Special on World Cycle Day: लॉकडाउन में घर लौटने में प्रवासी मजदूरों की मददगार बनी साइकिल, रोगों से भी छुटकारा
साइकिल...गरीबों का पैसा बचाती है और अमीरों की सेहत। पर्यावरण का सच्चा साथी है तो भरोसेमंद हमसफर भी। साइकिल चलाना मात्र जरूरत नहीं है बल्कि ये सेहत भरी लंबी उम्र का रथ है।
अलीगढ़[लोकेश शर्मा]: साइकिल...गरीबों का पैसा बचाती है और अमीरों की सेहत। पर्यावरण का सच्चा साथी है तो भरोसेमंद हमसफर भी। साइकिल चलाना मात्र जरूरत नहीं है, बल्कि ये सेहत भरी लंबी उम्र का रथ है। इस पर जो सवार हुआ, वो ङ्क्षजदगी को आसान बना गया। बचपन से बुढ़ापे की दहलीज पर आए कुछ लोगों ने साइकिल की इसी खूबी को देखकर इसका साथ नहीं छोड़ा। 75 साल के सेवानिवृत शिक्षक उदयवीर शर्मा आज भी साइकिल से ही सफर करते हैं, जबकि अन्य वाहन घर में मौजूद हैं। यही वजह है कि उन्हें किसी बीमारी ने नहीं जकड़ा। ब्लड प्रेशर, शुगर, गठिया की शिकायत भी कभी नहीं हुई।
1952 से चला रहे साइकिल
मूलरूप से खैर के गांव सहरोई निवासी उदयवीर शर्मा बताते हैं कि वे 1952 से साइकिल चला रहे हैं। पिताजी ने उस समय 28 रुपये में साइकिल खरीदी थी, जिसे वे गांव में घुमाते थे। तब पांच फीसद लोगों के पास ही साइकिल थीं। 1964 में जब शादी हुई तो दहेज में साइकिल मिली, तब इसकी कीमत 128 रुपये थी। सरकारी स्कूल में नौकरी लगी तो साइकिल से ही आना-जाना था। इसके अलावा प्रतिदिन आठ से दस किमी साइकिल चलती थी। शरीर की चुस्ती, स्फूॢत देखकर साइकिल से लगाव सा हो गया। साथियों ने मोपेड खरीद ली थी, दिनभर फर्राटा भरते। रफ्तार तो उनकी बढ़ गई, लेकिन सेहत के मामले में पिछड़ गए। अब उनके पास स्कूटर, बाइक, कार हैं। आज भी उनसे मुलाकात होती है। किसी का ब्लड प्रेशर बढ़ा है, किसी को डायबिटीज है तो कोई घुटनों के दर्द से परेशान है। सेवानिवृत शिक्षक बताते हैं कि बदलते जमाने में भले ही इंसान रफ्तार से बातें करने लगा हो, लेकिन आज भी सेहत का सफर उसे साइकिल से ही मिल रहा है।
साइकिलिंग से लाभ
- गठिया के इलाज में सहायक।
- 40 फीसद तक तनाव कम होता है।
- मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
- शरीर की चर्बी कम करने में मददगार।
- दिल की बीमारी का खतरा कम होता है।
- मधुमेह रोग में बड़ी राहत मिलती है।
बेचना पड़ा स्कूटर
कृष्णापुरी निवासी 73 वर्षीय हार्डवेयर कारोबारी शिवचरन लाल झा का साइकिल के प्रति लगाव देखते ही बनता है। उनके बेटे संजू ने स्कूटर लाकर दिया, लेकिन कभी चलाया नहीं, आखिर बेचना पड़ा। इस उम्र में भी वे साइकिल की सवारी करते हैं। कारोबारी बताते हैं कि लोगों को साइकिल का उपयोग करना चाहिए, ताकि प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सके। साइकिल से न ध्वनि प्रदूषण होता न वायु प्रदूषण। यातायात व्यवस्था बनाए रखने में भी सहायक है। अन्य वाहनों की पाॢकंग, बीमा, ईंधन और रखरखाव की तुलना में एक साइकिल कहीं सस्ता साधन है। सेहत भी बनी रहती है।
मजदूरों का सहारा बनी साइकिल
लॉकडाउन में जब कोई साधन नहीं था, तब घर लौटने के लिए साइकिल से ही प्रवासी मजदूरों ने सैकड़ों किमी का सफर तय किया। इस सफर में पसीना तो बहा, लेकिन कोई जोखिम नहीं था। उन्हीं सड़कों पर फर्राटा भरते वाहनों में भिड़ंत हुईं, कई मजदूर इन हादसों का शिकार हुए थे। मुरारी लाल झा बताते हैं कि वे साइकिल से गांव-गांव घूमते हैं, कभी हादसों का भय नहीं रहा।