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बूथ समितियों को मजबूत कर चुनावी समर में उतरेगी भाजपा Aligarh News

विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा बूथ समितियों को मजबूत करने में जुट गई है। समितियों के सत्यापान का काम शुरू हो गया है। भाजपा ने 2017 का चुनाव भी बूथ समितियों की बदौलत लड़ा था। 2022 का चुनाव भी उसी तर्ज पर लड़ने की तैयारी चल रही है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Sat, 07 Aug 2021 03:00 PM (IST)Updated: Sat, 07 Aug 2021 03:00 PM (IST)
बूथ समितियों को मजबूत कर चुनावी समर में उतरेगी भाजपा Aligarh News
भाजपा 1990 से बूथ समितियों को मजबूत करने का नारा देती आई है।

अलीगढ़, जेएनएन। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा बूथ समितियों को मजबूत करने में जुट गई है। समितियों के सत्यापान का काम शुरू हो गया है। भाजपा ने 2017 का चुनाव भी बूथ समितियों की बदौलत लड़ा था। 2022 का चुनाव भी उसी तर्ज पर लड़ने की तैयारी चल रही है। बूथ सत्यापन के इस कार्य पर प्रदेश के बड़े नेताओं की भी नजर रहेगी।

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बूथ समिति को लेकर भाजपा गंभीर

भाजपा 1990 से बूथ समितियों को मजबूत करने का नारा देती आई है। एक बूथ-20 यूथ का नारा बहुचर्चित है, मगर बूथ कमेटियों को भाजपा कभी मजबूत नहीं कर पाई। अमित शाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से बूथ समितियां अपने वजूद में आईं। बूथ अध्यक्ष के साथ 21 सदस्य सक्रिय होने लगे। बूथ अध्यक्ष का महत्व यहां तक बढ़ गया कि पार्टी बड़े कार्यक्रमों में बूथ अध्यक्ष को मंच पर बिठाने लगी। यहां तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वयं बूथ अध्यक्ष को सम्मानित करने लगे। बतौर मुख्य अतिथि बूथ अध्यक्षों को बुलाया जाने लगा। इससे अध्यक्षों का हौसला बढ़ने लगा, वो चुनाव में अपनी कमेटियों के साथ सक्रिय होने लगे। बूथ समितियों को लेकर भाजपा इतनी गंभीर हो गई कि बूथ के प्रभारी नियुक्त किए जाने लगे। बूथ प्रभारी जिले और महानगर के नेताओं को बनाया जाने लगा। यहां तक कि लखनऊ से कभी भी फोन करके प्रभारियों से बूथ कमेटी के बारे में जानकारी कर ली जाती थी। इससे भाजपा के जिला और महानगर अध्यक्ष सबसे अधिक बूथ समितियों पर ध्यान देने लगे, जिससे समितियों की सक्रियता बढ़ती चली गई।

समितियां बनीं आधार

भाजपा ने बूथ समितियों को मजबूत करके कई चुनाव जीते। 2014 का लोकसभा चुनाव, 2017 में यूपी का विधानसभा चुनाव और 2019 में लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बाजी मारी। चुनाव से पहले बूथ समितियां मतदाताओं से संपर्क करने का कार्य करतीं हैं। तमाम मतदाता ऐसे होते हैं जिनका सूची से नाम गायब हो जाता है, उसे जुड़वाने काम करती हैं। मतदाताओं का नाम जुड़वाने का कार्य भी समिति की जिम्मेदारी होती है। चुनाव के समय मतदाताओं को घरों से निकालकर मतदान बूथ तक ले जाना होता है।

इस पर भी तैयारी

भाजपा ने इस बार भी बूथ समितियों को मजबूत करके चुनाव जीतने की तैयारी में जुट गई है। प्रदेश नेतृत्व ने बूथ समितियों के सत्यापान के निर्देश दिए हैं। इसमें जिले और महानगर के पदाधिकारी जुटेंगे। जिलाध्यक्ष चौधरी ऋषिपाल सिंह ने बताया कि पार्टी ने हमेशा से बूथ समितियों पर ध्यान दिया है। इसलिए हमारे यहां बड़े कार्यक्रमों में बूथ अध्यक्ष को अध्यक्षता की जिम्मेदारी दी जाती है। इस बार भी बूथ समितियों को सक्रिय करने में हम सभी जुट गए हैं। यह हमारी सबसे बड़ी ताकत होगी।


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