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Ramveer Upadhyay: अखर गया रामवीर का यूं जाना, ये है वकालत से मंत्री तक का सफ़रनामा

Ramveer Upadhyay Death पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय का जाना अखर गया। अंतिम दर्शन को जनसैलाब के बीच अश्रुधारा बहती दिखाई दी। 25 साल की राजनीति में उन्होंने हाथरस को जो दिया शायद लोग भुला सकें। आइए वकालत से मंत्री तक का सफ़रनामा नजर डालते हैं

By Mohammad Aqib KhanEdited By: Published: Sun, 04 Sep 2022 12:56 AM (IST)Updated: Sun, 04 Sep 2022 12:56 AM (IST)
Ramveer Upadhyay: अखर गया रामवीर का यूं जाना, ये है वकालत से मंत्री तक का सफ़रनामा
Ramveer Upadhyay: अखर गया रामवीर का यूं जाना, ये है वकालत से मंत्री तक का सफ़रनामा : जागरण

हाथरस, जागरण संवाददाता: Demise of Ramveer Upadhayay मृत्यु अटल है, इसे टाला नहीं जा सकता। कुछ शख्सियत ऐसी होती हैं, जिनका जाना अखर जाता है। अंतिम दर्शन को जनसैलाब खींच लाता है। अटूट अश्रुधारा बहती है। पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय का जाना अखर गया। 25 साल की राजनीति में उन्होंने हाथरस को जो दिया, शायद लोग भुला सकें।

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राजनीतिक सफर

  • 1996 में बसपा से पहली बार विधायक बने, वे हाथरस विधानसभा क्षेत्र से जीते थे
  • मार्च 1997 में मायावती मंत्रिमंडल में ऊर्जा व परिवहन मंत्री बने।
  • 1997 में कल्याण सिंह मंत्रिमंडल में यही मंत्रालय इनके पास रहे।
  • 2002 में दूसरी बार हाथरस से जीते और बसपा सरकार में ऊर्जा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री बने
  • 2007 में हाथरस से विधायक बने। तीसरी बार ऊर्जा मंत्री बने।
  • 2012 में सिकंदराराऊ से विधायक बने।
  • 2017 से वह सादाबाद से विधायक बने।
  • 2022 के विधानसभा के चुनाव के दौरान उन्होंने बसपा छोड़ दी और भाजपा से सादाबाद विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ा। खराब स्वास्थ्य के कारण प्रचार में नहीं जा सके। वे रालोद के प्रत्याशी प्रदीप चौधरी गुड्डू से हार गए थे।

यह पद भी रहे

  • 2002 -2003 में नियम समिति के सदस्य रहे।
  • 2012 में बसपा विधान मंडल दल का मुख्य सचेतक बनाया गया।
  • 2012-12 में कार्य मंत्रणा समिति के सदस्य बनाए गए।
  • 2016-17 में लोक लेखा समिति के सदस्य रहे।

वकालत से मंत्री तक

रामवीर उपाध्याय को राजनीति विरासत में नहीं मिली। खुद के दम पर उन्होंने अपनी दिग्गज नेता के रूप में पहचान बनाई। एक अगस्त 1957 को हाथरस के बामौली गांव में रामचरन उपाध्याय के यहां जन्मे रामवीर हर चुनौती को स्वीकार करते थे। उन्होंने स्नातक, एलएलबी तक शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद गाजियाबाद में वकालत की। 1990 के बाद वे राजनीति में सक्रिय हुए। इनका एक पुत्र चिराग उपाध्याय है, जो कि राजनीति में सक्रिय हैं। दो पुत्रियां हैं।

परिवार पर नजर

  • पत्नी सीमा उपाध्याय तीसरी बार जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। इससे पहले वह वर्ष 2002 और 2007 में जिला पंचायत अध्यक्ष बनी थीं।
  • वर्ष 2009 में फतेहपुर सीकरी सीट से सांसद बनीं। सिने स्टार राज बब्बर को उन्होंने हराया था।
  • रामवीर उपाध्याय के छोटे भाई विनोद उपाध्याय 2015 में जिला पंचायत अध्यक्ष बने।
  • दूसरे भाई मुकुल उपाध्याय 2005 में इगलास के उपचुनाव में बसपा से विधायक बने।
  • अलीगढ़ मंडल से एमएलसी और राज्य सेतु निगम के निदेशक भी रहे
  • सबसे छोटे भाई रामेश्वर वर्तमान में मुरसान के ब्लाक प्रमुख हैं।

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