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आधी आबादी पर बढ़ रहे घरेलू हिंसा के मामले, थानों में शिकायतों की भरमार Aligarh news

अब आधी आबादी यानि महिलाएं घरेलू हिंसा व अन्य उत्पीड़न का विरोध करते हुए अपनी आवाज को भी बुलंद कर रही हैं। हक की लड़ाई को पुलिस चौकी थाने से लेकर कोर्ट तक जाने से भी कतई नहीं हिचक रही हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Tue, 20 Jul 2021 06:04 AM (IST)Updated: Tue, 20 Jul 2021 07:44 AM (IST)
आधी आबादी पर बढ़ रहे घरेलू हिंसा के मामले, थानों में शिकायतों की भरमार Aligarh news
महिलाओं के प्रति अपराध के आंकड़े दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं।

अलीगढ़, जेएनएन।  ये चंद उदाहरण है कि महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। घर से बाहर महिलाओं के साथ होने वाली आपराधिक वारदातें तो आए दिन सुर्खियों में ही रहती हैं, लेकिन, घर के भीतर भी वह असुरक्षित हैं। यहां वह अपनों के ही निशाने पर हैं। रोकथाम को सरकार ने कड़े कानून भी बनाए हैं। बावजूद, घरेलू हिंसा महिलाओं के लिए अभिशाप बनी हुई है। महिलाओं के प्रति अपराध के आंकड़े दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। थानों के अलावा पुलिस कप्तान के कार्यालय पर फरियादियों की उमड़ने वाली भीड़ इसकी गवाह है।

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उत्पीड़न के खिलाफ आवाज कर रही बुलंद

अब आधी आबादी यानि महिलाएं घरेलू हिंसा व अन्य उत्पीड़न का विरोध करते हुए अपनी आवाज को भी बुलंद कर रही हैं। हक की लड़ाई को पुलिस चौकी, थाने से लेकर कोर्ट तक जाने से भी कतई नहीं हिचक रही हैं। वर्ष 2019 के पुलिस आंकड़ों को मानें तो प्रदेश में घरेलू हिंसा से जुड़े करीब 1,69, 263 मामले आए थे। वर्ष 2020 में यह संख्या दो लाख के आंकड़ों को पार कर गई। इस साल भी अब तक यह संख्या एक लाख के पार जा चुकी है। पिछले साल अलीगढ़ में घरेलू हिंसा से जुड़ी शिकायतों की संख्या 3,418 रही है। जिनमें से 2,109 मामलों में थाने व परिवार परामर्श केंद्र में समझौता हो गया। 1,309 मामलों में पुलिस स्तर से कार्रवाई की गई है। महिला परामर्श केंद्र और महिला थाने में रोजाना सैकड़ों मामलों की सुनवाई हो रही है। विगत छह महीने में ही यहां 1126 मामले सुनवाई के लिए आ चुके हैं।

यह है घरेलू हिंसा

घरेलू हिंसा केवल शारीरिक प्रताड़ना ही नहीं है, बल्कि महिला के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, अंग व मानसिक अपहानि भी घरेलू हिंसा के दायरे में है। महिला का शारीरिक दुरुपयोग, लैंगिक दुरुपयोग, मौखिक, आर्थिक एवं भावनात्मक दुरुपयोग भी घरेलू हिंसा है।

पुलिस बचा रही रिश्ते

इस तरह के ये एक -दो नहीं तमाम मामले हैं। जिनमें रिश्ते टूटने की कगार पर पहुंच गए। नौबत तलाक की चौखट तक पहुंच गई। पुलिस ने परिवार परामर्श केंद्र में मीडिएशन व काउंसलिंग से न केवल इन मामलों को सुलझाया है बल्कि पति-पत्नी के अटूट बंधन को और मजबूत धागे से बांधने का काम भी किया है।

केस- एक

सासनीगेट इलाके की सुषमा की शादी को पांच साल बीत चुके हैं। पति मामूली कहासुनी में ही कई बार मारपीट कर चुके हैं। नजरअंदाज करती रही सुषमा के सब्र का बांध उस वक्त टूट गया जब बच्चों के सामने पति ने मारपीट कर दी। अब मामला परिवार परामर्श केंद्र में है।

केस - दो

बन्नादेवी इलाके की निशा का पति आए दिन नशे मे मारपीट करता है। मारपीट से आजिज आकर निशा ने इसकी महिला थाने में शिकायत कर दी। अब मीडिएशन में मामला विचाराधीन है और दंपती की काउंसलिंग हो रही है।

इनका कहना है

आपसी समझबूझ के अभाव में दंपती के बीच होने वाले छोटे से विवाद में घर टूट जाता है। इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों व स्वजन पर पड़ता है। ऐसे मामले लगातार न बढ़ें और टूटे रिश्तों को दोबारा जोड़ने की कोशिश की जाए। महिला थाना, परिवार परामर्श केंद्र पर पति-पत्नी की काउंसलिंग के जरिए गलत फहमियां दूर कीं जाती हैं।

- कलानिधि नैथानी, एसएसपी


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