अलीगढ़ में इगलास विधानसभा क्षेत्र के उप चुनाव में बसपा देगी सपा को समर्थन!
लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित हार के बाद सपा बसपा व रालोद गठबंधन के टूटने के कयास लगाए जा रहे हों मगर इगलास विधानसभा सीट पर संभावित उप चुनाव में भाजपा के लिए फिर से चुनौती खड़ी हो
अलीगढ़ (जेएनएन)। लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित हार के बाद सपा, बसपा व रालोद गठबंधन के टूटने के कयास लगाए जा रहे हों, मगर इगलास विधानसभा सीट पर संभावित उप चुनाव में भाजपा के लिए फिर से चुनौती खड़ी हो सकती है। बसपा के इस सीट पर जो भी चुनाव लड़े (सपा या रालोद) उसे समर्थन देन की उम्मीद है। वजह, बसपा ज्यादातर उप चुनावों में अपने प्रत्याशी नहीं उतारती है। इस बार फिर भाजपा को हराने के लिए सहयोगी दलों को ही समर्थन देने का ऐलान कर सकती है। हाईकमान से दिशा-निर्देश न मिलने से तीनों दलों में ऊहापोह की स्थिति है।
मिलकर लड़ा चुनाव
भाजपा को हराने के लिए सपा, बसपा व रालोद ने लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ा। गठबंधन ने बसपा प्रत्याशी को जिताने को पूरी ताकत झोंकी, बावजूद यहां पुन: भगवा लहराया। प्रदेश स्तर पर भी गठबंधन की अप्रत्याशित हार हुई। चुनाव में मंत्रियों व विधायकों के जीत हासिल करने से इगलास, आगरा, रामपुर, कानपुर, इलाहाबाद, मानिकपुर, जैदपुर, जलालपुर, बलहाल, गंगोह, प्रतापगढ़ (सदर) विधानसभा सीटें रिक्त हो गई हैं। इन पर छह माह के अंदर उप चुनाव होना है।
गठबंधन पर सबकी नजर
गठबंधन की हार के बाद चर्चा हुई कि सपा-बसपा एक-दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ेंगे, मगर अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। हालांकि, उप चुनाव के लिए दोनों दलों में हाईकमान स्तर से अभी कोई ऐलान नहीं हुआ है, मगर भाग्य आजमाने को सभी दलों में दावेदार सक्रिय हैं। टिकट के लिए जुगाड़बाजी शुरू हो गई है।
बसपा देगी सहयोगी दलों को सहारा
लोकसभा चुनाव में भले ही गठबंधन को उम्मीद के मुताबिक जीत हासिल नहीं हुई हो, मगर बसपा खूब लाभ में रही है। ऐसे में सहयोगियों को सहारा देने के लिए बसपा उप चुनाव से दूरी बनाकर औपचारिक या अनौपचारिक समर्थन देकर सहयोगी दल के प्रत्याशी को फायदा पहुंचा सकती है। यदि उप चुनाव में भी गठबंधन रहा तो निश्चित भाजपा के लिए कड़ी चुनौती खड़ी कर सकती है, भले ही मोदी लहर में भाजपा ने एतिहासिक जीत हासिल की हो।
लखनऊ में आज होगी समीक्षा
लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा के लिए बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने तीन जून को लखनऊ में बैठक बुलाई है। इसमें सभी जिलाध्यक्ष व जोन इंचार्ज बुलाए हैं। अलीगढ़ से जोन इंचार्ज रणवीर कश्यप, गजराज विमल, राजकुमार शम्मी, बिजेंद्र विक्रम सिंह, रघुवीर सिंह ऊषवा, जिलाध्यक्ष तिलक राज यादव जाएंगे। इस बैठक में उप चुनाव में बसपा की भूमिका को लेकर पार्टी नेताओं को दिशा-निर्देश दिए जा सकते हैं। बसपा के जिला अध्यक्ष तिलक राज यादव का कहना है कि हाईकमान से उप चुनाव के लिए कोई निर्देश नहीं हैं। इस बार भी बसपा उप चुनाव न लडऩे का फैसला ले सकती है। भाजपा को हराने वाले सहयोगी दल को समर्थन दिया जा सकता है। सपा के जिला अध्यक्ष अशोक यादव का कहना है कि चुनाव में हार से निराश जरूर हैं, मगर हतोत्साहित बिल्कुल नहीं है। उप चुनाव के लिए हाईकमान से निर्देश तो नहीं मिले हैं, मगर हम इसके लिए तैयार हैं।
विपक्ष को एकजुट करेंगे बिजेंद्र
कांग्रेस के पूर्व सांसद बिजेंद्र सिंह इगलास विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के विरोधी दलों को एकजुट करेंगे। दो तीन दिन पहले यह लखनऊ पहुंचे। शीर्ष नेतृत्व ने एक माह तक सियासी तकरार से दूर रहने को कहा है। इगलास विधानसभा से स्वतंत्रता सेनानी मोहनलाल गौतम विधायक रहे हैं। किसानों के मसीहा चौ. चरण सिंह की भी यह कर्मभूमि रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने पत्नी गायत्री देवी को विधायक का चुनाव लड़ाया था। पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह ने भी प्रतिनिधित्व किया। खुद बिजेंद्र सिंह तीन बार विधायक रहे हैं। पूर्व मंत्री सादाबाद के विधायक रामवीर उपाध्याय के अनुज मुकुल उपाध्याय भी विधायक रहे हैं। यह वर्ष 2005 में उपचुनाव जीते थे। 2004 में बिजेंद्र के सांसद बनने के बाद यह सीट पर चुनाव हुआ था। इस बार मौजूदा विधायक राजवीर दिलेर हाथरस से सांसद चुने हैं। बिजेंद्र सिंह ने भाजपा के विपक्षी दलों को एकजुट करने की कसरत शुरू कर दी है।
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