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CAA के विरोध में भड़काऊ बयान देने पर डॉ. कफील पर अलीगढ़ पुलिस ने लगाया रासुका

एएमयू में सीएए को लेकर छात्रों को भड़काने वाले गोरखपुर के डॉ. कफील की फिलहाल रिहाई संभव नहीं। दो दिन से परवाना न पहुंचने से उन्हें मथुरा जेल से बाहर नहीं निकाला गया था।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 12:17 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 05:11 PM (IST)
CAA के विरोध में भड़काऊ बयान देने पर डॉ. कफील पर अलीगढ़ पुलिस ने लगाया रासुका
CAA के विरोध में भड़काऊ बयान देने पर डॉ. कफील पर अलीगढ़ पुलिस ने लगाया रासुका

अलीगढ़, जेएनएन। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में भड़काऊ बयान देने के मामले में अलीगढ़ पुलिस ने सख्त कार्रवाई करते हुए डॉ. कफील पर रासुका तामील की है। देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शन के बीच रासुका की देश में यह पहली कार्रवाई है। डॉ. कफील इस मामले में मथुरा जेल में बंद हैं, जिनकी शुक्रवार सुबह रिहाई होनी थी। इससे पहले ही प्रशासन ने रासुका लगाया है।

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सीएए के खिलाफ 12 दिसंबर, 2019 को एएमयू में बाबे सैयद पर आयोजित सभा के दौरान डॉ. कफील ने भड़काऊ भाषण देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ भी टिप्पणी की थी। इस मामले में 13 दिसंबर को डॉ. कफील के खिलाफ सिविल लाइंस थाना में 153 आइटी एक्ट में मुकदमा दर्ज हुआ। 29 जनवरी 2020 को यूपी एसटीएफ ने डॉ. कफील को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया। उसे एक फरवरी को अलीगढ़ लाया गया, जहां से 14 दिन की न्यायिक हिरासत में मथुरा जेल भेज दिया था।

कफील ने वकील इरफान गाजी के माध्यम से सीजेएम कोर्ट में जमानत याचिका डाली थी। 10 फरवरी को जमानत मंजूर हो गई। अधिवक्ता इरफान गाजी ने बताया कि बुधवार को मथुरा जेल में परवाना भेजा गया था, जो यह कहकर रिसीव नहीं किया कि विशेष संदेशवाहक भिजवाया जाए। इसके बाद गुरुवार को विशेष संदेशवाहक भेजा गया, जो देर शाम मथुरा जेल पहुंचा। रात में ही कागजी प्रक्रिया पूरी हो गई थी, लेकिन जमानत मंजूर होने के 72 घंटे बाद भी रिहाई नहीं हो सकी। रिहाई के लिए शुक्रवार सुबह छह बजे का समय दे दिया गया। इधर, सुबह होते ही परिजन व कफील के समर्थक मथुरा जेल में पहुंच गए। ऐन वक्त पर उन्हें जानकारी दी गई कि कफील पर रासुका के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

यह है मामला

12 दिसंबर को एएमयू में बाबे सैयद पर सभा में डॉ. कफील ने छात्रों में सांप्रदायिक भावना भड़काते हुए दूसरे समुदाय के प्रति घृणा उत्पन्न करने वाला बयान दिया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ भी टिप्पणी की थी। 13 दिसंबर को पुलिस ने डॉ. कफील के खिलाफ 153 आइटी एक्ट के तहत सिविल लाइंस थाने में मुकदमा दर्ज किया। 29 जनवरी को यूपी एसटीएफ ने डॉ. कफील को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया था। उसे अलीगढ़ लाया गया, जहां माहौल को देखते हुए एक घंटे के अंदर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में मथुरा जेल भेज दिया था।

एएमयू छात्र नेता ने लगाए प्रशासन पर आरोप

एसीएम द्वितीय रंजीत सिंह के कोर्ट से छात्र नेताओं के खिलाफ जारी किए शांतिभंग के एक लाख के मुचलकों को जब्त करने के नोटिस जारी करने के मामले में विरोध शुरू हो गया है। एएमयू छात्र नेता हम्जा सूफियान ने इसका विरोध किया है।

छात्रनेता ने लगाए आरोप

सूफियान ने कहा है कि वह 15 दिसंबर की घटना के दिन शहर से बाहर थे। पिछले दिनों राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम और अपराध शाखा के विवेचक को भी लिखित बयान देकर स्पष्ट कर दिया है। जिला प्रशासन और पुलिस के पास इसके सीसीटीवी फुटेज भी हैं, लेकिन इसके बाद भी प्रशासन बिना पक्ष सुने ही कार्रवाई कर रहा है। अब एसीएम द्वितीय के यहां से एक लाख के मुचलकों को जब्त करने का फैसला हुआ है। यह पूरी तरह गलत है। जिला प्रशासन अपने अधिकारों का दुुरुपयोग कर रहा है। किसी मासूम को फंसाया जा रहा है। एसीएम द्वितीय रंजीत सिंह के मुताबिक, शांतिभंग तोडऩे पर चार छात्र नेताओं की पहले की जमानत को निरस्त कर नया नोटिस जारी किया जा रहा है। अब इन सभी को दोबारा से जमानत के लिए मुचलके दाखिल करने होंगे।


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