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अलीगढ़ में हाथी के साथी नहीं बन सके साइकिल और हैंडपंप

सूबे की सियासत में करीब 24 साल की दावत को भूलकर साइकिल और हाथी एक रास्ते पर आए। कमल को कुचलने के लिए हैडपंप को भी साथ में ले लिया मगर यह तालमेल काम नहीं आया।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 10:06 AM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 04:22 PM (IST)
अलीगढ़ में हाथी के साथी नहीं बन सके साइकिल और हैंडपंप
अलीगढ़ में हाथी के साथी नहीं बन सके साइकिल और हैंडपंप

अलीगढ़ (जेएनएन)। सूबे की सियासत में करीब 24 साल की दावत को भूलकर साइकिल और हाथी एक रास्ते पर आए। कमल को कुचलने के लिए हैडपंप को भी साथ में ले लिया, मगर यह तालमेल काम नहीं आया। तीनों दल अपने कैडर वोट भी पूरी तरह एकजुट नहीं कर पाए। भाजपा ने उनके कैडर वोट बैंक में खूब सेंध लगाई। मतगणना के दौरान जैसे ही ईवीएम ने कैडर वोट भाजपा को देने शुरू किए, इन दलों की सांस फूलती नजर आई। 

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कैडर वोट पर पकड़ हुई ढीली
अटूट व मजबूत गठबंधन देने के लिए तीनों दलों ने खूब दावे किए, मगर शुरुआत में ही दिख गया कि राह आसान नहीं। खासतौर से चिर प्रतिद्वंद्वी सपा-बसपा के बीच तालमेल किसी मुकाम पर पहुंचेगा, इसे लेकर सभी आशंकित थे, मगर धीरे-धीरे गठबंधन मजबूत दिखाई देने लगा। सियासी पंडितों की मानें तो यहीं पर गठबंधन चूक गया, उन्हें लगा कि उनका कैडर वोट हाथी या साइकिल सिंबल देखकर वोट डाल देगा। ऐसे में कैडर वोट पर पकड़ थोड़ी ढीली होती चली गई।

भाजपा ने उठाया फायदा
भाजपा ने इसका खूब फायदा उठाया। तीनों दल जब तक संभलते, बहुत देर हो गई। मतगणना के दौरान भाजपा को इन इलाकों से भी वोट मिले, जहां से कोई उम्मीद ही नहीं थी। इन दलों के नेताओं ने खुद इस बात पर हैरानी जताई कि उनका वोट भाजपा को कैसे जा रहा है? दलित बस्तियों, यादव व मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में भी भाजपा को वोट मिले हैं। यह सपा व बसपा दोनों के लिए बड़ी चिंता की बात है। सबसे ज्यादा नुकसान रालोद के पारंपरिक जाट वोट बैंक से हुआ। जाट समाज ने इस बार भी भाजपा पर भी ज्यादा भरोसा किया। बहरहाल, सियासी समर साइकिल, हाथी व हैडपंप का तालमेल कारगर साबित नहीं हुआ। ऐसे में इस गठबंधन का भविष्य क्या होगा? इस पर लोगों की नजर रहेगी?

रालोद का वोट ट्रांसफर नहीं हुआ
बसपा के जिलाध्यक्ष तिलक राज यादव का कहना है कि सपा व बसपा गठबंधन का लाभ मिला, मगर रालोद का वोट बैंक ट्रांसफर नहीं हो पाया। दलित, यादव व मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में भाजपा के वोट निकले से नतीजों को लेकर शंका भी हो रही है। बसपा प्रत्याशी चौ.अजीत बालियान का कहना है कि सपा-बसपा नेताओं ने मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी। समझ से बाहर है कि हमारे बूथों पर भी ईवीएम ने भाजपा को वोट दिए। सपा के जिलाध्यक्ष अशोक यादव का कहना है कि सपा व बसपा के बीच बेहतर तालमेल रहा है। कार्यकर्ताओं ने बूथ पर मिलकर काम किया है। जनता का फैसला मान्य है। भाजपा जनता को बरगलाने में कामयाब रही।

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