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जेएन मेडिकल कॉलेज में मर रहे मरीज, रेजीडेंट्स डॉक्टर जंतर-मंतर पर Aligarh news

डॉक्टर तो भगवान का रूप होते हैं। धरती के ये भगवान ही कामकाज बंद करें तो मरीजों की जान पर तो बनेगी ही। जेएन मेडिकल कॉलेज में दो दिन से यही हो रहा है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 03:10 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jun 2019 09:16 AM (IST)
जेएन मेडिकल कॉलेज में मर रहे मरीज,  रेजीडेंट्स डॉक्टर जंतर-मंतर पर Aligarh news
जेएन मेडिकल कॉलेज में मर रहे मरीज, रेजीडेंट्स डॉक्टर जंतर-मंतर पर Aligarh news

अलीगढ़ (जेएनएन)। डॉक्टर तो 'भगवान' का रूप होते हैं। धरती के ये 'भगवान' ही कामकाज बंद करें तो मरीजों की जान पर तो बनेगी ही। जेएन मेडिकल कॉलेज में दो दिन से यही हो रहा है। सातवां वेतन मान लागू करने की मांग को लेकर हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टरों के चलते करोड़ों में तैयार हुआ ट्रामा सेंटर वीरान पड़ा है। मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं लेकिन इलाज करने वाला कोई नहीं हैं। एक बच्चे की यहां मौत हो गई। हालांकि डॉक्टरों का तर्क है कि मरीज इमरजेंसी में आने से पहले ही दम तोड़ चुका था। दो बच्चों की पहले दिन मौत हुई थी। उधर, हड़ताल पर गए रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के पदाधिकारी मंगलवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर पहुंचे, वहां प्रदर्शन भी किया।

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हालात चिंताजनक, अफसर मौन
हड़ताल के चलते मेडिकल कॉलेज में हालात बदतर होते जा रहे हैं। इलाज के लिए आ रहे मरीजों को इमरजेंसी के गेट ही रोक दिया जाता है। जहां ये तड़पते रहते हैं। 13 नंबर ओपीडी में भीड़ के कारण पहले नंबर को लेकर मरीज और सुरक्षा कर्मी में झगड़ा हो गया, जिसे अन्य सुरक्षा कर्मियों ने शांत किया। वार्ड में भर्ती पुराने मरीजों की समय पर देखभाल नहीं हो रही है। इंटर्न के साथ कुछ कंसलटेंट ही मरीजों को देखते नजर आए।

पर्चे भी नहीं बन रहे
ओपीडी में डॉक्टरों की कमी के कारण रजिस्ट्रेशन का समय भी दो घंटे घटा दिया गया। मेडिकल में शुक्रवार को छोड़कर सुबह आठ से 12 बजे तक पर्चे बनाए जाते हैं। दूरदराज से आए मरीज सुबह से ही लाइन में लग गए। दस बजते ही पर्चे बनाने का काम बंद कर दिया। इस कारण कई मरीज रह गए। कुछ मरीज ग्र्रामीण क्षेत्र व अन्य जनपदों से आने के कारण देरी से पहुंचे। उन्हें भी लौटना पड़ा। एक मरीज का नंबर 13वां था। लाइन में लगने को लेकर वहां मौजूद सुरक्षा कर्मी से विवाद हो गया। उसने मारपीट का आरोप भी लगाया। सुरक्षा कर्मी ने इस बात से इन्कार किया है।

मुश्किल से बची जान
इमरजेंसी में इलाज के लिए आई गंगीरी के गांव बाजिदपुर निवासी राधा के पेट में दर्द था, उन्हें कोई स्ट्रेचर नहीं मिला। काफी देर तक तड़पती रहीं। किशनपुर निवासी जगतराम के सिर की नस फट गई थी। परिजन उन्हें 13 नंबर ओपीडी में ले गए। बेटे रवि कुमार का आरोप है कि वहां एक इंटर्न लेडी डॉक्टर ने उनके गले में गलत तरीके से ट्यूब डाल दी। जब मरीज नहीं संभला तो उन्हें इमरजेंसी भेज दिया। यहां काफी देर से इलाज मिला। जिला रामपुर के गांव रमपुरा निवासी अमर सिंह का पेट फूला हुआ था। परिजन इमरजेंसी में लाए थे लेकिन उन्हें लौटा दिया गया।

दलाल हुए सक्रिय
मेडिकल में जिन गंभीर मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है, वे वापस लौट रहे हैं। एंबुलेस वाले और कुछ लोग इमरजेंसी गेट पर आकर खड़े हो जाते हैं। आसपास के निजी डॉक्टरों के यहां ले जाने के लिए दबाव बना रहे हैं।

दिल्ली प्रदर्शन में भाग लिया
सातवां वेतन आयोग की सिफारिश को लेकर दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन में रेजीडेंट डॉक्टर्स ने भाग लिया। आरडीए के उपाध्यक्ष डॉ. हमजा मलिक ने बताया कि दिल्ली में कई विश्वविद्यालयों के डॉक्टर्स ने भाग लिया। प्रदर्शन के बाद डॉक्टर्स ने मानव विकास संसाधन मंत्रालय के नाम एक ज्ञापन भेजा गया। सामूहिक अवकाश पर जाने का नोटिस पहले ही दिया जा चुका है।

गेट पर तड़पता रहा टिर्री चालक
धौर्रा पुलिया के पास मंगलवार सुबह टिर्री चालक दिव्यांग इमरान कार की चपेट में आकर घायल हो गया था। आसपास के लोग उस इमरजेंसी लेकर पहुंचे तो उससे कह दिया कि यहां तो हड़ताल है। काफी देर तक वह तड़पता रहा। मीडिया कर्मियों की दखल पर इमरान को इमरजेंसी में लिया गया। तब दर्द आदि के इंजेक्शन लगे।

हड़ताल पर यूजीसी ने लिया संज्ञान, एमएचआरडी को लिखा
जेएन मेडिकल कॉलेज में चल रहे हड़ताल से इंतजामिया ने यूजीसी, एमएचआरडी व स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखित में अवगत करा दिया है। जिस पर यूजीसी ने संज्ञान लेकर एमएचआरडी को भी लिखा है। रजिस्ट्रार अब्दुल हमीद ने बताया कि यूजीसी ने एमएचआरडी को लिखे पत्र से हमें भी अवगत कराया है। जिसकी जानकारी आरडीए के पदाधिकारियों को दी है।

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