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कोविड-19 ने पढ़ाया प्रकृति के प्रति सम्मान व निष्ठा का पाठ Aligarh news

कोविड-19 का अभी कोई इलाज नहीं है लेकिन इससे बचाव के उपाय जरूर हैं। हाथ धोने शारीरिक दूरी बनाने मास्क पहनने समेत कई बिंदु हैं जिनको अपनाकर महामारी से बचा जा सकता है। जैसे फल-सब्जी को लाने के बाद गुनगुने पानी में नमक डालकर धोएं व सूखने को रख दें।

By Parul RawatEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 02:00 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 02:00 PM (IST)
कोविड-19 ने पढ़ाया प्रकृति के प्रति सम्मान व निष्ठा का पाठ Aligarh news
कोरोना काल में दिक्कतों व परेशानियों के अलावा कुछ नहीं था

अलीगढ़, जेएनएन : प्रिय मित्र...कोरोना काल में दिक्कतों व परेशानियों के अलावा कुछ नहीं था, ऐसा कहना शायद गलत होगा। तुम्हें याद होगा कि जब एक बार हम लोग स्कूल के मैदान में पर्यावरण बचाने के संबंध में बातें कर रहे थे तो यही सोच रहे थे कि कैसे सभी लोग प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनेंगे। कोरोना काल में दिक्कतें तमाम हो, लेकिन लोगों को प्रकृति के प्रति संवेदनशीन जरूरी बनाया है। लॉकडाउन में लोग वाहन लेकर नहीं निकल रहे थे तो वायु प्रदूषण काफी निचले स्तर पर आया था। इस बात ने लोगों को बिना ईंधन के वाहनों से काम करने को भी प्रेरित किया। लॉकडाउन में लोगों ने पौधों को लगाया ही नहीं, बल्कि संरक्षण भी किया।

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नहीं है कोई इलाज

कोविड-19 का अभी कोई इलाज नहीं है, लेकिन इससे बचाव के उपाय जरूर हैं। हाथ धोने, शारीरिक दूरी बनाने, मास्क पहनने समेत कई बिंदु हैं जिनको अपनाकर महामारी से बचा जा सकता है। जैसे फल-सब्जी को लाने के बाद गुनगुने पानी में नमक डालकर धोएं व सूखने को रख दें। बाहर से लाए पैकेट या अन्य सामान को सैनिटाइज कर सात से आठ घंटे बाद उपयोग के लिए छुएं। एटीएम का उपयोग करें या ऑनलाइन पेमेंट की मशीन को छुएं तो किसी टिश्यू पेपर से ही टच करें और टिश्यू डस्टबिन में डाल दें। हैंड सैनिटाइज कर लें। इन सुरक्षा उपायों के बारे में मैंनेे आस-पड़ोस मेें लोगों को जागरूक किया है। तुम से भी निवेदन है कि अपने मिलने वालों को इन सुरक्षा उपायों के बारे में जरूर बताना। यही वो उपाय हैं, जो कोविड-19 दौर में दवा का काम करेंगे। तुम भी इन सुरक्षा उपायों का पूरी तरह पालन करना और घर पर सभी को जागरूक करना। घर से बाहर कहीं भी जाना या परिवार का कोई सदस्य जाए तो उनको दो गज दूरी बनाने का नियम जरूर याद दिला देना। शारीरिक दूरी बनी रहेगी तो वायरस का संक्रमण फैलने से बचा रहेगा। मेरा मानना है कि अगर इन नियमों का ईमानदारी से पालन किया जाए और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाए तो कोरोना वैक्सीन की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। प्रकृति को मजबूत बनाएंगे तो वो हमारी रक्षा ऐसी आपदाओं से करने में सक्षम हो सकेगी। 

दक्ष चौहान

प्रकृति समृद्ध व नियम पक्के हों तो हर जंग आसान

प्रकृति का समृद्ध होना बहुत जरूरी है। अब पुराने जमाने की तर्ज पर युद्ध नहीं होते। उनमें लोगों की जानें नहीं जातीं। प्राकृतिक आपदाएं बड़ी संख्या में जीवन नष्ट कर देती हैं। ये सब होता है प्रकृति के समृद्ध न होने से यानी ज्यादा से ज्यादा पौधों को लगाकर, पर्यावरण संरक्षण व पहाड़ों का कटान रोककर प्रकृति को मजबूत बनाएं तो प्रकृति खुद हमारी रक्षा को तत्पर रहेगी। प्रकृति कमजोर होती है तो प्राकृतिक आपदाएं तो आती ही हैं, वायरस भी जानलेवा बन जाते हैं। प्रकृति बेहतर होगी तो स्वास्थ्य व रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होगी। शरीर इन वायरस व बीमारियों से लडऩे में सक्षम हो जाएगा। नियमों को पक्का करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर कोरोना वायरस को ही ले लें, अगर इंसान अपने नियमों को मानने में पक्का हो जाए तो कोई भी मुश्किल आसान हो सकती है। बाहर की चीजों को सैनिटाइज करने के बाद छह से सात घंटे बाद छूना, एटीएम को टिश्यू से छूना व टिश्यू डस्टबिन में डालने आदि नियमों को इंसान अपना ले तो वास्तव में दक्ष का कहना सही सिद्ध हो जाएगा कि दवा की जरूरत ही नहीं होगी।  इंसान इन चीजों को दृढ़ता से नहीं कर पाता है। इसलिए प्रकृति को समृद्ध व नियमों को पक्का (कड़ाई से पालन करना) करना बहुत जरूरी है।

केके शर्मा, प्रधानाचार्य एसएमबी इंटर कॉलेज


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