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पानी पर फसलों की चहल-पहल, ये है तकनीक Aligarh News

लगातार सिकुड़ता खेतों का रकबा और जलवायु परिवर्तन लगभग पूरी मानव सभ्यता के लिए चिंता का विषय है। ऐसे में हाइड्रोपोनिक (जलीय कृषि) तकनीक से पानी पर खेती वरदान साबित हो सकती है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 12:03 PM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 04:34 PM (IST)
पानी पर फसलों की चहल-पहल, ये है तकनीक Aligarh News
पानी पर फसलों की चहल-पहल, ये है तकनीक Aligarh News

पारुल रावत, अलीगढ़ : लगातार सिकुड़ता खेतों का रकबा और जलवायु परिवर्तन लगभग पूरी मानव सभ्यता के लिए चिंता का विषय है। ऐसे में हाइड्रोपोनिक (जलीय कृषि) तकनीक से पानी पर खेती वरदान साबित हो सकती है। इसी तकनीक का प्रयोग कर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट (आइटीएम) के दो छात्र रोहताश कुमार व उबैद खान भविष्य संवार रहे हैं। दूसरों को भी प्रशिक्षण दे रहे हैं।

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घर की छत पर उगाईं सब्जियां

पनैठी (अकराबाद) के रोहताश व दोदपुर (सिविल लाइन) निवासी उबैद ने बीते साल मेरठ में आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी में इस तकनीक को सीखा। आज वे अपने घर की छत पर पानी में टमाटर, लेमन ग्रास, गोभी, पालक, मेथी आदि सब्जियां उगा रहे हैं। रोहताश ने बताया कि पानी का टीडीएस (टोटल डिजॉल्वड सॉल्ट्स), तापमान व पीएच (पोटेंशियल ऑफ हाइड्रोजन) पौधे के अनुसार नियंत्रित रखना होता है। पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिए खनिजों के घोल की कुछ बूंदें महीने में एक या दो बार पानी में डालनी होती है। यही खनिज जड़ों के जरिये फल, पत्तियों तक पहुंचते हैं।

कम लागत में पैदावार

उबैद बताते हैैं कि इस तकनीक से कम जगह में ज्यादा पैदावार ली जा सकती है। पौधे मल्टीलेयर फ्रेम के सहारे टिके पाइप में उगते हैं। उर्वरक व कीटनाशक का खर्च नहीं आता। पानी भी कम खर्च होता है। पौध, खनिज व मोटर के लिए बिजली की लागत आती है। एक बार इस्तेमाल पानी बार-बार रिसाइकल होता रहता है। मोटर 10 से 12 घंटे चलती है। सामान्य फसलों से तीन से पांच गुना अधिक पैदावार होती है। रात में मौसम पौधों के अनुकूल रहता है। इस तकनीक का उपयोग थोड़े से प्रशिक्षण के बाद कोई भी व्यक्ति आसानी से कर सकता है। एक अनुमान के अनुसार इस तकनीक से 5 से 8 इंच वाले पौधे के लिए प्रति वर्ष एक रुपये से भी कम खर्च आता है।

ये है हाइड्रोपोनिक तकनीक

पानी या बालू या फिर कंकड़ों के बीच नियंत्रित जलवायु में बिना मिट्टी के पौधे उगाने की तकनीक को हाइड्रोपोनिक कहते हैं। हाइड्रोपोनिक शब्द की उत्पत्ति दो ग्रीक शब्दों हाइड्रो तथा पोनोस से मिलकर हुई है। हाइड्रो का मतलब पानी, पोनोस का अर्थ है कार्य। हाइड्रोपोनिक तकनीक में पौधों व चारे वाली फसलों को नियंत्रित परिस्थितियों में 15 से 30 डिग्री सेल्सियस ताप पर लगभग 80 से 85 प्रतिशत आद्र्रता में उगाया जाता है।  इस तकनीक से गेहूं जैसे अनाजों की पौध 7 से 8 दिन में तैयार हो सकती है, जबकि सामान्यत: पौध तैयार होने में 20-22 दिन लगते हैं।


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