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दिव्यांग मौनू का आशियाना है झोंपड़ी, रिकार्ड में पक्का मकान Aligarh News

मामला थाना बरला के गांव भवीगढ का है। यहां के मोनू शर्मा 28 वर्ष ढाई साल की उम्र में पोलियो की चपेट में आ गये थे। एक दशक पहले माता-पिता चल बसे। बड़े भाई का भी साथ नहीं मिल पाया। लेकिन मोनू ने हिम्मत नहीं हारी।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 03:48 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 03:48 PM (IST)
दिव्यांग मौनू का आशियाना है झोंपड़ी, रिकार्ड में पक्का मकान Aligarh News
थाना बरला के गांव भवीगढ का मोनू शर्मा पोलियो की चपेट में आ गये थे।

अलीगढ़, जेएनएन। मोदी सरकार गरीबों के हित में लगातार काम कर रही है। प्रधानमंत्री की प्राथमिकता है कि कोई गरीब भूखा ना सोये और रहने के लिए पक्की छत हो। मगर अलीगढ़ में बरला के गांव भवीगढ के एक दिव्यांग के साथ तहसील प्रशासन ने ही ऐसा खेल कर दिया कि पत्नी - बेटी के साथ झोंपड़ी नुमा कच्चे मकान में रहने वाले को पहले से ही पक्के मकान का मालिक दिखा दिया। सीएम पोर्टल पर हुई शिकायत के बाद इसका पर्दाफाश हुआ है। अब जिम्मेदार लोग एक दूसरे पर टाल रहे हैं।

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हो सकती है कोई अनहोनी

मामला थाना बरला के गांव भवीगढ का है। यहां के मोनू शर्मा 28 वर्ष ढाई साल की उम्र में पोलियो की चपेट में आ गये थे। एक दशक पहले माता-पिता चल बसे। बड़े भाई का भी साथ नहीं मिल पाया। लेकिन मोनू ने हिम्मत नहीं हारी। मेहनत मजदूरी कर जैसे तैसे घर का खर्च चला लेते हैं। फिलहाल नरौना बरला रोड़ पर स्थित एक स्कूल में महज तीन हजार रूपये महीने की चपरासी की नौकरी कर रहे हैं। गांव में जिस मकान में रहते हैं वह कच्चा है। बारिश की वजय से उसकी छतों से पानी टपकता है। कभी भी ज्यादा बारिश होने की वजय से गिर सकता है। कोई अनहोनी की घटना भी घटित हो सकती है।

ऐसे हुआ खेल

मोनू के साथ कुदरत की मार तो है ही वहीं सरकारी तंत्र भी इससे पीछे नहीं रहा। पिछले दिनों इन्हें पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पीएम आवास योजना की जानकारी पर अपना आवास मिलने की उम्मीद जगी। पहले ब्लाक स्तर पर आवेदन किया। वहां सुनवाई ना हुई तो सीएम पोर्टल पर गुहार लगाई। अब जब रिपोर्ट आई तो उसे देखकर वह चौक गये। रिपोर्ट में इन्हें दो पक्के कमरे का मालिक बताते हुए पीएम आवास योजना से अपात्र घोषित कर दिया। मोनू ने इस बाबत शिकायत सीएम पोर्टल पर भी की। मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सचिव ने गांव में मौके पर जाये बिना ही शिकायत का फर्जी निस्तारण कर दिया। इसके बाद बीडीओ ने भी आंख मूंदकर इस आख्या पर मुहर लगा दी। इसी लापरवाही से गरीब दिव्यांग आवास की पात्रता श्रेणी से बाहर हो गया।


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