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    डीएम के दरबार में पहुंचा फिल्म अभिनेता चंद्रचूड सिंह की हवेली का विवाद, चाची गायत्री सिंह ने बेटी के साथ डाला डेरा

    Updated: Tue, 02 Dec 2025 11:20 PM (IST)

    बॉलीवुड अभिनेता चंद्रचूड़ सिंह के परिवार में संपत्ति विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। चाचा गंगासिंह के निधन के एक महीने बाद पैतृक हवेली को लेकर उत् ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, अलीगढ़। बालीवुड़ अभिनेता चंद्रचूड़ सिंह के परिवार में सपंत्ति को लेकर छिड़ी जंग अब बढ़ती जा रही है। चाचा गंगासिंह के निधन के एक महीने बाद ही पैतृक हवेली कलह का प्रकरण एसएसपी के बाद मंगलवार को डीएम दरबार पहुंच गया।

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    खुद चंद्रचूड सिंह, अपनी मां कृष्णा कुमारी देवी व भाई व फिल्म निर्माता-निर्देशक अभिमन्यु सिंह के साथ सुबह ही कलक्ट्रेट पहुंचे। उन्होंने डीएम से आधा घंटा मुलाकात के दौरान पैत्रिक संपत्ति को लेकर अपना पक्ष रखा। एक पत्र देकर न्याय संगत कार्रवाई की मांग की। वहीं यह पक्ष कोर्ट की शरण में जाने की तैयारी कर रहा है। वहीं उनकी चाची ने अपनी बेटी के साथ हवेली में डेरा जमा लिया है।

    पारिवारिक जानकारों के अनुसार इस हवेली व पैत्रिक कृषिउ पजाऊ भूमि व संपत्ति के विवाद की नींव 30 जनवरी 1957 को रखी थी। चंद्रचूड सिंह के दादा हरेंद्र सिंह के चार संतान थीं। इनमें सबसे बड़े बेटा कैप्टर ठा. बल्देव सिंह,ठा. पुण्य प्रताप सिंह व ठा. गंगा सिंह व एक बेटी थी। बल्देव सिंह सेना में सेवाएं देने लगे।

    शुरुआत में की खेती-किसानी 

    पुण्य प्रताप सिंह व गंगा सिंह ने प्रारंभ में खेती किसानी की। जानकारों के अनुसार सेना से सेवानिवृत्त के बाद राजनीति में आए, तब उनके परिवार के लोगों को उनकी स्थानीय स्तर पर सक्रियता रास नहीं आई। जब वे वर्ष 1985 में शहर विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक बने, तब वे जनता दरबार हवेली में लगाते थे। जबकि चाचा अपने राजशाही अंदाज में रहते थे।

    खैर रोड स्थित गांव जलालपुर की ओर शहरी क्षेत्र बढ़ा, तब इस हवेली के आसपास की जमीन बेच दी गई। उस समय भी विरोध किया। इस दर्द को वर्ष 2019 में कैप्टन बल्देव सिंह ने मीडिया के समक्ष रखा। साथ ही छोटे भाई पर कई संगीन आरोप लगाए। हवेली के अंदर घर के अन्य सदस्यों के प्रवेश पर भी रोक लगाते। आरोप है कि कैप्टन अपने तीनों बेटा व बहन को भी अलीगढ़ आने से रोकते थे। इस परिवार में छह से सात लाइसेंसी शस्त्र भी थे। वे धमकाते थे। वर्ष 2022 में कैप्टन का निधन हो गया। उसके बाद इस खानदान के सबसे बड़े बारिश चंद्रचूड सिंह ने परिवार को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास किया। ढलती उम्र के चलते बीच-बीच में गंगा सिंह अपने एक मात्र पुत्र जयसिंह के साथ स्वीड्न में रहने लगते।

    गत 30 अक्टूबर काे जब गंगा सिंह का निधन हो गया, तब परिवार के सभी सदस्य 11 नवंबर को ब्राह्मण भोज में आए, तब दूसरे दिन इस पैत्रिक हवेली को लेकर स्वजन में सुगबुगाहट हुई। चंद्रचूड़ सिंह को जानकारी मिली की उनके चाचा गंगा सिंह ने अपने पिता हरेंद्र सिंह से 70 वर्ष पहले एक वसियत कराई है।

    यह 30 जनवरी 1957 में कराई गई है, जबकि अगले दिन 31 जनवरी को हरेंद्र सिंह का निधन हो गया। बीमार व उमदराज व्यक्ति एक दिन पहले इस तरह के दस्तावेज कैसे तैयार करा सकते हैँ। इसी को आधार बनाकर चंद्रचूड़ सिंह न्यायिक जंग में कूद गए हैं। वे दूसरे पक्ष की घेराबंदी व न्याय को लेकर दिल्ली व लखनऊ तक दौड़ लगाने के लिए तैयार हैं।

    हवेली के मंदिर में 20 वर्ष बाद की पूजा

    गंगा सिंह के निधन के बाद पूव्र विधायक कैप्टन बल्देव सिंह परिवार की अंतर्कलह उजागर हुई है। गंगा सिंह की पत्नी व चंद्रचूड़ सिंह की चाची गायत्री सिंह से ने भी कैप्टन के परिवार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। गंगा सिंह के सामने चंद्रचूड परिवार के सदस्य हवेली में टिक नहीं सकते थे। हवेली के अंदर हनुमानजी का मंदिर है। मंगलवार के चलते 20 वर्ष बाद हुनुमान जी की चंद्रचूड़ सिंह ने पूजा अर्चना की।

    डीए कार्यालय के बाद प्रशंसकों से घिरे सिने अभिनेता

    माचिस, क्या कहना और दाग द फायर जैसी हिट फिल्म देने वाले सिने अभिनेता चंद्रचूड़ सिंह जब डीएम कार्यालय पहुंचे, इसकी जनकारी पर उनके फैंस (प्रशंसक) का जमावड़ा लग गया। कार्यालय से निकलते ही कलक्ट्रेट के कर्मचारी, अधिकारियों का हमरा फोर्स व अन्य पुलिस कर्मी फोटो खींचाने व सेल्फी करने में जुट गए। काफी देर तक वे प्रशंसकों से घिरे रहे। आवास पर भी लोग एक उनकी एक झलक पाने के लिए बेताव दिखे।