विधानसभा चुनाव जीतने के लिए मंडल में जड़ें मजबूत करना चाहती है भाजपा Aligarh news,
भाजपा जिला पंचायत चुनाव में अलीगढ़ मंडल में अपनी जड़ें मजबूत करना चाहती है। इसलिए हाथरस में पार्टी ने आनन-फानन पूर्व सांसद सीमा उपाध्याय को पार्टी में शामिल कर लिया। जिससे जिला पंचायत अध्यक्ष भाजपा का बनाया जा सके।
अलीगढ़, जेएनएन । भाजपा जिला पंचायत चुनाव में अलीगढ़ मंडल में अपनी जड़ें मजबूत करना चाहती है। इसलिए हाथरस में पार्टी ने आनन-फानन पूर्व सांसद सीमा उपाध्याय को पार्टी में शामिल कर लिया। जिससे जिला पंचायत अध्यक्ष भाजपा का बनाया जा सके। अब पार्टी अलीगढ़ में भी उसी तरह की रणनीति अपना रही है। कासगंज और एटा में भी पार्टी के सदस्यों की संख्या कम है, मगर पार्टी वहां पर भी इसी तरह की जमीन तैयार करने में जुटी हुई है। अलीगढ़ मंडल में भाजपा मजबूत स्थिति में आना चाह रही है, जिससे विधानसभा चुनाव दमदारी से लड़ा जा सके।
चुनाव से पहले ठीक थी भाजपा की स्थिति
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले भाजपा की स्थिति ठीक थी। एक साल तक प्रदेश में भाजपा की लहर थी। इसलिए सहकारी समिति का चुनाव हो या फिर एमएलसी का चुनाव भाजपा सभी में जीत हासिल कर रही थी। मगर, छह महीने से चल रहे किसान आंदोलन और अब कोरोना के लहर के चलते भाजपा के प्रति लोगों की नाराजगी बढ़ी है। खासकर पश्चिमी यूपी में केिसान अभी भी नाराज चल रहे हैं। कोरोना में जिस प्रकार से स्वास्थ्य व्यवस्था लड़खड़ाई है, उससे जनता के मन में भी रोष है। इसी का परिणाम रहा कि पंचायत चुनाव में तमाम भाजपा की स्थिति बढ़िया नहीं रही। जिले का ही यदि आंकलन किया जाए तो यहां भाजपा मात्र नाै सीटें जीत पाई है, जबकि 30 से अधिक सीटें जीतने का दावा कर रही थी। यह स्थिति तब है जब भाजपा के सात विधायक, एक राज्य मंत्री, एक परामर्शदात्री समिति के अध्यक्ष और दो एमएलसी हैं। यानि मेयर को छोड़ दिया जाए तो भाजपा प्रत्येक सीट पर काबिज है। ऐसे हालात में भी पार्टी सिर्फ नौ सदस्यों को जीताकर ला पा रही है तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों में किस कदर नाराजगी है।
नई रणनीति के तहत चलनी होगी चाल
भाजपा के नेता जान रहे हैं कि जिला पंचायत अध्यक्ष यदि अधिक नहीं बनेंगे तो प्रदेश में उल्टी हवा शुरू हो जाएगी। विपक्ष चर्चा करने लगेगा कि भाजपा को जनता नकार रही है। इसलिए पार्टी पूरी शिद्दत से जिला पंचायत अध्यक्षों को सूबे में जीताने में जुटेगी। इसी रणनीति के तहत अलीगढ़ मंडल में काम किया जा रहा है। अभी हाल में पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय की पत्नी और पूर्व सांसद सीमा उपाध्याय को भाजपा में शामिल कर लिया गया है। जबकि सीमा उपाध्याय के पुत्र चिराग उपाध्याय को पार्टी ने कुछ दिन पहले ही निष्कासित कर दिया था। अब सवाल उठ रहा है कि जब पार्टी चिराग से इतना नाराज थी तो कुछ दिन बाद ही क्यों संतुष्ट होकर उन्हें पार्टी में शामिल कर रही है। चर्चा जोरों पर चलने लगी कि सीमा उपाध्याय को जिला पंचायत अध्यक्ष का दावेदार बनाया जा सकता है। बहरहाल, अभी सिर्फ उन्हें भाजपा में शामिल किया गया है, उन्हें दावेदार घोषित नहीं किया गया है।
दबदबा कायम रखने की तैयारी
हाथरस में करीब-करीब तय है कि जिला पंचायत अध्यक्ष भाजपा का होगा। इसी तरह की चाल अलीगढ़ में भी चलने की तैयारी है। यहां भी एक दमदार निर्दलीय पर निगाह है, उन्हें पार्टी में शामिल करके अध्यक्ष पद का दावेदार घोषित किया जा सकता है। क्योंकि निर्दलीय के पार्टी में शामिल होने से 16 निर्दलीय भी भाजपा के साथ आ सकते हैं। इससे अलीगढ़ में भी भाजपा का अध्यक्ष बन सकता है। रही बात कासगंंज और एटा की तो वहां भी भाजपा पूरी तैयारियों में जुटी हुई है। कोई भी मौका जाने नहीं देगी। भाजपा की पूरी रणनीति है कि चारों जिलों में पार्टी का अध्यक्ष बनाकर अपना दबदबा कायम रखे। फिलहाल राजनीति में कोई तय नहीं रहता है कि कब कौन सी स्थिति बने। इसलिए अभी सिर्फ कयास ही लगाए जा सकते हैं।