भाजपा सांसद ने दाखिला न देने पर एएमयू वीसी से मांगा जवाब
पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति-जनजाति को दाखिले व अन्य पदों पर भर्तियों में आरक्षण देने के पर सवाल उठाया।
अलीगढ़ : पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति-जनजाति को दाखिले व अन्य पदों पर भर्तियों में आरक्षण देने के सवाल पर घिरी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में अब धार्मिक आधार पर भेदभाव का मुद्दा भी गर्माने लगा है। एक पिता की शिकायत को गंभीर मानते हुए भाजपा सांसद व यूनिवर्सिटी की शीर्ष संस्था एएमयू कोर्ट के सदस्य सतीश गौतम ने कुलपति से स्पष्टीकरण मांगा है। सांसद को पीड़ित पिता ने बताया था कि बेटे के टेस्ट में ज्यादा अंक आए, फिर भी इंटरव्यू में कम नंबर देकर दाखिला नहीं दिया गया। जिसके टेस्ट में कम अंक आए थे, उसे धार्मिक कारणों से इंटरव्यू में ज्यादा अंक दे दिए और दाखिला भी ले लिया। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष प्रो. रामशंकर कठेरिया ने भी तीन जुलाई को आरोप लगाया था कि 'एएमयू के एंट्रेंस टेस्ट में ज्यादा अंक पाने वाले ¨हदू बच्चों को इंतजामिया इरादतन फेल कर देता है।' हालांकि, एएमयू ने भेदभाव का पुरजोर खंडन कल भी किया था, आज भी किया है।
शहर के गूलर रोड गली नंबर-एक में रहने वाले मुनेश कश्यप ने सांसद सतीश गौतम को बताया कि बेटे अर्जुन कश्यप ने एएमयू में कक्षा छह के लिए प्रवेश परीक्षा दी थी। प्रतीक्षा सूची में छठवें नंबर पर नाम आया। टेस्ट में उर्दू मीडियम से 85 फीसद अंक आए थे। दाखिले के लिए दस्तावेज लेकर पहुंचे तो यूनिवर्सिटी ने मना कर दिया गया। आरोप है कि टेस्ट में कम अंक पाने वाले दूसरे समुदाय के बच्चे को प्रवेश दे दिया गया। इस पर एएमयू अफसरों से भी मिले, लेकिन संतोषजनक जवाब तक नहीं मिला। सांसद सतीश गौतम ने आठ जुलाई को कुलपति (वीसी) को पत्र लिखकर अर्जुन का एएमयू के सिटी हाईस्कूल में कक्षा छह में दाखिला करने को कहा है। न दे पाने पर कारण स्पष्ट करने को कहा है। वहीं, एएमयू के जनसंपर्क कार्यालय के मेंबर इंचार्ज प्रो. शाफे किदवई का कहना है कि एएमयू सांसद के दाखिला संबंधी पत्र की जानकारी नहीं है। दाखिले में भेदभाव की बात सरासर गलत है। एएमयू में धर्म के आधार पर न दाखिला होता है, न किसी से भेदभाव ही किया जाता है। --------
इनसर्ट आयोग ने ¨हदुओं के साथ भेदभाव का उठाया था सवाल
एएमयू में आरक्षण को लेकर तीन जुलाई को अलीगढ़ आए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष प्रो. रामशंकर कठेरिया ने कहा था कि एएमयू में ¨हदू छात्र प्रवेश परीक्षा तो पास कर लेते हैं, लेकिन उन्हें इंटरव्यू में इरादतन फेल कर दिया जाता है। इंटरव्यू खत्म करने की मांग की थी। रिकार्ड मांगा था, ताकि जांच हो सके। बकौल कठेरिया, भेदभाव के कारण ही एएमयू में बमुश्किल एक-दो फीसद अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्र हैं। स्टाफ में इनकी हिस्सेदारी बमुश्किल 0.07 फीसद ही है।