थे। पिछले साल तक इन निर्यातकों के अलावा मुरादाबाद व दिल्ली के निर्यातकों द्वारा 75 करोड़ से अधिक के ये उत्पादन सप्लाई किए जाते थे। इस बार मसीह समाज के लोगों पर कोविड-19 का असर दिख रहा है। घरों में सजावट को लेकर विदेशों में उत्साह इस बार ठंडा है। तमाम बंदिशों के चलते आयोजनों पर भी तलबार लटकी हुई है। नए ऑर्डर मिलना तो दूर पुराने भी निरस्त हो रहे हैं। ऑर्डर 20 फीसद ही रह गए हैं। जबकि माल निर्यात करने का समय काफी कम बचा हुआ है। गिराजाघरों में बजने वाले घंटे भी अलीगढ़ से निर्यात होते हैं।इस बार ऑर्डर न मिलने से कुशल कारीगरों पर भी इसका असर है। दीपावली के बाद क्रिसमस की भव्यता में प्रयोग होने वाले पीतल के सजावटी उत्पादनों का निर्माण के लिए ढलाई की भट्ठी धधकती थीं। जो अब ठंड पड़ी है।

महंगी पीतल ने कारोबारियों की उठाई नींद 

ऑर्डर न मिलने से जूझ रहे मैन्युफैक्चरर्स की महंगे रॉ मेटेरियल ने नीदें उड़ा दी हैं। पिछले पांच दिनों में पीतल 30 से 40 रुपया प्रतिकिलो तक महंगी हो गई है। जिन कारोबारियों ने दीपावली से पहले तक नए ऑर्डर लिए हैं, उन्हें महंगी पीत की सिल्ली से बड़ा नुकसान होगा। बाजार में साख बचाने के लिए घाटे में ऑर्डर पूरे करने होंगे। पांच दिन पहले तक बिकने वाली पीतल (हनी) 330 वाली बुधवार को 375 रुपया प्रतिकिलो तक बिक रही है। 310 रुपया प्रतिकिलो बिकने वाली पीतल की सिल्ली 345 रुपया प्रतिकिलो बाजार में बिकी।

इनका कहना है

कोरोना संकट के चलते कारोबारी पहले से पस्त थे। दीपावली पर बाजार में पीतल की मूर्ति व अन्य आयटम की मांग बढ़ी। कारोबार ने रफ्तार पकड़ी ही थी, कि अब पीतल के रेटों में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। बाजार में साख बनाए रखने के लिए घाटे में भी ऑर्डर देने ही होंगे।

- विपिन विहारी गुप्ता, अध्यक्ष, पीतल मूर्ति एव स्टैच्यू मैन्युफैक्चर्स एंड सप्लायर्स एसोसिएशन

अमेरिका सहित अन्य विकसित देशों से क्रिसमस पर अच्छे ऑर्डर मिलते थे। हर साल दीपावली के बाद क्रिसमस ट्री, फैंसी बैल, बॉल हैंगिग, डिजाइनर बॉल प्लेट की डिलीवरी पहुंचानी होती थी। इस बार 20 फीसद भी ऑर्डर नहीं है। इसका कारण कोरोना प्रोटोकॉल बताया गया है।

- कपिल वाष्र्णेय, निर्यातक, केके इंटर नेशनल


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