महंगाई डायन चबा रही गरीबों की रोटीः ब्रांडेड 32 और सादा आटा 25 रुपये प्रतिकिलो बाजार में बिक रहा
महंगाई डायन गरीबों की रोटी चबाए जा रही है और वो बेचारा असहाय बना हुआ है।
मनोज जादौन, अलीगढ़ । महंगाई डायन गरीबों की रोटी चबाए जा रही है और वो बेचारा असहाय बना हुआ है। बाजार में गेहंू का आटा 25 रुपये किलो, ब्रांडेड 32 रुपये प्रतिकिलो तक पहुंच गया है। गत साल अक्टूबर से पहले ब्रांडेड 10 किलो आटे का पैकेट 235 रुपये का था, वह 320 रुपये का हो गया है। इसी तरह अक्टूबर में गेहंू 1890 रुपये प्रतिकुंतल था, वह 2200 रुपये प्रतिकुंतल बिक रहा है।
उत्पादन लागत का है असर
फ्लोर मिल मालिक नहीं मानते कि उन्होंने आटे का मूल्य बढ़ाया है। वे इसे उत्पादन लागत बढऩा बताते हैं। दलील देते हैं कि गेहंू तो महंगा हुआ है, लेकिन इससे ज्यादा मार पड़ी है बिजली, मजदूरी और ट्रांसपोर्ट का खर्च बढऩे से। ये लोग यह तर्क भी देते हैं कि भारती खाद्य निगम (एफसीआइ) ने फ्लोर मिल के लिए गेहंू का न्यूनतम रेट 1900 रुपये प्रति कुंतल रखा है। इसके लिए हर महीने टेंडर पड़ते हैं। इसमें भी 25 से 50 रुपये प्रति कुंतल बढोत्तरी हो जाती है। एक अक्टूबर से केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढ़ाकर 1925 कर दिया है। जनवरी में 1950 रुपया प्रति कुंतल लुधियाना में टेंडर खुला है। 85 रुपये प्रति कुंतल भाड़ा, ढ़ाई फीसद मंडी शुल्क अलग से देना होता है। इससे रेट बढ़ाना मजबूरी हो गई है।
आधी रह गई रोटी
ढ़ाबा व होटल पर रोटी का साइज भी कम होता जा रहा है। रामघाट रोड पर वरुण ट्रामा सेंटर स्थित फुटपाथ पर लगने वाली ढकेल पर पराठों की कीमत बढ़ गई है। पहले 20 रुपये के तीन मिलते थे, अब दो ही रह गए हैं।
एक नजर
महीना गेहूं आटा
जुलाई 1750 220
अगस्त 1820 225
सितंबर 1850 230
अक्टूबर 1890 235
दिसंबर 1960 240
जनवरी 2050 250
(गेहूं के भाव प्रतिकुंतल मंडी, व आटे की कीमत 10 किलो ग्राम का पैकेट)
सरकार करे कंट्रोल
उत्तर प्रदेश रोलर फ्लोर मिल्स एसोसिएशन पूर्व अध्यक्ष ने बताया कि हमने रेट नहीं बढ़ाए। गेहंू पर महंगाई का असर है। अन्य खर्चे भी बढ़े हैं। ब्रांडेड आटे पर पांच फीसद जीएसटी का बढऩा भी असर है। ग्राहक रेखा गोस्वामी ने बताया कि एक ओर गरीबों को सरकार सब्सिडी पर सस्ता खाद्यान उपलब्ध करा रही है। वहीं सामान्य वर्ग के लिए पिछले साल अधिकतम 20 रुपये प्रतिकिलो वाला आटा 25 से 26 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। छाया खंडेलवाल ने बताया कि रोटी, कपड़ा और मकान हर वर्ग को मिले ये सरकार का दायित्व है। सरकार को चाहिए कि वह आटे की कीमतों को कंट्रोल करे। कारोबारी सुमित शर्मा ने बताया कि ब्रांडेड आटे पर एक माह के अंतराल में 10 किलो के पैकेट पर 15 रुपये तक बढ़े हैं। पिछले एक माह से पैसा लगातार बढ़ रहा है।