हाथरस में फसल जलमग्न होने के साथ किसानों के सपने हो गए पानी-पानी
मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर हाथरस जंक्शन के कई गांव में शनिवार तड़के बंबा की पटरी कटने से कई खेतों में पानी घुस गया। इससे 30 बीघा खेत जलमग्न हो गए और आलू, गेहूं, सरसों की फसल बर्बाद हो गई।
हाथरस (जेएनएन)। जनपद मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर हाथरस जंक्शन के कई गांव में शनिवार तड़के बंबा की पटरी कटने से कई खेतों में पानी घुस गया। इससे 30 बीघा खेत जलमग्न हो गए और आलू, गेहूं, सरसों की फसल बर्बाद हो गई। सूचना के बाद भी तहसील से कोई अफसर नहीं पहुंचा तो स्वयं ही ग्रामीणों ने जेसीबी मंगाई और बंबे पर मिट्टी डलवाकर पानी रोका।
खेत हो गए जलमग्न
हाथरस जंक्शन के निकट विजयगढ़-बहानपुर के बीच से होकर एक बंबा निकल रहा है। इसमें देर रात अचानक पानी आ गया। तड़के सुबह जब किसान पहुंचे तो बंबा कटा देखकर भौचक्के रह गए। देखते ही देखते एक दर्जन से अधिक किसानों के खेत जलमग्न हो गए।
जेसीबी से किया बंबे का बंद
किसानों ने पानी रोकने के इंतजाम शुरू किए। जेसीबी मंगाकर कटे हुए बंबे को मिट्टी डालकर बंद किया। बंबा कटने से जंक्शन के नजदीक अमोखरी, शंकरपुर, बरौली, मुहारी, चंदनपुर आदि गांव में पानी भर गया। मुहारी के किसान शिवनंदन की नौ बीघा सरसों की फसल, बरौली के किसान हरीङ्क्षसह की दो बीघा से अधिक आलू की फसल प्रभावित हुई है।
बंबे की पटरी कमजोर होने से खेतों में भरा पानी
बरौली के ही किसान चरन ङ्क्षसह, शिवराम ङ्क्षसह, रमन ङ्क्षसह ने बताया कि बिना सूचना व पड़ताल के ही विभाग ने बंबे में पानी छोड़ दिया। बंबा की पटरी कमजोर होने से खेतों में पानी भर गया। पहले पटरियों को मजबूत करने का इंतजाम किया जाना चाहिए था, इसके बाद बंबों में पानी छोड़ा जाना चाहिए। खास बात यह है इस तरह की अनेक घटनाएं हो रही हैं। बावजूद अधिकारी गंभीरता से नहीं लेते हैं। इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है।