टप्पल कांडः बिटिया हम तुम्हे भूल नहीं पाएंगे
टप्पल में ढाई साल की मासूम की निर्ममतापूर्वक हत्या से हर आंख नम है। दिलों में गुस्सा और गुबार भी है।
अलीगढ़ (जेएनएन)। टप्पल में ढाई साल की मासूम की निर्ममतापूर्वक हत्या से हर आंख नम है। दिलों में गुस्सा और गुबार भी है। हर शख्स के दिल में बस एक ही सवाल की बेटियां कब तक दङ्क्षरदगी का शिकार होती रहेंगी? मासूमों की क्या ऐसे ही बलि चढ़ती रहेगी? दामिनी कांड के बाद कहा गया था कि कड़ा कानून बनाया गया है। अब कोई आरोपी बचकर नहीं निकल सकेगा। बेटियों को न्याय मिलेगा। आरोपियों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा। मगर, असल सवाल ये है कि दामिनी कांड के ही आरोपियों को अभी तक फांसी के फंदे तक नहीं पहुंचाया जा सका है, फिर टप्पल में बिटिया के साथ हैवानियत करने वालों पर कैसे उम्मीद जताई जाए कि उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी?
दैनिक जागरण ने आयोजित की श्रद्धांजलि सभा
रविवार को इसी पर चिंतन-मंथन के लिए दैनिक जागरण की ओर से अचल सरोवर की गुमटी पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। सभी के चेहरे पर मायूसी साफ दिखाई दे रही थी। कुछ की तो आंखे छलछला आईं। भावुक होकर बिटिया को श्रद्धासुमन अर्पित किया गया। विचारों के प्रवाह में सभी से बस एक बात सामने आई अभी भी कानून इतना कड़ा नहीं है, जिससे आरोपियों को सख्त से सख्त सजा मिल सके।
हर कोई था भावुक
शाम को छह बचे अचल सरोवर की गुमटी पर शहर के समाजसेवी और प्रबुद्ध वर्ग जुटे। दैनिक जागरण की ओर से आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में हर चेहरा भावुक दिख रहा था। अतुल सिंह के निर्देशन में अविरल धारा के छात्र-छात्राओं ने 'बिटिया को नमनÓ वाक्य मोमबत्ती के सहारे बनाया। एक-एक मोमबत्ती जब जलने लगी तो ऐसा लगा कि मानों बिटिया की चीत्कार निकल रही हो? वह चीख-चीख कर सवाल कर रही हो कि आखिर उसका क्या कसूर था? हर कोई भावुक हो उठा। इसके बाद सभी ने दो मिनट का मौन रखकर बिटिया की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
सख्त कानून की जरूरतः माहेश्वरी
दैनिक जागरण के संपादकीय प्रभारी अवधेश माहेश्वरी ने कहा कि सख्त कानून की जरूरत है, जिससे ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई जा सके। उन्होंने कहा कि परिवार में भी बच्चों का ख्याल रखें कि कहीं उनके साथ कुछ गलत तो नहीं हो रहा है। अशोक पांडेय, स्नेहा शर्मा, शकुंतला आलोक वात्सल्य, भूपेंद्र वाष्र्णेय, भारती, राजीव अग्रवाल, कृष्णा गुप्ता, डॉ. शैलेंद्र पाल सिंह, जितेंद्र भारद्वाज, निधि शर्मा, डॉ. सुवीर राय का यही मत था कि ऐसे मामलों में कड़ा कानून बनान चाहिए। एक महीने के अंदर आरोपी को फांसी के फंदे पर लटका देना चाहिए, आगे से फिर कोई ऐसा दुस्साहसिक कदम नहीं उठाएगा।
यह रहे मौजूद
राजाराम मित्र और योगी कौशलनाथ, जयगोपाल वीआइपी ने भी कठोर कानून की वकालत की। अध्यक्षता सरदार भूपिंदर सिंह ने की। जयगोपाल वीआइपी पूरी टीम के साथ मौजूद रहे। संजय माहेश्वरी, अल्का गुप्ता, अमित सोनी, सुनील दिवाकर, राज सक्सेना, प्रमोद सेनानी, डॉ. जेपी सिंह, डॉ. ललित उपाध्याय, संदीप कुशवाहा, विशाल देशभक्त, विजय सिंह, विक्की गुप्ता आदि थे।
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