Move to Jagran APP

Opposed to Citizenship Amendment Act:डॉ कफील को इस बयान ने पहुंचाया था जेल, जानिए विस्‍तार से

डॉ.कफील को पकडऩे के लिए एसटीएफ को लगाना पड़ा। 29 जनवरी को एसटीएफ ने मुंबई से गिरफ्तार कर सांस ली। रासुका से तो सियासी भूचाल खड़ा हो गया।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2020 03:13 PM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 03:13 PM (IST)
Opposed to Citizenship Amendment Act:डॉ कफील को इस बयान ने पहुंचाया था जेल, जानिए विस्‍तार से
Opposed to Citizenship Amendment Act:डॉ कफील को इस बयान ने पहुंचाया था जेल, जानिए विस्‍तार से

अलीगढ़ [जेएनएन]: ताला व तालीम के लिए मशहूर अलीगढ़ से जब कोई बात उठती है तो दूर तक जाती है। एएमयू में छात्रों के मंच से बात उठाई जाए तो उसके सुर्खियों में आना तय है। ऐसा ही कुछ 12 दिसंबर को यूनिवॢसटी के बाबे सैयद पर डॉ. कफील खान के भाषण के बाद हुआ। उनके भड़काऊ भाषण ने प्रशासन से लेकर शासन तक को हिलाकर रख दिया। डॉ.कफील को पकडऩे के लिए एसटीएफ को लगाना पड़ा। 29 जनवरी को एसटीएफ ने मुंबई से गिरफ्तार कर सांस ली। रासुका से तो सियासी भूचाल खड़ा हो गया। डॉ. कफील के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी भी लिखी। अब हाईकोर्ट के फैसले के बाद सारा विपक्ष सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है। 

एएमयू में ये कहा था डॉ. कफील ने  
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में एएमयू में 12 दिसंबर को हुई सभा में डॉ. कफील ने भाषण दिया, जिसमें उनकी जुबान फिसलती चली गई। गृह मंत्री का नाम लिए बगैर कहा, मोटा भाई हर किसी को हिंदू या मुसलमान बनना सिखा रहे हैं। इंसान बनना नहीं सिखा रहे..। ये हमारे वजूद की लड़ाई है। हमें लडऩा होगा। छात्रों को इस जंग के लिए मशाल उठानी होगी। अगले ही दिन कफील के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। तब प्रशासन शायद ही डॉ. कफील को लेकर इतना गंभीर हो, लेकिन 15 दिसंबर की रात कैंपस में हुए बवाल के बाद प्रशासन ने डॉ. कफील को तलाशना शुरू कर दिया।

इसलिए भेजा मथुरा जेल
गिरफ्तारी के बाद डॉ. कफील को अलीगढ़ की बजाय मथुरा जेल में रखा। ताकि छात्र हंगामा न करें। क्योंकि एएमयू से जेल की दूरी बहुत ज्यादा नहीं हैं। जेल में रहते ही डॉ. कफील पर 13 फरवरी को रासुका लगाई गई।
कब-कब क्या हुआ
12 दिसंबर-19 को कफील ने एएमयू में दिया भाषण।
13 दिसंबर को सिविल लाइन थाने में मुकदमा दर्ज।
29 जनवरी-20 को यूपी एसटीएफ ने मुंबई से कफील को किया गिरफ्तार।
30 जनवरी को कफील को अलीगढ़ जेल से मथुरा में किया शिफ्ट।
10 फरवरी को सीजेएम कोर्ट ने कफील की जमानत मंजूर की।
13 फरवरी को डीएम अलीगढ़ ने रासुका की संस्तुति की।
17 मार्च को लखनऊ एडवाइजरी बोर्ड ने डीएम-एसपी का पक्ष सुना।
12 मई को रासुका की दूसरी अवधि बढ़ाई।
12 अगस्त को रासुका की तीसरी बार अवधि बढ़ाई।

प्रियंका ने संभाली थी कमान
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने डॉ. कफील को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ को जुलाई में पत्र लिखा था। न्याय दिलाने में मदद का अनुरोध किया था। कहा, मुख्यमंत्री महोदय, इस पत्र के माध्यम से डॉ. कफील खान का मामला आपके संज्ञान में लाना चाहती हूं, ये अब तक लगभग 450 से ज्यादा दिन जेल में गुजार चुके हैं। हाईकोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए प्रियंका ने कहा कि आशा है कि यूपी सरकार डॉ कफील खान को अविलंब रिहा करेगी। आप नेता संजय सिंह ने भी ट्वीट किया है कि हाईकोर्ट का फैसला सरकार के चेहरे को बेनकाब करता है। सपा ने भी फैसले का स्वागत किया है।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.