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कोरोना लहर ने स्कूल तो संसाधनों की कमी ने पढ़ाई की बंद, विद्यार्थियों के लिए वैक्‍सीनेशन हुआ जरूरी

शिक्षाधिकारियों ने प्रधानाध्यापकों व ब्लाक एजुकेशन आफिसर्स को निर्देशित तो कर दिया है कि विद्यार्थियों को आनलाइन माध्यम से पढ़ाई कराई जाए। मगर ऐसे बहुत से विद्यार्थी हैं जिनके घरों में स्मार्टफोन व इंटरनेट की सुविधा नहीं है। ऐसे में वे वाट्सएप के जरिए भी पढ़ाई से नहीं जुड़ सकते।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 10:02 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 10:45 AM (IST)
कोरोना लहर ने स्कूल तो संसाधनों की कमी ने पढ़ाई की बंद, विद्यार्थियों के लिए वैक्‍सीनेशन हुआ जरूरी
शिक्षक विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित करेंगे।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण के चलते बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों को बंद रखा गया है। शासन की ओर से आनलाइन पढ़ाई कराने के निर्देश जारी किए गए थे। मगर कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थियों को आनलाइन पढ़ाना शिक्षकों के लिए भी चुनौती से कम नहीं है। कई ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थी स्मार्टफोन व इंटरनेट की अनुपलब्धता के चलते आनलाइन पढ़ाई से नहीं जुड़ पा रहे हैं। कोरोना के चलते स्कूल तो संसाधनों की कमी के चलते पढ़ाई बंद हो गई है।

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मोहल्‍ला पाठशाला व शिक्षा साथी बने विद्यार्थियों का सहारा

शिक्षाधिकारियों ने प्रधानाध्यापकों व ब्लाक एजुकेशन आफिसर्स को निर्देशित तो कर दिया है कि विद्यार्थियों को आनलाइन माध्यम से पढ़ाई कराई जाए। मगर ऐसे बहुत से विद्यार्थी हैं जिनके घरों में स्मार्टफोन व इंटरनेट की सुविधा नहीं है। ऐसे में वे वाट्सएप के जरिए भी पढ़ाई से नहीं जुड़ सकते। जिले में करीब 2.68 लाख विद्यार्थी सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। पिछले कोरोना काल में करीब 50 से 60 हजार विद्यार्थियों को आनलाइन पढ़ाई से जोड़ने में अध्यापक सफल रहे थे। बाकी विद्यार्थी दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले शिक्षण कार्यक्रम पर निर्भर थे। इनमें से भी कई विद्यार्थी ऐसे थे जिनके घरों में टीवी की व्यवस्था भी नहीं होती। बीएसए सतेंद्र कुमार ढाका ने कहा कि जो विद्यार्थी आनलाइन पढ़ाई से नहीं जुड़ पा रहे उनको मोहल्ला पाठशाला, शिक्षा साथी या अन्य माध्यमों से शिक्षा से जोड़ने का काम किया जाएगा।

वैक्सीनेशन के लिए शिक्षक घर तक देंगे दस्तक

अलीगढ़ । माध्यमिक विद्यालयों में 15 से 18 वर्ष आयु के विद्यार्थियों का अभी तक सौ फीसद वैक्सीनेशन नहीं पूरा हो सका है। इस पर शिक्षाधिकारियों ने भी नाराजगी जताई है। कई विद्यालयों ने प्रमाणपत्र पेश किए हैं जिनमें 90 से 95 फीसद तक वैक्सीनेशन पूरा है लेकिन अवकाश के चलते विद्यार्थियों के न आने से आंकड़ा सौ फीसद तक नहीं पहुंच रहा। ऐसे में व्यवस्था बनाई गई है कि शिक्षक या कर्मचारी विद्यालय न आने वाले विद्यार्थियों के घर पर दस्तक देकर अभिभावकों से संपर्क करेंगे।

सभी को करेंगे वैक्‍सीनेशन के लिए प्रेरित

शिक्षक विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित करेंगे। प्रधानाचार्यों का कहना है कि विद्यार्थी कोरोना संक्रमण के चलते अपने गांव या दूसरे जिले में अपने रिश्तेदारों के पास चले गए हैं। कुछ विद्यार्थी बीमार होने के चलते विद्यालय नहीं आ रहे। केवल इन्हीं का वैक्सीनेशन नहीं हो सका है। डीएवी इंटर कालेज के प्रधानाचार्य डा. विपिन वाष्र्णेय ने बताया कि कर्मचारियों को विद्यार्थियों के घर पर भेजा जा रहा है। डीआइओएस डा. धर्मेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि हर विद्यालय को कक्षा नौ से 12वीं तक के सभी पात्र विद्यार्थियों को वैक्सीन लगवाकर रिपोर्ट पेश करनी है।


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