हाथरस में धीमी पड़ी कोरोना की रफ्तार, एक दिन में आए नौ नए केस सामने
कस्बा स्थित भारतीय स्टेट की शाखा एक मात्र क्लर्क के सहारे चल रही है। बैंक को उस समय बंद करना पड़ा जब क्लर्क की पत्नी को कोरोना पाजीटिव रिपोर्ट आने के बाद सूचना चस्पा करके बैंक बंद करनी पड़ी। केवाईसी को लेकर करीब डेढ़ माह से उपभोक्ता परेशान हैं।
हाथरस, जागरण संवाददाता। जनपद में कोरोना संक्रमण का ग्राफ लगातार गिर रहा है। शनिवार को सिर्फ नौ नए मरीज ही सामने आए हैं। 49 मरीज सही हुए हैं। अब कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 718 रह गई है।
एक्टिव केसों की संख्या 244 पहुंची
जनपद में कोरोना संक्रमण जब से शुरू हुआ है तब से काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला है। एक स्थिति ऐसी भी आई थी कि एक मरीज कोरोना पाजीटिव निकला। एक दिन तो हद हो गई जब कोरोना संक्रमित मरीजों ने शतक लगाते हुए आंकड़ा 101 तक पहुंच गया। इस बीच एक दिन में 80 मरीज निकले। इस बार राहत यह है कि कोरोना पाजीटिव मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत नहीं आ रही है। उन्हें होम आइसोलेट किया जा रहा है। अब तक कुल डिस्चार्ज हुए मरीजों की संख्या 474 पहुंच गई है। अब तक कुल एक्टिव केसों की संख्या 244 पहुंच गई है।
हसायन में बैंक कर्मी की पत्नी पाजीटिव निकलने पर शाखा बंद
हसायन । कस्बा स्थित भारतीय स्टेट की शाखा एक मात्र क्लर्क के सहारे चल रही है। बैंक को उस समय बंद करना पड़ा जब क्लर्क की पत्नी को कोरोना पाजीटिव रिपोर्ट आने के बाद सूचना चस्पा करके बैंक बंद करनी पड़ी। केवाईसी को लेकर करीब डेढ़ माह से उपभोक्ता परेशान हैं। दो कर्मचारियों का स्थानांतरण होने के बाद कोई भी अन्य नियुक्ति नहीं हुई है। इसलिए पूरा कार्य व्यवस्थित तौर पर नहीं हो पा रहा है। शाखा प्रबंधक सर्वेंद्र कुमार का कहना है कि कर्मचारी अभाव के बाबत उच्च अधिकारियों को पहले ही अवगत करा दिया गया है। मगर अभी तक कोई भी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। जितने यहां पर उपभोक्ता हैं। उनके लिए तीन कर्मचारी होना अत्यावश्यक है।जिससे केवाइसी यादि की प्रक्रिया चालू हो सके। एक मात्र क्लर्क होने के बाद वह कैश लेने हाथरस जाता है तो कैश काउंटर को भी दोपहर बाद तक बंद रखना पड़ता है, उसके आ जाने के बाद कैश काउंटर चालू कर पाते हैं। बैंक में एक दिन में सैकड़ों उपभोक्ता अपने कार्य के लिए आते हैं। जिसका अधिकार क्षेत्र भी अन्य बैंकों की अपेक्षा सबसे अधिक है। इसी बैंक में क्षेत्रीय लोगों के साथ सरकारी खाते भी संचालित हैं। इस सबके चलते यह कार्य न होने के कारण उपभोक्ताओं को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। उपभोक्ताओं का कहना है कि यही हाल रहा तो आंदोलन के मजबूर होना पड़ेगा।