युवाओं में कबीर सिंह चश्मे का क्रेज, बढ़ रही बिक्री Hathras news
आंखों पर चश्मा लगाना भला किसे अच्छा नहीं लगता। इससे चेहरे का आकर्षण तो बढ़ता ही है धूल-मिट्टी से भी आंखें सुरक्षित रहती हैं।इस समय कबीर सिंह चश्मे का युवाओं में जबरदस्त क्रेज है।
हाथरस जेएनएन: आंखों पर चश्मा लगाना भला किसे अच्छा नहीं लगता। इससे चेहरे का आकर्षण तो बढ़ता ही है, धूल-मिट्टी से भी आंखें सुरक्षित रहती हैं। आधुनिकता के दौर में इस समय कबीर सिंह चश्मे का युवाओं में जबरदस्त क्रेज है। दुकानों पर सजे चश्मे लोगों को लुभा रहे हैं।
चश्मों की डिमांड बढ़ी
जेब में रूमाल और चेहरे पर चश्मा हो तो अंदाज ही कुछ अलग होता है। इन दिनों चश्मों की डिमांड बढ़ गई है। वैसे तो हर मौसम में चश्मे की बिक्री होती है, पर गर्मी आते ही इसकी बिक्री में इजाफा हो जाता है। जगह-जगह चश्मों की दुकानें सड़क के किनारे लगी हुई मिल जाती हैं। हालांकि ब्रांडेड चश्मे ही आंखों के लिए बेहतर माने जाते हैैं मगर वे इतने महंगे होते हैैं कि हर किसी का शौक पूरा नहीं हो पाता। इसी वजह से फुटपाथी दुकानों का भी अपना क्रेज है और इनपर ग्राहकों की डिमांड के अनुसार फैशनेबल चश्मे सज गए हैं।
जरूरी है चश्मे की क्वालिटी
चश्मा खरीदते समय उसकी क्वालिटी जरूर देखनी चाहिए। इस समय सबसे अधिक चश्मे की बिक्री धूप से बचने के लिए की जा रही है। धूप के चश्मे को सन ग्लासेस या गॉगल्स कहते हैं। इस चश्मे को खरीदते समय उसके शीशे का रंग, आकार, फ्रेम व उसकी बनावट के साथ अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाव की क्षमता पर भी ध्यान देना जरूरी है।
बेहतर हैं पॉलीकार्बोनेट लैंस वाले चश्मे
परंपरागत प्लास्टिक लेंस की अपेक्षा पॉलीकार्बोनेट लैंस में रिफ्रेक्टिव इंडेक्स बहुत ऊंचा होने से यह सूर्य की किरणों को अधिक मोड़ सकने में सक्षम हैं। पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक लेंस न टूटने वाले व अधिक हल्के होने से ये खतरनाक उद्योग व खेलों भाग लेने वालों के लिए बेहतर विकल्प है।
कबीर स्टाइल का कमाल
युवाओं में सबसे अधिक कबीर स्टाइल वाले चश्मों का क्रेज है। इसके अलावा टिकटॉक वाले चश्मे भी खूब पसंद किए जा रहे हैं। इन दिनों चश्मों का जबरदस्त फैशन युवाओं में देखने को मिल रहा है। कबीर व टिकटॉक वाले चश्मे अधिक बिक रहे हैं। इनमें धूप से बचाने वाले ग्लास का प्रयोग किया जा रहा है।
कुछ चश्मे की वैराइटी
चश्मा, कीमत रुपये में
एविएटर, 100- 350
वैफेरर, 100- 300
हैरीपोटर, 90- 200
स्पोट्र्स, 50- 250
कबीर, 100- 350
टिकटॉक, 80- 200
किड्स, 30- 100
अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाने को चश्मा जरूरी
दुकानदार सुनील गोयल का कहना है कि चश्मा लगाना सभी को अच्छा लगता है। युवाओं में चश्मों का क्रेज बढ़ता जा रहा है। उनकी पसंद के अनुसार कबीर, टिकटॉक आदि स्टाइलिश चश्मे बाहर से मंगाए गए हैं। धूल, धूप व सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाने को चश्मा बहुत जरूरी है।