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ग्रामीणों का इलाज करते-करते डॉक्टर खुद बने किसान

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में एक सर्जन डॉ. सुदर्शन तोमर मर्ज की दवा के साथ ‘सेहतमंद’ अनाज भी बांटते हैं। ख्वाहिश यही कि मरीज एक बार ठीक हो तो फिर बीमार न पड़े।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 19 Apr 2018 09:54 AM (IST)Updated: Thu, 19 Apr 2018 09:54 AM (IST)
ग्रामीणों का इलाज करते-करते डॉक्टर खुद बने किसान
ग्रामीणों का इलाज करते-करते डॉक्टर खुद बने किसान

अलीगढ़ [राज नारायण सिंह]। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में एक सर्जन डॉ. सुदर्शन तोमर मर्ज की दवा के साथ ‘सेहतमंद’ अनाज भी बांटते हैं। ख्वाहिश यही कि मरीज एक बार ठीक हो तो फिर बीमार न पड़े। ताउम्र स्वस्थ रहे। वह कहते हैं, यह तभी संभव है, जब मरीज अच्छा खाएगा, साफ-सफाई के साथ रहेगा। मरीजों

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के अलावा वह किसानों को भी जैविक कृषि से तैयार अनाजों के पैकेट बांटकर जैविक कृषि को बढ़ावा देने का संदेश देते हैं।

डॉ. तोमर अब तक सैकड़ों मरीजों और 1500 से अधिक किसानों को दो-दो किलो वाले जैविक अनाज और बीज के पैकेट मुफ्त में बांट चुके हैं। इस अनाज को जैविक तरीके से खुद डॉ. तोमर ने ही उपजाया है। सेहत की गारंटी देने वाले उनके इस अनाज की ख्याति फैलती जा रही है। अब तो लोग एडवांस में ही फोन कर इसकी मांग करने लगे हैं।

वर्ष 2012 से पहले डॉक्टर तोमर हर रविवार को गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाते थे। गांव में शुद्ध हवा-पानी और खाने के बावजूद लोग इतने बीमार क्यों? यहां तो दूध-दही भी आसानी से उपलब्ध है? इस सवाल का जवाब तलाशते हुए डॉ. तोमर इसी निष्कर्ष पर पहुंचे कि फसलों में रासायनिक खाद और कीटनाशकों ने ही गांव तक पेट, किडनी, ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक जैसी बीमारियां पहुंचाई हैं। इसके बाद उन्होंने खुद जैविक खेती की शुरुआत की।

वर्तमान में 30 बीघे में जैविक खेती कर रहे हैं। इसमें गेहूं, मटर, चना, तिल, सरसो, मक्का आदि उगाते हैं। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए पिछले साल तक 1500 किसानों को गेहूं, मटर, मसूर, अरहर आदि के अनाज बांट चुके हैं। इसका एक बार स्वाद लग जाने पर वह दोबारा यही खेती करता है। यह अनाज लोगों को बीमारियों से दूर भी रख रहा है। अब तो लोग उन्हें फोन एक साल से तो उनके पास अनाज के लिए फोन आने लगते हैं।

डॉक्टर साहब से बातचीत में पता लगा कि रासायनिक खाद और कीटनाशक के कारण ही गांवों तक तमाम बीमारियां पहुंच रही हैं। इसके बाद मैंने भी जैविक खेती शुरू कर दी है। इस साल 50 बीघा खेती यही है। दलहन, तिलहन और गेहूं बोया था। उपज भी ठीक आई है। -राजू, किसान

चार साल पहले डॉक्टर साहब ने गांव में शिविर लगाया तो मैंने पूछा कि यहां भी लोग ब्लड प्रेशर, शुगर की गिरफ्त में क्यों आ रहे हैं, जबकि यहां तो साफ हवा-पानी है? उन्होंने कहा कि अनाज से बीमारियां आ रही हैं। मैंने उसे छोड़कर जैविक खेती शुरू कर दी। इस बार 20 बीघे में है। -पप्पू, किसान 


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