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नीरज को भारत रत्न दिलाने को जनांदोलन छेड़ेंगे नीरज-प्रेमी, पीएम-सीएम से मिलेंगे

नीरज को भारत रत्न दिलाने के लिए नीरज-प्रेमी अभियान की तैयारी में हैं। अलीगढ़ आगरा, इटावा, कानपुर समेत कई शहरों में सिग्नेचर कैंपेन चलाएंगे।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 09:46 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 09:48 PM (IST)
नीरज को भारत रत्न दिलाने को जनांदोलन छेड़ेंगे नीरज-प्रेमी, पीएम-सीएम से मिलेंगे
नीरज को भारत रत्न दिलाने को जनांदोलन छेड़ेंगे नीरज-प्रेमी, पीएम-सीएम से मिलेंगे

अलीगढ़ (जेएनएन)। देश-विदेश में हिंदी की पताका फहराने वाले महाकवि गोपालदास नीरज को भारत रत्न दिलाने के लिए जनांदोलन छेडऩे की तैयारी हो रही है। नीरज-प्रेमी इसके लिए अलीगढ़ ही नहीं, आगरा, इटावा, कानपुर, कासगंज समेत तमाम छोटे-बड़े शहरों में सिग्नेचर कैंपेन चलाने की तैयारी कर चुके हैं। 2012 में भी ओजोन ग्र्रुप ने ऐसी कैंपेन चलाई थी। एक लाख लोगों के हस्ताक्षर वाले बैनर मांग पत्र के साथ तत्कालीन डीएम बलकार सिंह को दिए थे। उल्लेखनीय है कि सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव पहले ही नीरज को भारत रत्न दिलाने की मांग कर चुके हैं। 

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यूपी के मंत्री का भी समर्थन

सरकारी प्रतिनिधि के बतौर अंतिम विदाई देने पहुंचे मंत्री लक्ष्मीनारायन सिंह ने भी समर्थन का भरोसा दिया है। नीरज से आत्मीय रिश्ता रखने वाले व पिछले आंदोलन के अगुवाकर नासिर अब्बास कहते हैं कि दारजी (दादा नीरजजी) से बड़ा कोई कवि नहीं हुआ। उन्हें भारत रत्न दिलाने के लिए फिर जनांदोलन करूंगा। हाथरस में सोमवार को आ रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलाने के लिए कमिश्नर अजयदीप सिंह से दरख्वास्त भी की है। इसके बाद प्रधानमंत्री से भी मिलूंगा। अस्थि-विसर्जन हरिद्वार में होगा नीरज की अस्थियां सोमवार को चुनी जाएंगी। इनका विसर्जन हरिद्वार में मंगलवार को करने की तैयारी है।

पौत्र को अपना नाम भी दे गए नीरज

नीरज अपनी संपत्ति की वसीयत तो पौत्र लवी उर्फ पल्लव के नाम कर ही गए हैं, उन्हें अपना तखल्लुस नीरज भी गिफ्ट कर गए। बकौल लवी, दादा (नीरज) मुझे बेहद प्यार करते थे। कहते थे, मेरे बाद सबकुछ तुम्हारा होगा। उन्होंने बचपन में ही नीरज नाम जोड़ दिया था। मैं शुरू से ही पल्लव नीरज लिख भी रहा हूं। अधिकांश लोग मुझे लवी के नाम से बुलाते हैं, इसलिए चुनिंदा लोगों को ही यह बात मालूम है। 

जहां काव्यपाठ कंरूगा, लोग कहेंगे नीरज का बेटा पढ़ रहा : शशांक

अलीगढ़ नुमाइश से नीरज पुरस्कार पा चुके शशांक प्रभाकर कहते हैं कि हमारी विरासत तो कविता है। इसका इकलौता वारिस मैं ही हूं। जहां काव्यपाठ करूंगा तो लोग कहेंगे कि नीरज का बेटा पढ़ रहा है। हम पांचों भाई-बहनों को कोई हिस्सा नहीं चाहिए। नीरज की तरह ही मेरे बड़े भाई अरस्तू भी ज्योतिषी हैं। उनकी 14 किताबें भी आ चुकी हैं। हां, नीरजजी के सात-आठ चश्मे, एक कुर्ता, तीन लुंगी, दो बनियान (फतूरी) व दवा की थैली जरूर मेरे पास है। जो लेना चाहे, इसे भी ले जाए। हमारा किसी से कोई विवाद नहीं है।

आ जाओ बच्चों, दोबारा  नहीं आएगा अब बाबा

साहित्यिक क्षेत्र के ध्रुव महाकवि डॉ. गोपालदास नीरज को मृत्यु से पूर्व ही आभास हो गया था कि अब लौ बुझने वाली है। ज्यादा समय नहीं बचा। इसलिए सालभर से परिजनों, करीबियों व शुभचिंतकों से मिल रहे थे। बीमार होने के बावजूद अप्रैल में अमेरिका से आए पौत्र लवी व उसके बच्चों को दुलारने गुरुग्राम (हरियाणा) पहुंच गए थे। लवी अमेरिका में इंजीनियर हैं। बाबा की मौत से गमजदा लवी ने बताया,'अप्रैल में ससुर की मौत होने पर मैैं बच्चों के साथ गुरुग्र्राम आया था। बाबा का फोन आया कि लवी तुझसे और बच्चों से मिलना चाहता हूं। मैंने कहा, बाबा अलीगढ़ आ रहा हूं। उन्होंने रोक दिया। कहा तू परिवार व दूसरे काम देख, मैं आ रहा हूं। अस्वस्थ होने के बावजूद करीब चार घंटे का सफर तय करके बाबा मेरे पास गुरुग्राम पहुंच गए। करीब एक घंटे रुके। यह बाबा से अंतिम मुलाकात थी। बाबा ने बच्चों को पास बुलाकर दुलारा था। कहा भी था कि अंतिम बार मिल रहा है बाबा, अब दोबारा नहीं आएगा। बच्चों और मुझे इस तरह गले लगाया, जैसे हमेशा के लिए जुदा हो रहे हों। बाबा अच्छे ज्योतिषी भी थे। उनकी भविष्यवाणी सच साबित हुई। 19 जुलाई को बाबा के निधन की खबर मेरे पास अमेरिका पहुंची। 

कौन ले गया नीरज की कार?

महाकवि गोपालदास नीरज की बरसों से हमसफर कार कहां चली गई? वे 16 जुलाई को इसी कार से आगरा गए थे। उनके सेवक सिंगसिंग का दावा है कि वह कार को आगरा छोड़कर आया था। कार न मिलने से परिवार में खलबली मची हुई है। करीब सवा साल पहले तक उप्र भाषा संस्थान के अध्यक्ष रहे नीरज ने कभी सरकारी गाड़ी नहीं ली। वे इसी कार में आते- जाते थे। नीरज कार से सिंगसिंग के साथ आगरा अपने दूसरे परिवार के सदस्यों से मिलने गए थे। जहां उनकी तबीयत खराब हो गई। हालत में सुधार न होने पर उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया। जहां 19 जुलाई को देहावसान हो गया। पौत्र लवी बताते हैं कि कार का कहीं अता-पता नहीं है। सिंगसिंग का कहना है कि वह कार को आगरा में खड़ी कर चाबी दादा (नीरज) को देकर आया था। लवी ने कहा, सोमवार को मैैं आगरा जा रहा हूं। वहां कार नहीं मिलती है तो कार्रवाई करेंगे। वहीं, दूसरे परिवार के शशांक प्रभाकर ने भी कार की जानकारी से इन्कार किया है। 


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