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CAA: नहीं हो सकी डॉ.कफील की रिहाई, ये है वजह Aligarh news

एएमयू में भड़काऊ भाषण देने के मामले में आरोपित डॉ. कफील की बुधवार को रिहाई नहीं हो सकी। सोमवार को अलीगढ़ में सीजेएम न्यायालय से उनकी जमानत मंजूर की गई थी।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 10:12 AM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2020 12:01 PM (IST)
CAA: नहीं हो सकी डॉ.कफील की रिहाई, ये है वजह Aligarh news
CAA: नहीं हो सकी डॉ.कफील की रिहाई, ये है वजह Aligarh news

अलीगढ़ जेएनएन। एएमयू में भड़काऊ भाषण देने के मामले में आरोपित डॉ. कफील की बुधवार को रिहाई नहीं हो सकी। सोमवार को अलीगढ़ में सीजेएम न्यायालय से उनकी जमानत मंजूर की गई थी। वह मथुरा जिला कारागार में बंद हैैं। अब उनकी रिहाई गुरुवार को होने की संभावना है। एक फरवरी को  डॉ. कफील को मथुरा जेल में शिफ्ट किया गया था।

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तकनीकी कमी

वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय के मुताबिक देर शाम तक रिहाई आदेश जिला कारागार को प्राप्त नहीं हुआ। भाई कासिफ इसके पीछे रिहाई के परवाना में तकनीकी कमी थी।

एएमयू में दिया था ऐसा बयान

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण देने के आरोपित डॉ. कफील खान की जमानत याचिका सोमवार को सीजेएम कोर्ट में मंजूर हो गई। एसटीएफ ने कफील को मुंबई से गिरफ्तार किया था।

यह है मामला

12 दिसंबर को एएमयू में बाबे सैयद पर सभा में डॉ. कफील ने छात्रों में सांप्रदायिक भावना भड़काते हुए दूसरे समुदाय के प्रति घृणा उत्पन्न करने वाला बयान दिया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ भी टिप्पणी की थी। 13 दिसंबर को पुलिस ने डॉ. कफील के खिलाफ 153 आइटी एक्ट के तहत सिविल लाइंस थाने में मुकदमा दर्ज किया। 29 जनवरी को यूपी एसटीएफ ने डॉ. कफील को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया था। उसे अलीगढ़ लाया गया, जहां माहौल को देखते हुए एक घंटे के अंदर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में मथुरा जेल भेज दिया था।

छात्रनेता ने लगाए आरोप

सूफियान ने कहा है कि वह 15 दिसंबर की घटना के दिन शहर से बाहर थे। पिछले दिनों राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम और अपराध शाखा के विवेचक को भी लिखित बयान देकर स्पष्ट कर दिया है। जिला प्रशासन और पुलिस के पास इसके सीसीटीवी फुटेज भी हैं, लेकिन इसके बाद भी प्रशासन बिना पक्ष सुने ही कार्रवाई कर रहा है। अब एसीएम द्वितीय के यहां से एक लाख के मुचलकों को जब्त करने का फैसला हुआ है। यह पूरी तरह गलत है। जिला प्रशासन अपने अधिकारों का दुुरुपयोग कर रहा है। किसी मासूम को फंसाया जा रहा है। एसीएम द्वितीय रंजीत सिंह के मुताबिक, शांतिभंग तोडऩे पर चार छात्र नेताओं की पहले की जमानत को निरस्त कर नया नोटिस जारी किया जा रहा है।


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