बांझपन नहीं अभिशाप, आधुनिक पद्धति से पाएं मातृत्व सुख
जागरण संवाददाता अलीगढ़ स्त्री हो या पुरुष किसी में भी कुछ कमी होने पर स्त्रियां मातृत्व सुख
जागरण संवाददाता, अलीगढ़: स्त्री हो या पुरुष, किसी में भी कुछ कमी होने पर स्त्रियां मातृत्व सुख से वंचित हो जाती हैं। समय पर उचित सलाह, जांच व इलाज न होने से तमाम स्त्रियां बांझपन का बोझ ढो रही हैं, जो अब अभिशाप नहीं। इसका निदान साधारण विधि, आइयूआइ व आइवीएफ पद्धति से संभव है। ऐसे तमाम दंपतियों के जीवन में खुशहाली लौटी, जो उम्मीद ही छोड़ चुके थे। यह जानकारी विष्णुपुरी बेलामार्ग स्थित जीवन हॉस्पिटल एंड टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर की वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग, इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. दिव्या चौधरी ने दैनिक जागरण के हेलो डॉक्टर कार्यक्रम में दी। तमाम लोगों ने उनसे बांझपन, आइवीएफ व स्त्री रोगों से संबंधित सवाल पूछे, जिनका संतोषजनक जवाब भी मिला। नवंबर 2019 को पांच माह का गर्भवस्थ बच्चा नली में फंसने से खराब हो गया। तब से पेट में दर्द होता है। दोबारा गर्भ भी नहीं ठहरा।
- गुलफसां।
नली में बच्चा फंसने का मतलब उसमें कोई रुकावट है। इसकी वजह टीबी या नली में टीबी संक्रमण हो सकता है। सभी जांच होनी चाहिएं, अन्यथा बच्चा पुन: नली में फंस सकता है।
शादी को पांच साल से ज्यादा हो गए। कोई बच्चा नहीं हुआ है। जांच में पति के सीरम में शुक्राणुओं की कमी का पता भी चला है। क्या हमें आइवीएफ कराना होगा?
- बॉबी
यदि आपके नले खुले हुए हैं और अंडे भी ठीक हैं तो सीधे आइवीएफ पर आने की जरूरत नहीं। पति के साथ किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें। पहले आइयूआइ करके देखा जाएगा, जो आइवीएफ से बहुत सस्ती पद्धति है। इसमें पुरुष के अंडकोष या सीरम बैंक से शुक्राणु लेकर स्त्री के गर्भाश्य में डाल दिए जाते हैं। यह पद्धति काफी कारगर है।
हर 15 दिन बाद पीरियड होने लगते हैं। पूर्व में दो बार ढाई-ढाई माह पर गर्भपात भी हो चुका है। बहुत तनाव रहता है।
- कविता
चिता मत कीजिए। ऐसा अनियंत्रित हार्मोंस या बच्चेदानी में रसौली-गांठ से भी हो सकता है। सर्वप्रथम टीवीएस अल्ट्रासाउंड करके देखा जाएगा। इसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी। अपनी जांच व दवा आदि के पर्चों समेत संपर्क करें। सब ठीक हो जाएगा।
हमारे 20 वर्षीय इकलौते बेटे की हादसे में मृत्यु हो गई। क्या हम आइवीएफ से दोबारा संतान सुख पा सकते हैं?
- आरके शर्मा
आप जैसे तमाम दंपतियों के घर में बच्चे की किलकारी गूंज चुकी है, लेकिन नई गाइडलाइन के अनुसार केवल वही दंपती आइवीएफ करा सकते हैं, जहां महिला-पुरुष की कुल उम्र 100 साल से अधिक न हो। यानि, यदि महिला की उम्र 45 वर्ष है तो पुरुष की अधिकतम उम्र 55 होनी चाहिए।
शादी को चार माह हो गए हैं, लेकिन गर्भधारण नहीं हो रहा, क्या करूं।
- सुमन।
आपको गर्भधारण के लिए कम से कम एक वर्ष तो इंतजार करना चाहिए। फिर भी पति-पत्नी दोनों हार्मोनल प्रोफाइल, अल्ट्रासाउंड, फेलोपियन ट्यूब टेस्ट करा विशेषज्ञ से संपर्क करें। क्या पीसीओडी की समस्या भी बांझपन का कारण है? मुझे महीनें चढ़-चढ़कर आ रहे हैं।
- शीतल
पालीसिस्टिक ओवेरियन डिसीज एक हार्मोनल डिसऑर्डर है। इसमें ओवरी में छोटे-छोटे सिस्ट होते हैं और हार्मोनल ब्लड टेस्ट कराने में हार्मोंस असंतुलित मिलते हैं। जैसे एफएसएच, एलएच। थायराइड हार्मोन कम हो जाता है। यदि दवा से अंडे नहीं बनते तो फिर इंजेक्शन दिया जाता है। ऐसी महिलाओं में शुगर का कंट्रोल किया जाना बहुत जरूरी है।
ये हैं बांझपन के कारण
डॉ. दिव्या ने बताया कि बांझपन के लिए 35 से 40 फीसद मामलों में पुरुष, 40 फीसदी में स्त्रियां जिम्मेदार होती हैं। 10 से 15 फीसदी मामलों में कोई जिम्मेदार नहीं होता। महिलाओं में बच्चेदानी से संबंधित कारण जैसे बच्चेदानी में फाइब्रराइड्स, पॉलिप, सेप्टा या जाला झिल्ली हो सकता है। फेलोपियन ट्यूब से संबंधित कारणों में टीबी, एंडोमेट्रियोसिस, क्लेमाइडिया, गोनोरिया जैसे संक्रामक रोगों की वजह से ट्यूब ब्लॉक हो जाती है। समय से पहले अंडे बनने की प्रक्रिया नष्ट होना, पीसीओडी, ओवेरियन सिस्ट, डर्माइट सिस्ट के साथ ही मोटापा, हाइपोथायराइडिज्म, हाइपर प्रोलेक्टिमिया भी कारण हो सकते हैं। पुरुषों में पैदायशी कमी, नली में अवरोध, हार्मोंस का असंतुलन, हाइड्रोसील या नशावृत्ति भी वजह हो सकती है। तमाम परिस्थितियों में संतान सुख पाना संभव है।
इन्होंने भी लिया परामर्श
प्रतिभा कॉलोनी से रिकू, जयगंज से मंजू रानी, अतरौली से शिखा बंसल, क्वार्सी से शालिनी, रामबाग से लक्ष्मी सिंह, महेंद्र नगर से प्रमोद कुमार, एडीए आगरा रोड से प्रियंका, देहली गेट से भुवनेंद्र सिंह, बारहद्वारी से नीलकांत, सुरेंद्र नगर से रजनीश, खैर से केपी सिंह, शहर से अंकिता आदि।